ग्रीनपीस ने गृह मंत्रालय से पारदर्शी होने और आधारहीन आरोप न लगाने की अपील की।
नई दिल्ली, 9 जुलाई 2014। वित्तीय अनियमितता के नाम पर जिस तरह लोकतंत्र का गला घोटना चाह रही है उससे ग्रीनपीस इंडिया निराश और सदमे में है। ग्रीनपीस इंडिया ने कहा है कि उसने देश के सभी कानूनों का अक्षरशः पालन किया है और हर तरह की जांच के लिए तैयार है। जिस तरह सरकार बिना किसी सूचना के ग्रीनपीस इंडिया को बदनाम करने की साजिश कर रही है इसके कारण वह मानने को मजबूर है कि सरकार कारपोरेट एजेंडा को लागू करने के लिए यह जान बूझ कर कर रही है।
ग्रीनपीस इंडिया ने इस बात को दुहराया है कि उसे गृह मंत्रालय से अभी तक कोई सूचना नहीं मिली है और इसलिए सरकार से इसका तुरंत जवाब देने की मांग की है। ग्रीनपीस इंडिया आरटीआई दाखिल कर सरकार के उन कथित सवालों के बारे में जानकारी मांगेगी जो उसने एनजीओ से पूछा था। इसके अलावा ग्रीनपीस इंडिया सरकार को चिठ्ठी लिखकर कुछ बहुत ही जरूरी प्रश्नों का जवाब भी मांगने वाली है, जिसका जवाब सरकार को देना चाहिए।
ग्रीनपीस इंडिया के कार्यकारी निदेशक समित आईच का कहना है, " कि ….जब हमने ग्रीनपीस इंटरनेशनल से वित्तीय हस्तांतरण के लिए अपने बैंक आई डी बी आई से संपर्क किया तो पता चला कि उसे रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया(आर बी आई) ने आदेश दिया है कि ग्रीनपीस इंडिया गृह मंत्रालय से इस संदर्भ में मंजूरी के बगैर इस पैसे का इस्तेमाल नहीं कर सकती है। यह जानकारी हमें अखबारों से मिली थी लेकिन हमें न एफसीआरए के रिव्यू के लिए कोई अनुदेश मिला है और ना ही सरकार की तरफ से हमें इस संदर्भ में किसी तरह की कोई सूचना दी गई थी।"
विडबंना यह है कि इस मामले में ग्रीनपीस इंडिया को पूरी तरह अंधेरे में रखा गया है। समित आईच का कहना है कि यह लगातार हमारे प्रधानमंत्री के लोकतंत्र में पारदर्शिता के सिद्धांत के खिलाफ है। यह बड़े शर्म की बात है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में जो भी व्यक्ति सरकार के अनुचित नीतियों का विरोध और न्याय के पक्ष में लड़ना चाहते हैं, उनकी आवाज को दवा दिया जाता है।
पारदर्शिता के हित में ग्रीनपीस इंडिया ने सरकार से जानना चाहा है कि
क. किस अनियमितता के लिए ग्रीनपीस को दोषी ठहराया जा रहा है?
ख. अभी तक किस तरह की जांच शुरू की गई है?
ग. किस सूचना या तथ्यों के आधार पर यह आरोप लगाया गया है?
घ. क्या बैंक को लिखे गए चिठ्ठी की जानकारी जनता को है?
श्री आईच ने कहा कि ऐसा लगता है कि सरकार बिना किसी पारदर्शिता के ग्रीनपीस इंडिया पर आई बी की संदिग्ध रिपोर्ट और मीडिया में छपी खबरों के आधार पर एक निर्णय सुना दिया है।
खुफिया ब्यूरो के रिपोर्ट के लीक होने के लगभग एक महीने बाद पहली बार गृह राज्य मंत्री किरेण रिजीजू ने कल संसद में इस बात को इस बात को स्वीकार किया था कि विदेशी धन लेने वाले कुछ एन जी ओ देश के विकास को रोक रहे हैं। हालांकि गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आज आई बी रिपोर्ट लीक होने की जांच के आदेश दिए हैं। वैसे यह काफी देर से उठाया गया बहुत ही छोटा कदम है।
समित आईच का कहना है कि मीडिया के लगातार हमले के बावजूद ग्रीनपीस को अभी तक कोई अधिकारिक सूचना नहीं मिली है। हम गृह मंत्रालय से लगातार बातचीत करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन इसका कोई लाभ नहीं हुआ है। लेकिन जिस दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से मीडिया में रिपोर्ट लीक की गई उस स्थिति में सरकार की यह नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वह पारदर्शिता की खातिर हमें जवाब दें।
ग्रीनपीस इंडिया ने मांग की है कि सरकार इस तरह की कार्यवाही को रोके। ग्रीनपीस इंडिया ने भाजपा के नेतृत्व वाली एक महीने पुरानी सरकार से अपेक्षा की है कि जनता के हित में विरोध का स्वर उठाने वाले ग्रीनपीस जैसे संगठन को निजी स्वार्थ के हित में न कुचले।