सरगुजा में भूख से मौत: रमन-मोदी सरकार की नीतियां जिम्मेदार
सरगुजा में भूख से मौत: रमन-मोदी सरकार की नीतियां जिम्मेदार
सरगुजा में भूख से मौत
रायपुर। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने सरगुजा में एक बच्चे की भूख से मौत के लिए रमन-मोदी सरकार की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है तथा मांग की है कि सरकार न केवल पीड़ित परिवार को तत्काल राहत पहुंचाए, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए पीडीएस कार्यक्रम का सार्वभौमी करण करते हुए प्रत्येक परिवार को 35 किलो अनाज आबंटन सुनिश्चित करें और मनरेगा के अंतर्गत सभी ग्रामीण परिवारों को काम उपलब्ध करवाने के लिए पर्याप्त बजट आबंटन सुनिश्चित करें.
आज यहां जारी एक बयान में माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने कहा है कि घटना के संबंध में जो तथ्य सामने आये हैं, उससे स्पष्ट है कि मनरेगा के तहत गांवों में काम न मिलने और बड़े पैमाने पर गरीबों के राशन कार्डों के निरस्तीकरण का नतीजा भूखमरी के रूप में सामने आ रहा है. पार्टी ने आरोप लगाया है कि छत्तीसगढ़ में लोग भूख से मर रहे हैं और रमन सरकार अपने मंत्रिमंडल विस्तार तथा मोदी सरकार अपने एक वर्ष का कार्यकाल पूरा होने के जश्न में डूबे हुए है और आम जनता की तकलीफों से इनका कोई लेना-देना नहीं है.
उन्होंने कहा है कि एक ओर मोदी सरकार ने बजट में मनरेगा के मद में कटौती की है और प्रदेश को वांछित राशी नहीं दी है, वहीँ दूसरी ओर रमन सरकार भी केन्द्र सरकार की 'कटौती योजना' का पूरी ईमानदारी से पालन कर रही है तथा उसने सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिये आबंटित अनाज की मात्र में भारी कटौती कर दी है. समाज कल्याणकारी कार्यों में कटौती के ये कदम नव-उदारवादी नीतियों के अमल के तहत उठाये जा रहे हैं, लेकिन इन नीतियों के गंभीर दुष्परिणाम सामने आने शुरू हो चुके हैं.


