धारा 341 से धार्मिक प्रतिबंध हटाने की मांग को लेकर राष्ट्रीय ओलमा कौंसिल का जंतर- मंतर पर अनिश्चित कालीन धरना एवं क्रमिक अनशन का दसवां दिन

Violation of Articles 14, 15, 16 and 25 of the Constitution, religious restrictions imposed in 341

3 मार्च को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के घर पर प्रदर्शन की घोषणा

नई दिल्ली। “धारा 341 में धार्मिक प्रतिबंध तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की साम्प्रदायिक मानसिकता का परिणाम है जिसमें एक असंवैधानिक अध्यादेश के माध्यम से दलित बिरादरियों की समाजिक आर्थिक एवं शैक्षिक स्थिति को ऊपर उठाने व उनके जीवन स्तर को बेहतर बना कर समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए दिए गये आरक्षण के अधिकार में धार्मिक प्रतिबंध लगा कर गैर हिन्दू दलित बिरादरियों को उनके संवैधानिक अधिकार वंचित कर दिया गया था। बाद में 1956 व 1990 में सिख और बौद्ध धर्म के मानने वाले दलित बिरादरियों को उनका आरक्षण का अधिकार तो दे दिया गया परन्तु मुस्लिम एवं ईसाई धर्मों के मानने वाले लोग जो अनुसूचित जाति में आते हैं, आज भी अपने आरक्षण के अधिकारों से वंचित हैं जो कि संविधान की धारा 14, 15,16 व 25, जिस में धर्म के नाम पर किसी के साथ भेद भाव से रोका गया है, की खुली खिलाफ वर्ज़ी है।”

यह कहना है राष्ट्रीय ओलमा कौंसिल के युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुक़तदा हुसैन खैरी का। वे कौंसिल द्वारा, 10 अगस्त 1950 को पंडित जवाहर लाल नेहरू की तत्कालीन केंद्र सरकार के जरिये धारा 341 से लगाये गये धार्मिक प्रतिबंध को हटाये जाने की मांग को लेकर विगत 17 फरवरी से जंतर-मंतर पर चल रहे अनिश्चित कालीन धरना व क्रमिक अनशन के दसवें दिन प्रदर्शनकारियों को संबोधित कर रहे थे।

खैरी ने कहा कि धर्म के आधार पर मुसलमानो एवं ईसाईयों के आरक्षण के अधिकार को बहाल करने के लिए तत्काल धारा 341 से धार्मिक प्रतिबंध को हटाया जाए। उन्होंने बताया कि 10 अगस्त 1950 में पंडित जवाहर लाल नेहरू के ज़रिये अगर मुसलमानो से उनके रिज़र्वेशन के अधिकार को न छीना गया होता तो कम से कम 5000 हज़ार से अधिक आईएएस, 25000 हज़ार से अधिक पीसीएस तथा लाखों लोग अन्य नौकरियों में स्थान पाकर अपने परिवार के साथ समाज में उच्च स्थान प्राप्त कर चुके होते तथा 100 से अधिक लोग एमपी व 1000 हज़ार से अधिक लोग विधायक बन कर व हज़ारों लोग पंचायतों में चुन कर ऊपर उठ चुके होते। यदि अनुसूचित जातियों को मिलने वाली अन्य सुविधाओं को जोड़ा जाये तो इसका अंदाज़ा ही नही लगाया जा सकता है कि कितने परिवारों को सरकारी ज़मीनों के पट्टे, आवास योजनाओं का लाभ, लाल कार्ड, वृद्धा एवं विधवा पेंशनों और दूसरी सुविधाओं का लाभ मिल चुका होता।

इस अवसर पर राष्ट्रीय ओलमा कौंसिल कि मीडिया प्रभारी डा०निज़ामुद्दीन खान ने कहा कि धारा 341 से धार्मिक प्रतिबंध हटाये जाने की मांग को लेकर राष्ट्रीय ओलमा कौंसिल ने मिशन 341 के तहत देश व्यापी आंदोलन की शुरुआत की है जिसकी पहली कड़ी में इस अनिश्चित कालीन धरना एवं क्रमिक अनशन चल रहा है। उन्होंने बताया कि 3 मार्च तक अगर सरकार के ज़रिये हमारी मांग को स्वीकार नही किया जाता है तो राष्ट्रीय ओलमा कौंसिल प्रधानमंत्री के आवास का घेराव करेगी। उन्होंने धरना स्थल पर मीडिया कर्मियों से बात चीत करते हुए यह भी बताया कि राष्ट्रीय ओलमा कौंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना आमिर रशादी मदनी ने सभी राजनैतिक दलों एवं प्रमुख सामाजिक संगठनो को पत्र लिखकर उनसे धारा 341 में लगे धार्मिक प्रतिबंध कि मामले में अपना दृष्टिकोण स्प्ष्ट करने को कहा है। साथ ही यह भी प्रश्न किया है कि यदि धर्म के आधार पर किसी समुदाय को आरक्षण का लाभ दिया नही जा सकता है तो किसी समुदाय या वर्ग को उसके आरक्षण के अधिकार से वंचित करना कहाँ का इन्साफ है।

उन्होंने यह भी कहा कि यदि केंद्र सरकार हमारी इस मांग को स्वीकार करते हुए धारा 341 में लगे धार्मिक प्रतिबंध को समाप्त नही करती है तो राष्ट्रीय ओलमा कौंसिल इस मुद्दे को लेकर देश के कोने-कोने में जायेगी।