सड़क पर कोई मासूम घायल न हो
सड़क पर कोई मासूम घायल न हो

नोएडा में सड़क दुर्घटना रोकने का नागरिक प्रयास
नोएडा, 1 सितम्बर, 2011 (शेष नारायण सिंह ). शहर में बढ़ रहे वाहनों और बेलगाम ड्राइवरों से घबरा कर शहर में सड़क दुर्घटना रोकने का एक नागरिक प्रयास चल रहा है. 'राही' नाम की एक स्वयंसेवी संस्था ने सड़क दुर्घटना रोकने को संस्थागत रूप देने की दिशा में एक अहम क़दम उठाया है.
संगठन की कोशिश है कि आने वाले कुछ महीनों में नोएडा में एक ऐसे संस्थान की स्थापना की जाए जहां सड़क दुर्घटना को रोकने के तरीकों पर तरह तरह के आयोजन किये जायेगें. फिलहाल अभी शहर में छठवीं, सातवीं और आठवीं के बच्चों को सड़क दुर्घटना रोकने और उस से बचने के लिए जनजागरण की योजना को बहुत ही मामूली स्तर पर चलाया जा रहा है.
'राही' की निगरानी में नोएडा में रोड एक्सीडेंट प्रिवेंशन इंस्टीट्यूट (Road Accident Prevention Institute in Noida) शुरू करने की योजना को अंतिम रूप दिया जा चुका है, जहां सड़क पर होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने की कोशिश को बहुत ही गंभीर सामाजिक और मेडिकल समस्या के रूप में उठाया जाएगा.
शहर के तीन डाक्टरों श्रीमती ( डॉ) गुंजन धारी, डॉ वी पी सिंह और डॉ इब्राहीम ने मिलकर शुरुआती योजना 2004 में बनायी थी.
आर्थिक उदारीकरण के बाद शहर में वाहनों की संख्या में हो रही बेलगाम वृद्धि और उसकी वजह से हो रही दुर्घटनाओं से यह लोग विचलित थे. वाहनों की संख्या या ड्राइवरों के आचरण पर काबू पाना तो बहुत ही कठिन काम है. इन लोगों ने सोचा कि सड़क को दुर्घटनामुक्त करने की कोशिश की जाए. उसी संकल्प के नतीजे के रूप में इस संगठन ने जन्म लिया.
बच्चे होते हैं सड़क दुर्घटना के सर्वाधिक शिकार
सड़क दुर्घटना के शिकार होने वालों में सबसे ज्यादा संख्या में बच्चों की होती है. इसलिए अभी कम उम्र के बच्चों को की टार्गेट किया गया है.
दिल्ली और आस पास के शहरों में बहुत तेज़ कार चलाने वालों में बहुत बड़ी तादाद 18 से 25 साल के नौजवानों की होती है. 'राही' की कोशिश है कि जब 10 से 14 साल के बच्चे कार चलाने की उम्र में पंहुचें तो वे सड़क हादसों की भयावहता से पूरी तरह से परिचित हों.
मकसद साफ़ है, वे चाहते हैं कि सड़क पर बच्चे न तो मरें, न ही अपाहिज हों और न ही घायल हों. अगर दुर्घटना हो ही गयी तो हादसे के शिकार लोगों की समुचित चिकत्सा हो सके.
कैसे हो सड़क पर बच्चों की सुरक्षा?
सड़क पर बच्चों की सुरक्षा (child safety on the road) के बारे में उनके माता पिता को भी जाग्रत किया जायेगा. इस काम में लीफलेट, पोस्टर आदि के ज़रिये जनजागरण की योजना पर काम हो रहा है.
अभी इन डॉक्टरों ने किसी से कुछ भी आर्थिक सहायता नहीं ली है. अपने १०० मित्रों और रिश्तेदारों की एक लिस्ट बना रखी है, जिनसे हर महीने ११०० रूपये लिया जाता है. उसी धनराशि से शुरुआती काम चल रहा है.
एक बातचीत में राही की संस्थापक डॉ गुंजन ने बताया कि काम फैला तो समाज के अन्य वर्गों को इस प्रयास में शामिल किया जायेगा. इनकी कोशिश है कि साल के अंत तक इस अभियान के बारे में पूरी तरह से जागरूकता का प्रचार कर दिया जाए. इस काम के लिए इच्छुक नागरिकों की एक फ़ोर्स तैयार करने की भी योजना है. हर इलाके में 'राही ' के प्रयास से मंडलियाँ बनायी जा रही हैं, जो अपने स्तर पर सड़क से हादसे को दूर रखने के लिए प्रयास कर रही हैं.
संगठन की कोशिश है कि आने वाले वर्षों में उन संगठनों का एक सम्मेलन बुलाया जाय जो सड़क दुर्घटना के खतरों को कम करने के लिए प्रयास कर रहे हैं.
Citizen effort to prevent road accident in Noida


