सोनभद्र में मई दिवस मनाने वाले मजदूरों पर झूठे मुकदमे दर्ज कर जेल भेजने का आरोप
लखनऊ। पूरी दुनिया में मई दिवस मजदूरों के त्यौहार के रूप में मनाया जाता है व इस पर्व के लिए उ0प्र0 सरकार द्वारा अवकाश भी घोषित है। यह इत्तेफाक है कि उत्तर प्रदेश में जिस पार्टी की सरकार है उसका नाम समाजवादी पार्टी है लेकिन मजदूरों के त्यौहार मई दिवस बनाने पर उप्र में मजदूरों पर झूठे मुकदमे दर्ज कर जेल भेजने की घटना सामने आई है।
अखिल भारतीय वन जन श्रमजीवी यूनियन की राष्ट्रीय उपमहासचिव रोमा एडवोकेट ने बताया कि विगत एक मई 2016 को हमारी यूनियन एवं जनपद सोनभद्र के रेणूकूट में स्वतंत्र श्रमिक संगठन मजदूर एकता संघ द्वारा मई दिवस मनाने की तैयारी की थी ताकि मजदूरों के मुददों पर विचार भी कर सके। उन्होंने बताया कि सबसे पहले प्रशासन द्वारा मई दिवस मनाने की अनुमति प्रदान नहीं की जिसके लिए कई बार लिखित में प्रशासन को दिया गया। प्रशासन द्वारा कहा गया कि मई दिवस मनाने की अनुमति केवल मान्यता प्राप्त यूनियन को ही दी जा सकती है व नये श्रमिक संगठनों को यह अनुमति नहीं दी जाएगी।
रोमा ने बताया कि 29 अप्रैल 2016 को कार्यक्रम के मुख्य आयोजकों मजदूर एकता संघ के महासचिव अजित सिंह एवं मजदूर नेता विक्रम सिंह( जो की हिंडालको में कुशल लेकिन बदली श्रमिक रहे ) को थाना पिपरी के एस0ओ मनोज पांडे द्वारा सांय 6 बजे मई दिवस की रैली की अनुमति प्रदान करने के बहाने से बुलाया गया। इन दोनों मजदूर नेताओं को रात भर पिपरी थाने में बिठाये रखा व इन पर यह दबाव डाला गया कि वे लिख कर दे कि ‘‘अखिल भारतीय वन जन श्रमजीवी यूनियन जिनके साथ मिलकर मई दिवस मनाया जा रहा है वह नक्सली संगठन है व यूनियन की उपमहासचिव रोमा नक्सली है’’। यह लिखवाने से पुलिस के लिए मई दिवस की अनुमति को ख़ारिज करना आसान हो जाता। लेकिन मज़दूर साथी पुलिस के दबाव के आगे नहीं झुके व लिख कर देने से साफ इंकार कर दिया। तब उनके उपर झूठी तहरीर बनाई गई कि यह मजदूर थाने के बाहर अनुमति प्रदान न किए जाने व अन्य मजदूर संगठन को अनुमति दिए जाने के खिलाफ बवाल कर रहे थे। उन्हें शांति भंग करने की 151 धारा के तहत गिरफ्तार कर लिया गया व दोनों को 30 अप्रैल की सुबह मिर्जापुर जेल भेज दिया गया।
रोमा ने बताया कि इस बाबत उनके द्वारा 29 अप्रैल रात को 9 बजे से लेकर 10 बजे तक जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक को कई मर्तबा फोन किया गया व फोन द्वारा वार्ता के लिए संदेश भी भेजा गया लेकिन दोनों आला अफसरों ने न ही फोन उठाया और न ही उनसे बात करना मुनासिब समझा।
रोमा ने आरोप लगाया कि रेणूकूट में एक ही गांधी मैदान है जहां पर वहां के नागरिक व मज़दूर कोई कार्यक्रम कर सकते हैं लेकिन यह मैदान मान्यता प्राप्त श्रमिक संगठन सी0पी0आई0 के कब्ज़े में हैं जो कि कम्पनी के साथ सांठ गांठ कर इस मैदान पर अपना नियंत्रण बनाये रखते हैं। रेणूकूट में कम्पनी विरोधी कोई भी गतिविधि न हो पाए इसका ध्यान यह मान्यता प्राप्त श्रमिक संगठन भी रखते हैं। उन्होंने कहा कि 2 सितम्बर 2015 को देश भर में 11 केन्द्रीय मज़दूर संगठनों द्वारा हड़ताल की गई लेकिन यह हड़ताल रेणूकूट स्थित हिंडाल्कों कम्पनी में पुलिस एवं मान्यता प्राप्त संगठनों के