सपा राज में हुए सांप्रदायिक हिंसा में कातिलों को कैसे मिली जमानत, अखिलेश जवाब दें - रिहाई मंच
सपा राज में हुए सांप्रदायिक हिंसा में कातिलों को कैसे मिली जमानत, अखिलेश जवाब दें - रिहाई मंच
विकास के नाम पर सोनभद्र के कनहर में आदिवासी जनता पर अखिलेश सरकार चलवा रही है गोली
हाशिमपुरा जनंसहार पर प्रदेश सरकार के इंसाफ विरोधी रवैए के खिलाफ रिहाई मंच ने शुरु किया जन अभियान
20 को विधानभवन के सामने मशाल जुलूस, 26 को गंगा प्रसाद हॉल, अमीनाबाद में होगा जनसम्मेलन
लखनऊ 15 अपै्रल 2015। हाशिमपुरा जनसंहार पर प्रदेश सरकार के इंसाफ विरोधी रवैए के खिलाफ रिहाई मंच ने फूलबाग लखनऊ में नुक्कड़ सभा कर शुरु किया जनअभियान, 20 अप्रैल को होगा विधानभवन के सामने मशाल मार्च और 26 को गंगा प्रसाद मेमोरियल हॉल अमीनाबाद में होगा जनसम्मेलन। जनअभियान के तहत 16 को चिकमंडी स्थित मस्जिद जमीयतुल कुरैश मौलवीगंज के पास, 17 अप्रैल को बिलौजपुरा, 18 अप्रैल को मछलीमोहाल, 19 अपै्रल को मोअज्जम नगर, 20 अपै्रल को हजरतगंज, 21 अपै्रल को पुल गुलाम हसन में देर शाम नुक्कड़ सभाओं के आयोजन समेत पूरे लखनऊ में हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा।
रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि पिछले दिनों हाशिमपुरा के अदालती फैसले ने यह साफ कर दिया है कि किस तरह से यूपी की सरकारों ने 42 बेगुनाहों के हत्यारों को बचाने के लिए न सिर्फ हर संभव मदद की बल्कि दोषियों का संरक्षण कर उनके हौसले को बुलंद किया। उन्होंने कहा कि इस मामले में न सिर्फ कमजोर विवेचना की गई बल्कि सबूतों को दोषियों को बचाने के लिए मिटाया गया। ऐसे में यह मामला अगर ऊपरी अदालत मे जाता भी है तो दोषियों को ही फिर से बचाएगा जैसा कि सरकार भी चाहती है। इसीलिए वह लगातार मांग के बावजूद इस मामले की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सबीआई या एसआईटी जांच से भाग रही है, क्योंकि उसे जनता के मनोबल के बजाए दोषी पुलिस वालों के मनोबल को बचाने की ज्यादा फिक्र है जिससे आगे वह किसी और हाशिमपुरा को दोहरा सके। उन्होंने कहा कि जनअभियान के तहत हाशिमपुरा, मलियाना, मुरादाबाद, कानपुर समेत विभिन्न दंगों की जांच आयोगों की रिर्पोटों जिन्हें सरकार ने संघ परिवार और पुलिस के साम्प्रदायिक तत्वों को बचाने के लिए दबा कर रखा है, को सार्वजनिक करने की मांग पर जनता से आंदोलन से जुड़ने का आह्वान किया जा रहा है।
रिहाई मंच नेता राजीव यादव ने कहा कि सपा राज में मुलायम के पुत्र और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी अपने पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए मुसलमानों को आर्थिक और शैक्षिक रूप से कमजोर करने की हर कोशिश में लगे हैं जिसका ताजा उदाहरण ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती उर्दू, अरबी, फारसी यूनिवर्सिटी लखनऊ में उर्दू, अरबी और फारसी की अनिवार्यता समाप्त किया जाना है और इन विषयों में प्राप्त अंकों को मार्क्सशीट में न जोड़े जाने का ऐलान है। जिसके चलते उर्दू, अरबी और फारसी भाषाओं के विकास के नाम पर बने इस विश्वद्यिालय में दाखिले का सपना देख रहे इन भाषाओं के छात्र इस विश्वविद्यालय में नहीं पहुंच सकते। जिस पर सपा के कथित मुस्लिम नेताओं की चुप्पी और भी शर्मनाक है और यह साबित करता है कि सपा में उनकी हैसियत गुलामों की है जो न तो दंगों पर बोल पाते हैं ना ही उर्दू के विकास के पर। रिहाई मंच नेता ने कहा कि अभियान के तहत इस मसले को प्रमुखता से उठाया जा रहा है।
फूलबाग लखनऊ में जनअभियान को सफल बनाने की अपील करते हुए नागरिक परिषद के रामकृष्ण, सैयद मोइद ने कहा कि नाइंसाफी का जो सिलसिला बिहार के बाथे, बथानीटोला, मियांपुर, शंकर बिगहा से होते हुए हाशिमपुरा पहुंचा है और पिछले दिनों जिस तरीके से आंध्र और तेलंगाना में मजदूरों और अल्पसंख्यकों को पुलिस ने जिस आक्रमकता से कत्ल किया उसके खिलाफ जनता के व्यापक गोलबंदी के लिए यह अभियान चलाया जा रहा है। सैयद मोइद, लक्ष्मण प्रसाद, आदियोग, शाहनवाज, राजीव यादव ने नुक्कड़ सभा को संबोधित किया व संचालन अनिल यादव ने किया।


