नई दिल्ली। संघ और मोदी सरकार के लिए नई मुसीबत पैदा हो गई है। जिस कन्हैया कुमार को राष्ट्रद्रोह के केस में फर्ज़ी फंसाया गया, वह कन्हैया कुमार रातों-रात न केवल "नीले आसमान पर चमकता लाल सितारा" बन गया है बल्कि उसके एक सहज सरल भाषा में दिए भाषण ने एक ओर जहां संघ-भाजपा के एजेंडे कीकब्र खोद दी है, वहीं दूसरी ओर वाम दलों का एजेंडा सारी दुनिया की ज़बान पर ला दिया है।
जिस तल्खी व जुमलों के साथ केंद्र सरकार को घेरते हुए कन्हैया ने आरएसएस पर हमला किया, उसे विपक्षी दलों के नेताओं ने तो पसंद किया ही, सोशल मीडिया पर आम उपभोक्ताओं ने भी पसंद किया है। पिछले दो दिन से कन्हैया फेसबुक के टॉप ट्रेंड में हैं, जबकि कन्हैया से जुड़ी जानकारियां जानने के लिए करीब दस लाख लोगों ने गूगल सर्च ईंजन पर सर्च किया है।
खास बात यह है कि सोशल मीडिया पर यूजर्स कन्हैया कुमार की तुलना मार्क्सवादी क्रांतिकारी चे-ग्वेरा से कर रहे हैं। लाल दुर्ग में जेल के अनुभव और भुखमरी, कट्टरता, जातिवाद, शोषण, भ्रष्टाचार से आजादी की सोच और लाल कटोरी-नीली कटोरी व नीले आसमान पर लाल सितारा/ मांग रहा है हिंदुस्तान, पर दिए गए भाषण सोशल मीडिया के टॉप ट्रेंड में हैं।
फेसबुक पर आम लोग बेशक वामपंथी विचारधारा के पक्षधर न हों, लेकिन कन्हैया ने जिन मुद्दों के साथ नब्ज टटोली है, उसे आम लोगों का साथ मिल रहा है और इससे संघ-भाजपा के रणनीतिकारों की सांस फूल रही है। जिस रोहित वेमुला के मुद्दे को सरकार ने दफन करने की रणनीति बनाई थी, वह ध्वस्त हो गई है।
जेएनयू परिसर में कन्हैया के भाषण की 10 प्रमुख बातें —
स्मृति ईरानी पर हमला - हम आपके बच्चे नहीं हैं, हम जेन्यूआइट हैं। हमें हमारा फैलोशिप दे दीजिए और रोहित वेमुला की हत्या की नैतिक जिम्मेदारी ले लीजिए।
हमें एबीवीपी से कोई दुर्भावना नहीं है। हम एबीवीपी का शिकार नहीं करेंगे, क्योंकि शिकार भी उसका किया जाता है जो इसके लायक हो।