सांताक्रूज़ में क्रास का अपवित्रीकरणः तथ्यान्वेषण रपट
सांताक्रूज़ में क्रास का अपवित्रीकरणः तथ्यान्वेषण रपट
सीएसएसएस टीम
‘डीएनए‘ समाचारपत्र में छपी एक रपट के अनुसार, 12 अप्रैल, 2017 की सुबह सांताक्रूज़ (पश्चिम) में गाओथान रोड के समीप एक क्रास को अपवित्र कर दिया गया है।
एशिया न्यूज़ डॉट आईटी नामक एक न्यूज़ पोर्टल के अनुसार, अज्ञात अपराधियों ने सांताक्रूज़ (पश्चिम) के एक स्थानीय चर्च में ईसा मसीह के क्रास को चप्पलों की माला पहनाकर अपवित्र किया।
एक अल्पसंख्यक व मानव अधिकार एनजीओ के अनुसार, पिछले वर्ष देश में ईसाईयों को प्रताड़ित करने की 85 बड़ी घटनाएं हुईं।
मुंबई में इसी तरह की घटना पिछले वर्ष सितंबर में जुहू में और इस वर्ष फरवरी में कुर्ला में हुई। ईसाई समुदाय के खिलाफ हिंसा की बढ़ती घटनाओं की पृष्ठभूमि में, सेंटर फॉर स्टडी ऑफ सोसायटी एंड सेक्युलरिज़्म (सीएसएसएस), जो कि सन 1993 से भारत में सांप्रदायिक सौहार्द के लिए काम कर रहा है, ने सांताक्रूज़ की घटना के संबंध में तथ्यों का पता लगाने का प्रयास किया।
सीएसएसएस द्वारा गठित तथ्यान्वेषण दल में सीएसएसएस के कार्यक्रम समन्वयक सूरज नायर और संस्था में इंटर्नशिप कर रही बोधिका दारोकर शामिल थे।
घटनास्थल पर दल ने निम्न व्यक्तियों से चर्चा कीः
(1) गाओथान के निवासियों - मिलड्रेड कार्लोस, एना गोम्स, जॉन डिसूज़ा और जोआना।
(2) राहुल दीक्षित, जो एक प्लास्टिक कंपनी में काम करते हैं और अपने काम के सिलसिले में प्रतिदिन गाओथान लेन आते हैं।
(3) रामा पुजारी, जो क्रास के सामने सड़क के उस पार स्थित फातिमा पान-बीड़ी शॉप के मालिक हैं।
(4) मैरी, जो क्रास के सामने, सड़क के उस पार स्थित एवेन्यूज़ प्रायवेट लिमिटेड में काम करती हैं।
(5) शिवानी एथनिक गर्ल्स कलेक्षन के कर्मचारी, जिन्होंने अपना नाम उजागर करने से इंकार कर दिया।
(6) सांताक्रूज़ पुलिस स्टेशन के सीनियर इंस्पेक्टर अशोक थूबे।
पृष्ठभूमि
सांताक्रूज़ रेलवे स्टेशन के नज़दीक, सांताक्रूज़ (पश्चिम) में स्थित गोआथान लेन में कई पीढ़ियों से ईसाई कैथोलिक समुदाय के सदस्य रहते आए हैं। उनके अनुसार वे अपने पुश्तैनी घरों में रहते हैं और उनका देश में और कहीं अपना घर नहीं है।
समुदाय के अधिकांश सदस्य निम्न मध्यम वर्गीय हैं। अधिकांश युवा या तो कॉल सेंटरों में काम करते हैं या वेल्डिंग की छोटी दुकानें चलाते हैं या स्कूली बच्चों को ट्यूशन पढ़ाते हैं। उनके घर संकरी गलियों में हैं। इस इलाके में लगभग 100 पुश्तैनी मकान हैं, जिनमें समुदाय के लगभग 300 सदस्य रहते हैं। गोआथान लेन के मुहाने पर एक ग्रोटो (गुफानुमा ढांचा) बना हुआ है, जिसके अंदर स्टील का ईसामसीह का क्रास और मदर मैरी की मूर्ति है। इस ग्रोटो के ठीक सामने, सड़क के उस पार, एवेन्यूज़ प्रायवेट लिमिटेड नामक एक निजी कंपनी का कार्यालय है। ग्रोटो की एक दीवार राज कम्प्यूटर एकेडमी से जुड़ी है।
ग्रोटो के बगल में गाड़ियां खड़ी करने का स्थान है और उससे लगी हुई कपड़ों की एक दुकान है जिसका नाम शिवानी एथनिक गर्ल्स कलेक्शन है।
यह घटना ‘लेंट‘ की पवित्र अवधि में हुई। लेंट, ईस्टर के पहले के 40 दिनों की अवधि होती है, जिसे ईसाई पवित्र मानते हैं और जिसके दौरान वे उपवास भी रखते हैं।
