अभिषेक श्रीवास्तव

कल लखनऊ की सड़कों पर लोकतंत्र का सैलाब आया हुआ था।

तड़के सात बजे कम से कम तीस से चालीस हज़ार होमगार्ड जीपीओ पार्क और उसके आसपास मंडरा रहे थे। उसके बाद आया आशा कार्यकर्ताओं का हरा सैलाब। सैकड़ों महिलाएं हरी साड़ियों में वहां जुटीं। थोड़ी देर बाद शिक्षक संघ भी पहुंच गया और दस बजते-बजते आधा शहर जाम हो गया।

कुछ दूरी से हुड़ुक की आवाज़ आई, तो पता चला कि सड़क की दूसरी तरफ़ पंक्तिबद्ध गोंड आदिवासियों का गाजे-बाजे युक्‍त एक जत्‍था दारुल शफ़ा की ओर चला जा रहा है। ये गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के लोग थे। अधिकतर बुजुर्ग। सब बलिया से।

बिसंभर गोंड से मैंने पूछा कि क्‍या करने आए हैं, क्‍या मांगें हैं। घुघुनी फांकते हुए एक कुरते वाले की ओर इशारा करते हुए वे बेपरवाही से बोले,

”नेताजी से पूछिए।”

आज से निरुत्‍तर प्रदेश के सभी सरकारी कर्मचारी हड़ताल पर जा रहे हैं। परसों डॉक्‍टरों की हड़ताल के कारण हज़ार मरीज़ों का ऑपरेशन नहीं हो सका था। लग रहा है कि चुनाव करीब है, लेकिन समाजवादी सरकार भांग खाकर मस्‍त है।

सारा अमला नए सचिवालय का काम 15 अगस्‍त तक पूरा करने में जुटा हुआ है जबकि नगर निगम की क्रेन को कुछ नहीं मिला तो चौराहे से पुलिस का वाहन ही उठाकर ले गई।

बाइ द वे, शिक्षा का सायकिल चलाने से क्‍या रिश्‍ता है, अगर समझ में आए तो प्‍लीज़ कोई बता दे।

(अभिषेक श्रीवास्तव ने यह टिप्पणी फेसबुक पर बीती 10 अगस्त को लिखी थी। साभार)

Web Title: Samajwadi government is intoxicated after consuming cannabis