सहयोग से नहीं की गई। मई दिवस का कार्यक्रम करने के लिए मज़दूर एकता संघ स्वतंत्र यूनियन के नेताओं द्वारा सी0पी0आई के नेताओं से भी बात कर गांधी मैदान में सहयोग की बात की गई, लेकिन सी0पी0आई के नेताओं ने उन्हें कहा कि अगर मई दिवस मनाना है तो मजदूर एकता संघ को सी0पी0आई के बैनर तले आना होगा तभी गांधी मैदान में इस कार्यक्रम को करने की अनुमति दी जाएगी। इस पर अजित एवं उनके साथीयों ने विरोध किया तथा कहा कि मजदूर दिवस किसी एक पार्टी का या फिर एक श्रमिक संगठन का नहीं है इसलिए वे किसी के बैनर तले नहीं जाएंगे।
रोमा ने बताया कि मई दिवस के कार्यक्रम को रेणूकूट में आयोजन करने के सिलसिले में उनके साथ तीन अन्य महिला साथियों सोंकालो गोण, शोभा भारती एवं शिवकुमारी द्वारा जिलाधिकारी चन्द्रभूष्ण सिंह से 28 अप्रैल को मुलाकात की गई व मई दिवस को रेणूकूट में मनाने के लिए अनुमति मांगी। जिसके लिए उन्हेांने आश्वस्त किया कि वह इस सम्बन्ध में पुलिस रिपोर्ट मांगेंगे व उन्हें सूचित करेंगें। लेकिन अगले ही दिन दो मजदूर नेताओं की गैरकानूनी रूप से गिरफ्तारी ने हमें अचंभित कर दिया व प्रशासन के इस गैर प्रजातांत्रिक रवैये पर सवालिया निशान लगा दिया। कार्यक्रम करने की अनुमति न दिए जाने के संदर्भ में लिखित में भी दिया जा सकता था लेकिन मई दिवस के कार्यक्रम को व्यक्तिगत मुददे से जोड़कर मासूम मजदूर नेताओं की जेल में भेजना निश्चित रूप से मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन है व संविधान में अभिव्यक्ति की आजादी का खुला उल्लंघन है।
रोमा ने आरोप लगाया कि सपा सरकार एवं सोनभद्र प्रशासन की यह कार्यवाही इस लिए की गई चूंकि वे भयभीत थे कि सोनभद्र के तमाम आंदोलन एक जगह संगठित हो रहे हैं। मजदूर दिवस के इस मौके पर वनाधिकार कानून के प्रभावी क्रियान्वन, कनहर बांध के लिए किए जा अवैध भू अधिग्रहण का विरोध, हिंडाल्कों कम्पनी द्वारा गैरकानूनी रूप से 250 बदली मजदूरों को बिना नोटिस दिए काम से निकाल देना, आदिवासी बालक मिथिलेश गोंण की हिंडाल्कों के डाक्टरों द्वारा लापरवाही के कारण 14 जुलाई 2013 को हुई मृत्यु, दलित महिला शोभा के घर पर माफियाओं द्वारा प्राणघातक हमला, भविष्य निधि में मजदूरों को रिटायरमेंट के बाद धन निकालने के आदेश व तमाम मजदूर वर्ग को सामाजिक सुरक्षा जैसे विभिन्न मुददे इसमें शामिल थे। प्रशासन, कम्पनी एवं शासन के लिए मजदूर वर्ग और गांवों से समुदाय की एकजुटता खतरे की घंटी है जिसे वे किसी भी कीमत पर होने नहीं देना चाहते। जनपद सोनभद्र में किसी भी विरोध को दबाने के लिए पुलिस प्रशासन खुले रूप से आदिवासी दलितों का दमन करने पर उतारू है। इसका ताजा उदाहरण कनहर बांध परियोजना में किए जा रहे अवैध भू अधिग्रहण के खिलाफ पिछले वर्ष जनआंदोलन था जिसमें प्रशासन द्वारा अम्बेडकर जयंती के दिन ही गोली चलाई गई एवं अकलू चेरो का घायल कर दिया गया। साथ ही 18 अप्रैल 2015 को आंदोलनकारी जनता पर प्राणघातक हमला कर कई महिलाओं, बच्चों और बूढ़ो को घायल कर दिया गया। इस बापत कई आंदोलनकारीयों को महीनों जेल में भी रहना पड़ा। इस गोलीकांड व अन्य हिंसक घटना पर अभी तक सरकार द्वारा दोषी अफसरों पर एक भी एफ0आई0आर दर्ज नहीं की गई। लेकिन आंदोलन पीछे नहीं हटा व इस आंदोलन की आग अन्य स्थानेां पर शोषित जनता के पास भी पहुंची।