दल ने एफआईआर की एक प्रति प्राप्त की, जिसके अनुसार घटनाक्रम इस प्रकार थाः एफआईआर, मिल्ड्रेड कार्लोस द्वारा लिखाई गई, जो अपने पति और 18 साल के लड़के के साथ गाओथान लेन में पिछले 21 वर्षों से रह रहीं हैं। उनके पति वेल्डर हैं। रोज़ की तरह, 12 अप्रैल की सुबह लगभग सात बजे वे सेक्रेड हार्ट चर्च जाने के लिए अपने घर से निकलीं। जब वे ग्रोटो के पास से गुज़र रही थीं, तब उन्होंने देखा ईसा मसीह के पवित्र क्रास के नीचे किसी ने एक चप्पल रख दी है। वे घबरा गईं और ग्रोटो के पास स्थित बेंच पर बैठ गईं। उसके बाद, उन्होंने एना गोम्स को फोन कर वहां बुलाया। एना गोम्स ने भी क्रास पर रखी चप्पल देखी। उसके बाद उन दोनों ने समुदाय के अन्य सदस्यों को वहां बुलवाया।
मिल्ड्रेड को उनके समुदाय की एक अन्य सदस्य शेरोन एलेन डिसूज़ा, 36 ने बताया कि उनकी वेगन आर कार जिसका नंबर एमएच 02 बीआर 7403 है, का सामने का कांच चकनाचूर कर दिया गया था क्योंकि उन्होंने अपने रियरव्यू मिरर पर एक रोज़री (मनकों की एक माला जिसका इस्तेमाल रोमन कैथोलिक प्रार्थना करने के लिए करते हैं) लटकी हुई थी। एना गोम्स की मारूति स्विफ्ट (एमएच 04 सीएम 5061) का कांच भी इसी कारण तोड़ दिया गया था।
मिल्ड्रेड कार्लोस, एनागोम्स और शेरोन डिसूज़ा ने यह पाया कि उनकी कारों के अतिरिक्त, ग्रोटो के पास खड़ी और किसी कार को नुकसान नहीं पहुंचाया गया था। इससे वे इस नतीजे पर पहुंची कि उनकी कारों के सामने के कांच को सिर्फ इसलिए तोड़ा गया था क्योंकि रियरव्यू मिरर पर ईसा मसीह की रोज़री लटकी हुई थी। ईसा मसीह के पवित्र क्रास को चप्पलों से अपवित्र किए जाने से समुदाय के सदस्यों की धार्मिक भावनाएं आहत हुई थीं और इसलिए उन्होंने एफआईआर दर्ज करवाई।
घटनास्थल पर हमने ग्रोटो की बेंच पर खून के कुछ धब्बे देखे। हमने समुदाय के सदस्यों और आसपास रहने वाले लोगों से बात की।
जब हम मिल्ड्रेड कार्लोस और एना गोम्स से मिले, तब उन्होंने हमें बताया कि उन्होंने घटना के संबंध में जानकारी सातांक्रूज़ पुलिस थाने में तुरंत दे दी थी। इस सूचना के बाद, वहां पर थाने से एक कांस्टेबल पहुंचा और उसने सबसे पहले तुरंत वह चप्पल उठाकर दूर फेंक दी। यह मानक संचालन प्रक्रिया के खिलाफ था।
एना गोम्स ने एक लकड़ी से चप्पल को उठाकर फिर से ग्रोटो पर रख दिया क्योंकि उनका मानना था कि वह एक महत्वपूर्ण सबूत है। इसके बाद कांस्टेबल ने उस चप्पल को अपने नंगे हाथों से एक प्लास्टिक के बैग में रख दिया। एना का कहना है कि इससे सबूत के तौर पर चप्पल की उपयोगिता कम हो गई। कांस्टेबल ने आसपास के लोगों से कुछ और पूछताछ की और फिर दोपहर में पुलिस ने एवेन्यूज़ प्रायवेट लिमिटेड और शिवानी एथनिक गर्ल्स कलेक्शन में लगे सीसीटीवी कैमरों का फुटेज ले लिया। दोपहर बाद मिल्ड्रेड कार्लोस, एना गोम्स और कुछ अन्य पुलिस थाने पहुंचे और वहां उन्होंने एफआईआर दर्ज करवाई।
एवेन्यूज़ प्रायवेट लिमिटेड में काम करने वाली मैरी और शिवानी एथनिक गर्ल्स के कर्मचारियों, दोनों ने इस बात की पुष्टि की कि उनके दुकानों में लगे सीसीटीवी कैमरे के फुटेज उन्होंने पुलिस को सौंप दिए हैं और उनकी प्रतिलिपि अपने पास नहीं रखी है। क्षेत्र के अन्य दुकानदारों और समुदाय के अन्य सदस्यों का कहना था कि इस तरह की घटना वहां पहले कभी नहीं हुई थी।
