संघ के कौन से अम्बेडकर !
संघ के कौन से अम्बेडकर !
हेडगेवार-गोलवलकर बनाम अम्बेडकर- 1
विष्णु चित्तक और सामाजीक कार्यकर्ता सुभाष गाताडे की पुस्तक "हेडगेवार-गोलवलकर बनाम अम्बेडकर" क्रमवार हम अपने पाठ को प्रस्तुत कर रहे हैं। हर रोज़ एक कड़ी इस पुस्तक की आपके सामने होगी। इस पुस्तक में सुभाष गाताडे जी ने उद्धारणों के साथ बताया है कि किस तरह संगठित परिवार डॉ. अम्बेडकर के विरुद्ध घृणा अभिव्यक्त कर रहा है।... इस श्रृंखला का हर लेख पढ़ें और अधिक से अधिक मित्रों के साथ शेयर करें।
शोषित-उत्पीड़ित अवाम के महान सपूत बाबासाहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 125 जयंती मनाने की तैयारी जगह-जगह शुरू हो चुकी है। वक्तव्य बीतने के साथ उनका नाम और शोहरत बढ़ती जा रही है और ऐसे तमाम लोग एवं संगठनों ने उनके जीते जी उनके कामों का मक़ौल उढ़ाया, उनसे दूरी बनाये रखी और उनके गुज़रने के बाद भी उनके विचारों के प्रति कृतकूल काम करते रहे, अब उनकी बढ़ती लोकप्रियता को भुनाने के लिए तथाकथित अवाम के बीच नई पैंतरे जमाने के लिए उनके मुरीद बनते दिख रहे हैं।
ऐसी ताकतों में सबसे आगे है हिंदुत्व ब्रिगेड के संगठनों, जो पूरी योजना के साथ अपने अनुशासनित कहे जानेवाली कार्यकर्ताओं की टीम के साथ उत्तरते हैं और डा. अम्बेडकर - जिनहोंने हिंदू धर्म की आंतरिक बर्बरता के खिलाफ वैचारिक संघर्ष एवं व्यापक जनानंदों में पहली ली, जिनहोंने 1935 में येवला के सम्मेलन में ऐलान किया कि मैं भले ही हिंदू पैदा हुआ, मगर हिंदू के तौर पर मरूंगा नहीं और अपनी मौत के कुछ समय पहले बौद्ध धर्म का स्वीक़ार किया /1956/ और जो ‘हिंदू राज’ के खतरे के प्रति अपने अनुनायियों को एवं अन्य जनताओं को बार बार आगाह करते रहे, उन्हें हिंदू समाज सुधार के रूप में गढ़ने में लगे हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुख्यधारा जननायक मोहन भागवत ने पिछले दिनों कानपुर की एक सभा में यहा