रोमा ने कहा, “रेणूकूट हिंडाल्को कम्पनी में काम करने वाले 250 बदली मजदूरों को पिछले वर्ष बिना नोटिस दिए निकाल दिया गया। इसपर मजदूरों ने भूख हड़ताल की व कम्पनी एवं श्रमायुक्त को मजबूर किया कि वे उनके साथ समझौता करें। समझौते के अनुसार यह तय हुआ कि सभी मजदूरों को पुराने वेतन मान यानि 30000 रू पर फिर से नियुक्ति की जाए। समझौता होने के बावजूद भी कम्पनी द्वारा इसका पालन नहीं किया गया व आंदोलनकारी मजदूरों पर कम्पनी के गुंडों द्वारा लगातार हमला जारी रहा। कम्पनी ने मजदूरों को बाध्य किया कि वे 10000 के वेतन मान पर फिर से काम पर लौट सकते हैं लेकिन मजदूर इसपर सहमत नहीं हुए व उन्होंने अपनी मांगों की पूर्ति के लिए आंदोलन करने की ठानी। इन मजदूरों ने अखिर जनपद में चल रहे बाकि जनांदोलनों से जुड़ने की तैयारी की। और इसी जुड़ाव के तहत मजदूरों के शोषण को रोकने व शासन की गुंडागर्दी के खिलाफ आम लोगों को जागृत करने के लिए मई दिवस पर कार्यक्रम करने की तैयारी की गई। मई दिवस के इस ऐतिहासिक दिन पर हर साल हर देश में मज़दूर अपने संघर्षों के इतिहास से आपने आप को प्रेरित करते है । लेकिन कार्यक्रम करने से पहले ही अजित एवं विक्रम को झूठे मुकदमें में शांति भंग दिखा कर जेल भेज दिया गया। इस मामले में रेणूकूट के तमाम बड़े मान्यता प्राप्त श्रमिक संगठन खामोश खड़े तमाशा देख रहे हैं व दोनों नेता रात भर थाने में रहे उन्हें किसी भी राजनैतिक दल के कोई नेता न देखने गया व न ही किसी ने विरोध किया। प्रशासन की इस दमनात्मक रवैया पर हमारी यूनियन बेहद ही आक्रोषित है व हर तरफ आदिवासी, दलित एवं मजदूरों में इसका कड़ा विरोध किया जा रहा है। हमारी यूनियन द्वारा इस सम्बन्ध में मुख्य मंत्री श्री अखिलेश यादव को पत्र लिख इस घटना पर कड़ी कार्यवाही करने के लिए लिखा है।
मई दिवस के इस त्यौहार पर जनांदोलन एवं जनसंगठनों का दमन करने की नीति शासन, प्रशासन एवं कम्पनी ने मिल कर तैयार की क्योंकि उन्हें डर है कि यह सब जनांदोलन अगर एकजुट हो जाएगें तो उनकी प्राकृतिक संसाधनों की लूट, जल जंगल जमींन की लूट एवं मजदूरों के श्रम की लूट में कामयाबी हासिल नहीं हो पाएगी। मौजूदा शासन प्रशासन श्रमजीवी समाज के निहत्थे लोगों को मई दिवस के पर्व को न मनाने देने की नीति से ही यह स्पष्ट कर दिया है कि सभी सरकारें कारपोरेट व कम्पनीयों की पिछलग्गू है व उन्हें जनता के मुददों से कोई लेना देना नहीं है।
इस प्रकरण को लेकर हमारी यूनियन जल्द ही देश व्यापी नीति बना कर उत्तरप्रदेश सरकार एवं सोनभद्र प्रशासन के खिलाफ एक बड़ा मोर्चा तैयार कर जनांदोलन को व्यापक करने का काम करेगी। तथा सभी जनांदोलनों को एक साथ ला कर इस भ्रष्ट तंत्र, पूंजीवाद, सांमतवाद एवं साम्प्रदायिकता व जातिवाद के खिलाफ व्यापक जनांदोलन तैयार करेगी।“
अखिल भारतीय वन जन श्रमजीवी यूनियन ने मांग की है कि
- सरकार एवं प्रशासन द्वारा मज़दूर साथियों पर लगाए गए तमाम फर्जी मुकदमें वापिस करे।
- मई दिवस को कलंकित करने के जिम्मेदार अधिकारियों के ऊपर अनुशासात्मक कार्यवाही हो।
- श्रमिकों व आम जनता को संविधान में प्रदत्त अनुच्छेद का पालन कर उनके संवैधानिक अधिकारों को बहाल किया जाए।