मेरठ ,गाजियाबाद के निजीकरण की प्रक्रिया शुरू होने से बिजली कर्मचारी उत्तेजित

लखनऊ में 13 सितम्बर को संघर्ष समिति की बैठक में आंदोलन की रणनीति तय होगी
लखनऊ। डॉ. राम मनोहर लोहिया के नाम की माला जपने वाले और सिर पर लाल टोपी पहनने वाले तथाकथित समाजवादी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सरकार बिजली के निजीकरण की दिशा में चोरी-चुपके कदम उठाकर कौन से समाजवाद का परिचय दे रही है, यह बड़ा कठिन सवाल पैदा हो गया है और प्रदेश के बिजली कर्मचारियों का गुस्सा बढ़ गया है।
मेरठ और गाजियाबाद शहरों के बिजली वितरण के निजीकरण हेतु डेटा कलेक्शन की प्रक्रिया शुरू होते ही विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उ प्र के नेतृत्व में मेरठ और गाजियाबाद के बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों ने इसके विरोध में जोरदार धरना और प्रदर्शन शुरू कर दिया है। प्रांतीय स्तर पर व्यापक आंदोलन की रणनीति तय करने हेतु संघर्ष समिति की लखनऊ में 13 सितम्बर को बैठक हो रही है ।
संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे व अन्य प्रमुख पदाधिकारियों डी सी दीक्षित, गिरीश पाण्डे, सदरुद्दीन राना, चंद्रप्रकाश अवस्थी बब्बू, जी सी शर्मा, राजेंद्र घिल्डियाल, भगवान मिश्र, पुसे लाल, विमलेश कुमार श्रीवास्तव और ए के श्रीवास्तव ने आज यहाँ बताया कि मेरठ, गाजियाबाद, वाराणसी और कानपुर शहरों के निजीकरण हेतु पावर कार्पोरेशन ने मेसर्स मेकॉन को सलाहकार नियुक्त किया है जिसका विरोध करने पर पावर कार्पोरेशन प्रबंधन ने लिख कर दिया था कि इन शहरों के निजीकरण की कोई योजना नहीं है किन्तु अब मेसर्स मेकॉन की और से मेरठ और गाजियाबाद शहरों का बिजली वितरण का डेटा एकत्र करने की कार्यवाही शुरू की है जिससे बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों में भारी गुस्सा व्याप्त हो गया है। मेरठ और गाजियाबाद में बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों ने निजी सलाहकार की तत्काल वापसी की मांग करते हुए एम डी कार्यालय मेरठ और गाजियाबाद में रोज एक घंटे प्रदर्शन करना प्रारम्भ कर दिया है।

संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि प्रदेश बिजली संकट से गुजर रहा है और बिजली कर्मचारी व इंजीनियर पूर्ण मनोयोग से बिजली व्यवस्था सुधार में लगे हैं ऐसे में निजीकरण की प्रक्रिया शुरू करना भड़काने वाला कदम है जिसे तत्काल वापस लिया जाये अन्यथा सभी ऊर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मचारी व इंजीनियर प्रांतव्यापी आंदोलन का फैसला लेने हेतु विवश होंगे जिसकी सारी जिम्मेदारी पावर कार्पोरेशन प्रबंधन की होगी।

संघर्ष समिति की बैठक 13 सितम्बर को सायं 04 बजे राणा प्रताप मार्ग स्थित हाइडिल फील्ड हास्टल में होगी ।

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