समुदाय के सदस्यों से जब हमने बातचीत की तो उन्होंने किसी अन्य समुदाय या संगठन के प्रति गुस्से या घृणा का इज़हार नहीं किया। उनका कहना था कि वे तो शांति से अपने आसपास के लोगों के साथ, चाहे वे किसी भी समुदाय या धर्म के हों, मिलकर सौहार्दपूर्ण ढंग से रहना चाहते हैं। समुदाय के सदस्यों ने कहा कि उन्हें इस घटना का बदला लेने की कोई इच्छा नहीं है और ना ही वे इस मुद्दे को बहुत उछालना चाहते हैं। परंतु उन्होंने कहा कि वे बिना शोर मचाए न्याय पाना चाहते हैं।
फिर हम सांताक्रूज़ पुलिस थाने पहुंचे और घटना के बारे में अधिक जानकारी चाही। थाने के सीनियर इंस्पेक्टर अशोक थूबे, जिन्होंने उस दिन घटनास्थल का मुआयना किया था, ने हमें बताया कि दोषी व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया गया है और उसने अपना अपराध स्वीकार कर लिया है। इंस्पेक्टर का कहना था कि आरोपी उस समय शराब के नशे में धुत्त था। उसने आवारा कुत्तों, जो उस पर भौंक रहे थे, को भगाने के लिए पत्थर फेंके, जो गलती से वहां खड़ी दो कारों के कांच में लग गए और उन कारों के कांच टूट गए।
उन्होंने यह भी बताया कि जो चप्पल वहां मिली थी, वह आरोपी की ही थी। शायद इंस्पेक्टर यह कहना चाहते थे कि इस कृत्य के पीछे धार्मिक घृणा का भाव नहीं था क्योंकि आरोपी शराब पिए हुए था।
इंस्पेक्टर ने इस प्रश्न का उत्तर नहीं दिया कि आरोपी ने अपनी चप्पल छह फुट की ऊँचाई पर स्थित क्रास के नीचे क्यों रखी।
जब हमने उनसे ग्रोटो की बेंच पर पाए गए खून के धब्बों के बारे में बात की तो उन्होंने हंसते हुए कहा कि इसमें कोई खास बात नहीं है। जब हमने उनसे आरोपी के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि उन्हें उसके बारे में कुछ पक्का पता नहीं है परंतु शायद उसका नाम शेट्टी है और वह वेटर का काम करता है और दिनभर नशे में धुत्त रहता है। थूबे को यह भी नहीं पता था कि वर्तमान में आरोपी कहां हैं। पूछने पर उन्होंने कहा कि हो सकता है कि वह जेल में हो या हो सकता है कि उसे ज़मानत मिल गई हो। उन्होंने कहा कि यह एक छिटपुट घटना है और इसके पीछे सांप्रदायिक विद्वेष नहीं है।
सभी संबंधित व्यक्तियों से बातचीत करने के बाद, दल निम्न नतीजों पर पहुंचाः
(1) पुलिस, घटना की जांच गंभीरतापूर्वक नहीं कर रही है। हो सकता है वह असली अपराधियों को बचाना चाहती हो। पुलिस, समुदाय के सदस्यों से महत्वपूर्ण जानकारियां छुपा रही है और मामले की ठीक से जांच किए बिना उसे बंद कर देना चाहती है। यह भी हो सकता है कि पुलिस पर काम का बोझ इतना ज्यादा हो कि वह इस मामले में रूचि न ले रही हो।
(2) पुलिस के अनुसार, यह काम एक आदतन शराबी ने किया था जो अपने होशोहवास में नहीं था। पुलिस का यह दावा हमारे गले नहीं उतर रहा है कि आरोपी ने अपनी चप्पल क्रास के नीचे किसी सांप्रदायिक इरादे से नहीं वरन केवल शराब में नशे में होने के कारण रखी थी। अगर आरोपी शराब पिए हुए था, तब भी उसके पास क्रास के नीचे चप्पल रखने का कोई कारण नहीं था। पुलिस का कहना है कि आरोपी ने आवारा कुत्तों को भगाने के लिए पत्थर फेंके और वे कारों के सामने के कांच पर लग गए। यह भी बहुत विश्वसनीय नहीं लगता। क्या यह मात्र संयोग है कि पत्थर सिर्फ ऐसी कारों के कांच पर लगे, जिनके अंदर रोज़री लटकी हुई थी।
