सरकारी विज्ञापन में संविधान की प्रस्तावना से समाजवादी और सेक्यूलर शब्द ग़ायब, राठौड़ ने दी सफाई
सरकारी विज्ञापन में संविधान की प्रस्तावना से समाजवादी और सेक्यूलर शब्द ग़ायब, राठौड़ ने दी सफाई
नई दिल्ली। क्या केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने भारत के संविधान की प्रस्तावना से समाजवादी और सेक्यूलर शब्द हटाकर हिंदू राष्ट्र बनाने की दिशा में पहला कदम बढ़ा दिया है ?
अभी तक ऐसा है नहीं, पर गणतंत्र दिवस पर दिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के विज्ञापन से विवाद पैदा हो गया है। इस विज्ञापन में संविधान की प्रस्तावना से समाजवादी और सेक्यूलर शब्द ग़ायब हैं। इस विज्ञापन को लेकर कांग्रेस ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है।
विज्ञापन में संविधान की प्रस्तावना दी गई है, लेकिन 1976 में 42वें संविधान संशोधन के जरिए जोड़े गए समाजवाद और सेक्यूलर शब्द नदारद हैं।
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने इस पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। उन्होंने ट्वीट किया कि संविधान की प्रस्तावना से सोशलिस्ट और सेक्यूलर शब्द हटा दिए गए। क्या इनकी जगह कम्यूनल और कार्पोरेट शब्दों को डाला जाएगा? (Const-India Sovereign Secular Socialist Democratic Republic Govt Ad deletesSecular&Socialist Prelude to substitution with Communal&Corporate)
Const-India Sovereign Secular Socialist Democratic Republic Govt Ad deletesSecular&Socialist Prelude to substitution with Communal&Corporate
— Manish Tewari (@ManishTewari) January 27, 2015
हालांकि भाजपा ने बचाव करते हुए कहा है कि ये जानबूझकर नहीं हुआ। पार्टी के प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हाराव के मुताबिक ऐसा जानबूझकर नहीं किया गया और इस बारे में सूचना प्रसारण मंत्रालय स्थिति स्पष्ट करेगा।
बाद में सूचना प्रसारण राज्यमंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने सरकार का पक्ष रखा। निजी समाचार चैनल एनडीटीवी ने खबर दी है कि राठौड़ के मुताबिक विज्ञापन में सेक्यूलर और सोशलिस्ट शब्द नहीं दिख रहे हैं। ये दोनों शब्द 1976 में किए गए संशोधन के बाद आए हैं, पर इसका मतलब ये कहना कतई नहीं है कि उससे पहले की सरकार सेक्यूलर नहीं थी। राठौड़ का कहना है कि विज्ञापन में वही तस्वीर इस्तेमाल की गई है, जो पहले गणतंत्र दिवस के समय थी। राठौड़ ने ये भी कहा कि संविधान की प्रस्तावना की यही तस्वीर पिछले साल अप्रैल भी सरकार के विज्ञापन में इस्तेमाल की गई थी और तब से अब तक सिर्फ सरकार ही बदली है। राठौड़ का कहना है कि दोनों विज्ञापनों में कुछ भी गलत नहीं है, लेकिन जिस तरह से इसे गलत बताया जा रहा है वह ठीक नहीं है।
इस विज्ञापन पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की निंदा करते हुए इंडिया रेसिस्ट नाम के अंग्रेजी पोर्टल ने #DefendIndianConstituion नाम से एक हस्ताक्षर अभियान चलाया है और सरकार से मांग की है कि वह इस शरारतपूर्ण विज्ञापन पर देश से माफी मांगे।


