बीफ के सवाल पर जहाँ देश के अन्दर पीट-पीटकर लोगों को मार डाला जा रहा है या पशुधन के व्यापारियों की पिटाई करके जान ले ली जा रही हो, वहीं मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख पदाधिकारी श्री मनमोहन वैद्य ने स्वीकार किया है कि संघ के लोग बीफ खाकर भी उसमें रह सकते हैं।
टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट के अनुसार संघ के 3000 लोग बीफ का आनंद लेते हैं। संघ के लोग हिन्दी भाषी प्रदेश में बीफ के सवाल को लेकर समाज में कटुता पैदा करते हैं, वहीं स्वयं उसका सेवन करने से परहेज नहीं करते हैं यह उनके दोहरे चरित्र को दर्शाता है।
मुख्य सवाल यह है कि इनके दोहरे चरित्र के कारण देश के अन्दर निवास करने वाले अल्पसंख्यक समुदाय के लोग भयभीत होते हैं। दूसरी तरफ यह लोग भी बीफ के सवाल ऊपर तमाम सारी पूर्वाग्रह भरी बातें कर धार्मिक उन्माद पैदा करते हैं।
मनमोहन वैद्य के बीफ खाने की बात स्वीकार करने के बाद भी संघ के लोग उन्माद फैलाने से बाज नहीं आ रहे हैं। ईमानदारी की बात तो यह है कि नागपुर मुख्यालय को बीफ के सवाल के ऊपर अपनी स्थिति साफ करनी चाहिए तथा गौरक्षा समिति से लेकर तमाम सारी सेनायें उन्होंने बना रखी है उसको भंग करें। अन्यथा उनकी दोगली राजनीति के कारण देश के एकता और अखण्डता विविधता को गम्भीर खतरा पैदा हो रहा है।
-रणधीर सिंह सुमन