(3) समुदाय के जिन सदस्यों से हमने बातचीत की उन्होंने हमें बताया कि जब वे पुलिस थाने जाते हैं तो पुलिस वाले उन्हें यह कहकर भगा देते हैं कि उन्होंने आरोपी को गिरफ्तार कर अपना कर्तव्य पूरा कर दिया है और अब समुदाय के सदस्यों को इस मामले में दखल नहीं देनी चाहिए। वे हताश लग रहे थे और उन्होंने हमें बताया कि उन्हें इस बात की कतई उम्मीद नहीं है कि मामले की निष्पक्ष जांच की जाएगी। पुलिस के रवैये से वे असहाय महसूस कर रहे थे। उन्होंने क्रास को अपवित्र करने वालों को क्षमा कर दिया है और वे घटना को भूलने का प्रयास कर रहे हैं। उनका कहना था कि इसके अलावा वे और कुछ कर भी नहीं सकते।
(4) समुदाय के सदस्य पुलिस के लापरवाही पूर्ण रवैये और जांच के तरीके से संतुष्ट नहीं हैं। ऐसा लगता कि पुलिस घटना को बहुत हल्के-फुल्के ढंग से ले रही है। वह गंभीरता से घटना की जांच नहीं कर रही है।
(5) आरोपी का इकबालिया बयान, जिस पर पुलिस का प्रकरण आधारित है, की अदालत में सबूत के रूप में कोई कीमत नहीं है। पुलिस को ठोस सबूत इकट्ठे करने होंगे, जिसमें वहां रखी गई चप्पल का दूसरा जोड़, ग्रोटो की बेंच पर खून के दागों का स्पष्टीकरण शामिल है। उसे घटनास्थल का पंचनामा भी बनाना होगा। तभी वह आरोपी की गिरफ्तारी को उचित ठहरा सकेगी और प्रकरण की जांच बंद कर सकेगी।
(6) ऐसा लगता है कि घटना के पीछे सांप्रदायिक घृणा की भावना थी। शायद क्रास को अपवित्र इसलिए किया गया ताकि ईसाई समुदाय असुरक्षित महसूस करने लगे। ऐसा इसलिए भी लगता है क्योंकि यह घटना लेंट की पवित्र अवधि के दौरान हुई।
(7) पवित्र क्रास को अपवित्र करने की कई घटनाएं पूर्व में हुई हैं और अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने वाले इस तरह के घृणा पर आधारित अपराध तब तक नहीं रूकेंगे, जब तक पुलिस ऐसे मामलों को गंभीरता से नहीं लेती। पुलिस के ढीले-ढाले रवैये से अपराधियों के हौसले और बढ़ेंगे।
सीएसएसएस की टीम निम्न मांगे करती हैः
(1) पुलिस को प्रकरण को गंभीरता से लेना चाहिए और इसकी वैज्ञानिक ढंग से जांच करनी चाहिए। पुलिस की लापरवाही से इस तरह के नफरत फैलाने वाले अपराधों को करने वालों की हिम्मत और बढ़ेगी।
(2) अगर सांताक्रूज़ पुलिस थाना मामले की ठीक से जांच नहीं कर पा रहा है तो इसकी जांच का काम बड़े अधिकारियों को सौंपा जाना चाहिए।
(3) घटना की जांच इस तरह से की जानी चाहिए ताकि इसके पीछे के षडयंत्रकारियों या अपराध में मदद करने वालों की पहचान हो सके। जो संगठन नागरिक अधिकारों और मानवाधिकारों के लिए संघर्षरत हैं उन्हें इस घटना को चेतावनी के रूप में लेकर अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए आगे आना चाहिए।
(4) क्षेत्र की शांति समिति को सक्रिय किया जाना चाहिए और नियमित रूप से ऐसी गतिविधियां की जानी चाहिए जिनसे सांप्रदायिक सौहार्द बढ़े। (मूल अंग्रेजी से अमरीश हरदेनिया द्वारा अनुदित)


