संघ का हिन्दू राष्ट्रवाद भय घृणा और हिंसा पर आधारित विचार
संघ का हिन्दू राष्ट्रवाद भय घृणा और हिंसा पर आधारित विचार
मधुवन दत्त चतुर्वेदी
बहुसंख्यक साम्प्रदायिकता राष्ट्रवाद के चोले में अपने चरम पर है।
बहुसंख्यकों के बहुजनों सहित सभी साधारण भारतीयों के कल्याण की बातों में उन्हें कोई रूचि नहीं। गरीबी भुखमरी बेरोजगारी मंहगाई जातिवाद अशिक्षा अस्वास्थ्य बुनियादी सुविधाओं की कमी और अर्थ व्यवस्था की गिरावट से उनका कोई सरोकार नहीं। वे अपनी पूरी शक्ति से देश के मुसलमानों को देश और समाज का शत्रु घोषित करने में जुटे हैं।
इस माहौल का पूरा लाभ अल्पसंख्यक साम्प्रदायिकता भी ले रही है। उसका अलगाववादी चेहरा भी खुल कर सामने आ रहा है। ऐसे में उकसावों अफवाहों और वैमनस्य से बच कर अगर इस देश के साधारण नागरिकों ने अपनी एकता बनाये रखी तो यह भारत की सबसे बड़ी जीत होगी।
संघ का हिन्दू राष्ट्रवाद भय घृणा और हिंसा पर आधारित विचार है।
उसमें जनकल्याण जनतंत्र शांति और निर्भीकता के साथ विवेकवाद के लिए कोई स्थान नहीं है। उसे जिन्दा रहने के लिए कभी किसी पड़ोसी देश के प्रति तो कभी किसी भिन्न धार्मिक समूह के प्रति घृणा की जरूरत रहती है।


