सरकार ने पूंजीपतियों के एजेंट की तरह काम किया है-माकपा
सरकार ने पूंजीपतियों के एजेंट की तरह काम किया है-माकपा
रायपुर। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा जांजगीर-चांपा जिले के ग्राम बिर्रा में मोजर बेयर पॉवर प्लांट के लिए राज्य सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण पर रोक लगाने के फैसले का स्वागत किया है तथा कहा है कि भाजपा सरकार को इस फैसले का आदर करते हुए पूरे प्रदेश में निजी उद्योगों के लिए किये गए भूमि अधिग्रहण को निरस्त कर प्रभावित परिवारों को उनकी जमीन लौटाने का काम करना चाहिए।
आज यहां जारी एक बयान में माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने कहा कि छत्तीसगढ़ गठन के बाद से अब तक 'विकास' के नाम पर प्रदेश में 2.5 लाख हेक्टेयर से ज्यादा कृषि भूमि अधिग्रहीत की गई है. उन्होंने आरोप लगाया कि वास्तव में राज्य सरकार ने पूंजीपतियों के एजेंट की तरह काम किया है और उद्योगों व् बिल्डरों के लिए किसानों से जमीन छीनने के अपने अभियान में वर्त्तमान कानूनों को तोड़ने-मरोड़ने में भी कोई हिचक नहीं दिखाई है. इस अभियान में उसने आदिवासियों के वनाधिकारों की स्थापना किये बिना ही वनों से उन्हें बेदखल किया है. भाजपा सरकार के इस रूख से प्रदेश में कृषि संकट बढ़ा है और किसानों-आदिवासियों की स्थिति और खराब हुई है. इसका स्पष्ट नतीजा प्रदेश में घटती कृषि भूमि, घटते उत्पादन और बढ़ती किसान आत्महत्याओं के रूप में दिख रहा है.
माकपा नेता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्पष्ट है कि सार्वजनिक हित के नाम पर निजी प्रयोजनों के लिए किसानों से जमीन नहीं छीनी जा सकती. अतः ग्राम सभा की सहमति व 80% प्रभावितों की सहमति के बिना ' विकास व सार्वजनिक हित के नाम पर ' प्रदेश में किसी भी प्रकार का भूमि अधिग्रहण न किया जाएं. माकपा ने मांग की है कि भाजपा सरकार वर्ष 2013 में बने भूमि अधिग्रहण क़ानून को लागू करें तथा जिन उद्योगों ने पिछले पांच सालों में प्राप्त जमीन का उपयोग नहीं किया है, उस जमीन को संबंधित मूल किसानों को लौटाएं.


