सनी लिओनि तुम्हारी पवित्रता की दाद एक कवि दे रहा है
सनी लिओनि तुम्हारी पवित्रता की दाद एक कवि दे रहा है
सनी लिओनि के लिए एक कविता
शैलेन्द्र कुमार शुक्ल
मैं सनी लिओनि के लिए कविता
लिखने की घोषणा करता हूँ
और तुम्हारा काव्यशास्त्र दहल जाता है
दहक उठती हैं तुम्हारी मनुस्मृति की ऋचाएं
खौल उठता है तुम्हारे दिमाग के कठौते में
भरा सदियो पुराना कुंठा का गंगाजल
मैं तुम्हारी सती सावित्रियों का एक इंटरव्यू लेने
उस गद्गदे अनंत काल के दलदल में भी जा सकता हूँ
जिसका तुम्हें अंदेशा भी न होगा
जहां तुम्हारी ठसक से सिसकती उन तमाम आवाजों के साथ
मैं भी चिखूंगा जब तक तुम्हारी नैतिकता के श्रवण-रंध्र बहरे न हो जाएँ
मैं पूछूंगा अहिल्या से किसने दिया था तुम्हें
चरित्र हीनता का प्रमाणपत्र
कि तुम्हारी आत्मग्लानि
सदियों तक बनाए रही तुम्हें पत्थर
और एक चौपट राजा अपनी अपवित्रता की महानतम गंदगी में
पवित्र पुरुष बना रहा
सीता से भी करूंगा सवाल
राम की अपवित्रता के बारे में
कि पूछूंगा सुलोचना से भी
काहे सौख चर्राया था सती होने का
“छल करि टारेउ तासु ब्रत...”
और भी बहुत सी हैं तुम्हारी कुंठा की दहशत
से डरी हुई प्रजातियाँ
जिनको तुम्हारे लिंगों ने सुदूर क्षितिज तक अपवित्र किया है
कि जिनकी चीख़ों से भर्रा उठा है अनंत आकाश
और धारित्रि की छाती फटती रही है उनकी घुटन से
सनी लिओनि इस भारत की पवित्र भूमि पर
तुम्हारा स्वागत है
मैं करता हूँ तुम्हारा स्वागत
क्योंकि मैं जनता हूँ ‘पवित्रता’ और ‘पवित्र भूमि’
दोनों की तासीर को
सनी लिओनि तुम्हारी सख्त जरूरत है
इस बूढ़े भारत को
कि इसकी जनसंख्या में सुना हूँ सबसे ज्यादा युवा हैं
धर्मों की आड़ में जवान हुये लोग
जिनके लिंगों से अपवित्रता का मवाद फूटता है
और स्त्रियाँ अपवित्र होकर मर जाती हैं
इस तरह होता रहता है एक अखंड पाठ
जलता रहता है एक अखंड दिया
खंड-खंड होती कालिख पर
सनी लिओनि मेरे दिल में
तुम्हारे लिए उतना ही सम्मान है
जितना कि एक महान विचारक का कर सकता हूँ
तुम्हें आत्मग्लानि नहीं है अपने अतीत पर
तुम अहिल्या
सीता
और सुलोचना की तरह नहीं हो
अत्महत्या करने वाली असहाय
निरीह एक स्त्री
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तुम नहीं मानती उन मूल्यों को
कि जिनके नीचे दफ्न करोड़ों लाशें सिसक रही हैं
मैं सलाम करता हूँ तुम्हें सनी लिओनि !
कि बरकरार रखना यह जज्बा
जहां तोड़ने होते है सदियों पुराने
जोखिम भरे प्रतिमानों के घंट
जहां सभ्यताएं अपनी केंचुल छोड़ रही हों
वहाँ सतर्क रहना होता है सनी लिओनि
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तुम्हारी पवित्रता की दाद एक कवि दे रहा है
जी हाँ 21वीं सदी के भारत का एक जवान हिंदी कवि।
-शैलेन्द्र कुमार शुक्ल 25/01/2016
वर्धा
(वाक : संपादक सुधीश पचौरी , अक्तूबर 2016, अंक 23 में प्रकाशित)


