संदीप पाण्डेय ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर उठाए सवाल करछना में विस्थापन नीति पर,
संदीप पाण्डेय ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर उठाए सवाल करछना में विस्थापन नीति पर,
सेवा में
श्री आलोक कुमार
जिलाधिकारी, इलाहाबाद
दिनांकः 1 जून, २०११
प्रेषकः
संदीप पाण्डेय
ए-893, इंदिरा नगर, लखनऊ-226016
फोनः 0522 2347365, मो.ः 9415022772
विषयः करछना में विस्थापित किसानों के लिए भूमि के बदले भूमि ही सही पुनर्वास नीति।
प्रिय आलोक जी,
करछना में कचरी विद्युत संयंत्र निर्माण हेतु भू-अधिग्रहण में विस्थापित किसानों को रु. 3 लाख प्रति बीघा, जो सर्किल रेट से तीन गुणा है, देने का निर्णय निश्चित रूप से स्वागत योग्य है किन्तु यह किसानों के साथ न्याय नहीं कहा जा सकता। अंग्रेजों के बनाए कनून भू अधिग्रहण अधिनियम, 1894, के तहत हम किसानों के लिए कोई विकल्प छोड़ते ही कहां है? यह कानून मानवीय नहीं है। कायदे से तो अंग्रेजों के बनाए कानून, आजादी के बाद से अथवा जिस दिन हमने अपना संविधान अपनाया, स्वतः समाप्त हो जाने चाहिए थे। यदि हमसे या आपसे कहा जाए कि हम रातों-रात अपना जीने कर तरीका या आजीविका का माध्यम बदल दें तो हम कितना खुशी-खुशी तैयार होंगे, भले ही हमें कितना भी नकद मुआवजा क्यों न दिया जाए? यदि नकद से ही काम चल जाता तो सभी सरकारी अधिकारी स्वैच्छिक सेवा निवृति कर लाभ क्यों नहीं उठाते?
सही बात तो यह है कि किसान परिवार के लिए जमीन ही उसकी जीविका व जीवन का साधन है और न्यायपूर्ण मुआवजा जमीन के बदले जमीन ही है। आपके पास एक ऐतिहासिक मौका है। कृपया अपने आप को किसान की जगह रख कर फैसला करें और अपने जिले में जमीन तलाश कर विस्थापित किसान का पुनर्वास करें। यदि बदले में दी जाने वाली जमीन की गुणवत्ता में अंतर है तो जमीन के मूल्य के मुताबिक अधिग्रहित जमीन के अनुपात में दूसरी जगह जमीन दी जा सकती है। यदि पूरे किसान परिवार को ध्यान में रखकर निर्णय लिया जाएगा तो जमीन के बदले जमीन ही सही नीति प्रतीत होगी। हलांकि नकद मुआवजे का विकल्प, जो चाहें उनके लिए, खुला रखा जा सकता है। परन्तु इस पर परिवार की प्रमुख महिला की सहमति भी अनिवार्य होनी चाहिए।
कृपया इस पर भी विचार करें कि जिले में विद्युत संयंत्र कहीं ऐसी जगह लग सकता है क्या जहां विस्थापन न हो अथवा कम हो। आखिर बिजली तो तार से ही सबको मिलनी है। कारखाना तो कहीं भी हो सकता है।
आशा है आप उच्च अधिकारियों और नीति निर्माताओं से सलाह मश्विरा कर अधिग्रहण की स्थिति में भूमि के बदले भूमि की ही मानवीय पुनर्वास नीति अपनाएंगे।
हमें आपसे न्याय की उम्मीद है।
सप्रेम,
संदीप पाण्डेय
प्रतिलिपिः श्री मुकेश मेश्राम, आयुक्त, इलाहाबाद मण्डल


