सरकार की नाक में दम कर रहे अचूक संघर्ष के संपादक पर मुकदमा
आपकी नज़र | चौथा खंभा | हस्तक्षेप Uttar Pradesh: Case filed against the editor of Achhook Sangharsh who is suffocating the government.

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Uttar Pradesh: Case filed against the editor of Achhook Sangharsh who is suffocating the government.
लोकतंत्र में पत्रकारिता को चौथा स्तम्भ माना जाता है, यहां तक कि जब कहीं सुनवाई नहीं होती है तो लोग चाहते हैं कि उनकी समस्या समाचार पत्रों में छप जाए। डिजिटल के युग में न्यायालय में प्रिंट मीडिया में छपी खबर को साक्ष्य मान लेती है जब विपक्ष के नेताओं का सत्ता उत्पीड़न करती है तो विपक्ष भी समाचार पत्र से अपेक्षा रखता है कि उनकी खबर अच्छे से छपे, लेकिन जब विपक्ष वाले नेता सत्ता में आते हैं तो चाहते हैं कि खबरें उनके पक्ष में ही छपें। लेकिन विपक्ष में छपा तो आप उनके दुश्मन नबंर 1 हैं। फिर क्या एक ही रटा-रटाया आरोप कि 'पैसे के लिए कर रहे हैं' फिर पत्रकार का उत्पीड़न शुरू हो जाता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र तथा आध्यात्मिक एवं पौराणिक नगरी वाराणसी से पिछले तीन वर्षों से एक समाचार पत्र अनवरत निकलता आ रहा है। नाम है "अचूक संघर्ष" जिसकी अधिकांश खबरें जनसरोकार से नाता रखते हुए, सरकार की संचालित योजनाओं की खामियों को उजागर कर शासन-प्रशासन तक पहुंचाने से लेकर सरकार विरोधी होती हैं। सरकार विरोधी इस लिए लिखना पड़ रहा है कि सच लिखने और भ्रष्टाचार को उजागर करने का मतलब ही मौजूदा दौर में 'सरकार विरोधी' हो गया है। इसी समाचार पत्र "अचूक संघर्ष" में लगातार दो बार क्रमशः परिवहन विभाग में चल रहे कथित करोड़ों के काला कारोबार की एक्सक्लूसिव खबरें प्रकाशित की गई थीं, जिसमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार में परिवहन मंत्री दयाशंकर को सीधे-सीधे जिम्मेदार व हिस्सेदार बताया गया था। कहा जा रहा है कि जिस प्रमोद सिंह की खबर "अचूक संघर्ष" समाचार पत्र में छपी थी उससे तहरीर दिला कर बिना जांच के ही "अचूक संघर्ष" के संपादक अमित मौर्य पर मुकदमा दर्ज कर दिया गया।
इस बाबत जानकारी देते हुए संपादक अमित मौर्य ने बताया कि "जब मैं अपने घर से निकला ही नहीं तो उसके (आरोप लगाने वाले प्रमोद सिंह) के घर कैसे पहुंच गया? जिस वक्त के आरोप लगाए गए हैं उस वक्त जबकि मैं अपने आवास पर ही था जिसके सीसीटीवी फुटेज भी हैं।
यहां यह बताना उचित रहेगा कि प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के तत्कालीन चेयरमैन व पूर्व मुख्य न्यायाधीश मार्कण्डेय काटजू ने आदेश दिया था कि पत्रकार भीड़ का हिस्सा नहीं है। बगैर जांच किये पत्रकार पर केस दर्ज न किया जाय, लेकिन पुलिस आज भी अंग्रेजी राज की तरह ही है। सत्ता से टकराने पर सत्ता के कहने पर ही काम करती है चाहे हो पत्रकार हो चाहे विपक्ष के नेता हो। पत्रकारों का उत्पीड़न जोर शोर से हो रहा है।
———क्या है पूरा मामला ——-
प्राप्त जानकारी के अनुसार वाराणसी के धारदार हिन्दी साप्ताहिक अखबार "अचूक संघर्ष" के संपादक अमित मौर्य उर्फ अमित कुमार सिंह के खिलाफ पूर्वांचल ट्रक ऑनर्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष प्रमोद सिंह ने थाना पांडेयपुर-लालपुर वाराणसी में 28 सितंबर 2023 को धारा 386, 389, 504, 506 में मुकदमा दर्ज कराया है। बताया जाता है कि प्रमोद सिंह का आरोप है कि अमित मौर्य ने उनसे कहा कि आप आरएस यादव की मुकदमे की पैरवी मत करिए तो आरएस यादव आपको 1 करोड़ देंगे, अगर आप उक्त मुकदमे से नहीं हटते हैं तो 1 लाख रुपया प्रतिमाह मुझे आप को देना पड़ेगा, आप पैसा नहीं देते है तो मैं आप के खिलाफ अपने समाचार पत्र अचूक सँघर्ष में खबर निकालूंगा, जिससे आप की छवि खराब होगी।
