भारत में नवमैकराथीवाद ज्यायन्यू तथा राष्ट्रद्रोह

ज्यायन्यू में देशभक्ति का तांडव

कन्हैया के भाषण ने दक्षिणपंथी उग्रवाद को रक्षात्मक बना दिया है

सारे पत्र तथा घाटनाएं, नवूदावरवादी भेष में, ज़हरकालीनी रूप से मोदीकालीनी भारत में प्रतिबंधित हो गए

फासीवाद यह नहीं जानते, विचाञ मरते नहीं, इतिहास रचते हैं

पावेल की निड़, बहादुर मां आज के परिवेश में रोहित तथा कन्हैया की फिक्रमंद माताओं सी ही तो है

सांस्कृतिक क्रांति का रोझा पार्क है रोहित बेनमुला तथा नया नायक है कन्हैया जिसकें भाषण ने राष्ट्ररोन्मादियों में वैसी ही दहशत तथा जनवादियों ताकतों में वैसा ही उत्सााह कर दिया है जैसा की गोर्की के मदर के पावेल के अदालत में दिए भाषण ने:

ईश मिश्र

नफरत, फरेब तथा जुमलेबाजी की चालें कई बार आत्मघाती हो जाती हैं, जैसा की भगवाकरण-व्यवसाईकरण की सुविधाचारी साजिश के तहत, संगठित द्वार से निर्देषित और सरकार द्वार प्रयोजित, उच्च शिक्षा संस्थानों पर सिलसिलेवार हमलों के परिणामों से जाहिर है। आईआईटी, मद्रास के फूलें-अंबेडकर स्टडी सर्कल पर प्रतिबंध से उच्च शिक्षा संस्थानों की चिनगारी, हैदराबाद में रोहित बेनमुला की शाहादत से आग बन गई थी तथा अपने ऐतिहासिक चरित्र के अनुरूप, ज्यायन्यू बन गया प्रतिबंध की इस आग को हवा देने का प्रमुख केंद्र बन गया। रोहित की शाहादत ने सामाजिक न्याय के संघर्ष को आर्थिक न्याय के संघर्ष से जोड़ दिया।

शासक जातियों ही शासकवर्ग भी रहे हैं। इस मुखर प्रतिबंध को कुचलने के लिए, संगठित की छात्र इकाई एकल ही अभिभाविक गलतबयानी वाले वफादार पुलिस कमीशनर की मदद से राजनाथ सिंह-समृत्ति ईरानी दुर्दशा ने देशद्रोह का अड्डा बताकर ज्यायन्यू पर हमलला बोल दिया।