इस संबंध में अचूक संघर्ष समाचार पत्र के संपादक अमित मौर्य ने पुलिस आयुक्त वाराणसी को एक प्रार्थना पत्र दिया है, जिसमें उन्होंने इस मामले की निष्पक्ष जांच कराए जाने का अनुरोध किया है।
अमित कुमार ने लिखा है कि उनके खिलाफ जो मुकदमा दर्ज कराया गया है उसमें कोई सत्यता नहीं है। जिस दिन की बात प्रमोद सिंह द्वारा की गई है उस दिन तो मैं अपने ऑफिस, जहां कि मैं स्वयं रहता भी हूं वहां से निकला तक नहीं। पत्र में लिखा है कि चूंकि प्रमोद कुमार सिंह से उनके संबंध हैं तो आना जाना लगा रहता है, लेकिन इधर काफी समय से मैं उनके घर गया भी नहीं जिसकी पुष्टि सीसीटीवी कैमरे के माध्यम से की जा सकती है। और जब आरएस यादव जेल में थे तब मेरा अखबार भी नहीं निकलता था। ऐसे में सारे आरोप किसी गहरी साजिश की ओर इशारा करते हुए किसी के दबाव और साजिश में आकर लगाया जाना प्रतीत हो रहे हैं।
संपादक अमित मौर्य ने पुलिस आयुक्त को स्वयं द्वारा दिये गए प्रार्थना पत्र में लिखा है कि ये सब मन गढ़ंत आरोप लगाया गया है कि परिवहन विभाग में भ्रष्टाचार की खबर न छपे और आगे इस तरह का दबाव बना रहे।
पत्र में अमित मौर्य ने कहा कि चूंकि उन्होंने 20 सितंबर से 3 अक्टूबर के संयुक्तांक में इनके खिलाफ भ्रष्टाचार से जुड़ी खबर छापा था, सो इसी खुन्नस में झूठी तथ्यविहीन मुकदमा दर्ज करवा दिया गया है दबाव बनाने के लिए।
—-उप परिवहन आयुक्त वाराणसी परिक्षेत्र से प्रमोद सिंह के खिलाफ शासन को लिखा जा चुका हैं—-
बताया जाता है कि उप परिवहन आयुक्त वाराणसी परिक्षेत्र कार्यालय द्वारा खुद प्रमोद कुमार सिंह के खिलाफ शासन में उच्चाधिकारियों को लिखा गया है कि ये परिवहन विभाग के अधिकारियों से वसूली के लिए शिकायत करते है।
प्रमोद सिंह द्वारा अचूक संघर्ष के संपादक पर जो भी आरोप लगाए गए है उन्हें अमित मौर्य ने निराधार बताया है। यह सब इसलिए कि आगे खबर न छापा जाय। संपादक अमित मौर्य ने पुलिस आयुक्त वाराणसी से इस मामले की निष्पक्ष जांच कराए जाने की मांग की है। पत्र में लिखा है कि यदि मैं दोषी हूं तो मेरे खिलाफ कार्यवाही हो, यदि झूठे आरोप इन्होंने लगाए हैं तो प्रमोद सिंह के खिलाफ कार्यवाही कराने की महतीं कृपा करें।
वरिष्ठ पत्रकार स्वतंत्र लेखक अंजान मित्र कहते हैं
"आज के समय में जब अधिकतर अखबार सच लिखने से कतरा रहे हैं, अधिकतर अखबारों के पत्रकार चाय सिगरेट पर अपना ईमान बेच दे रहे हैं। ऐसे में जो भी अखबार व पत्रकार निष्पक्ष व सत्यता के साथ लिख रहे हैं उन्हें भ्रष्ट और बेईमान लोगों द्वारा डराया धमकाया जाता है। जो डराने धमकाने से नहीं मानते उन्हें झूठे केसों में फंसाया जाता है।" वह पुलिस आयुक्त वाराणसी से इस मामले की निष्पक्ष जांच कराकर पत्रकारों के हितों की रक्षा करने कि मांग करते हुए कहते हैं कि पुलिस आयुक्त वाराणसी जांच कर संपादक अमित को न्याय दिलाने का काम करें, ताकि भ्रष्टाचार करने वालों का मनोबल बढ़ने न पाए। साथ ही पत्रकारों में एक सुरक्षा की भावना जाग्रत हो और वह आगे भी निष्पक्ष और निडर होकर सत्यता के साथ काम कर सकें और समाज में फैली गंदगी को खत्म करने में सहयोग दे सके।
वाराणसी से एक स्वतंत्र पत्रकार
(यह लेखक के निजी विचार हैं।)


