सिकुड़ता लोकतंत्र, बहुसंख्यक हमले व बढ़ती कॉर्पोरेट लूट
सिकुड़ता लोकतंत्र, बहुसंख्यक हमले व बढ़ती कॉर्पोरेट लूट
आपातकाल विरोधी दिवस (एन्टी इमरजेंसी डे)
26 जून, 2015 (शुक्रवार)
सिकुड़ता लोकतंत्र, बहु संख्यक हमले व बढ़ती कॉर्पोरेट लूट को लेकर सम्मेलन
डांगावास नरसंहार पर राष्ट्र के नाम रपट जारी
अघोषित आपातकाल के विरूद्ध जन आंदोलन करेंगे - अरूणा रॉय
मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से त्यागपत्र की मांग व 27 जून को सांय 5.30बजे अम्बेडकर सर्किल पर प्रदर्षन
‘‘एक अघोषित आपातकाल के बीच में हम जी रहे हैं। इसका मुकाबला जनआंदोलन को खडा करके ही होगा। जिसमें किसान व मजदूर का नेतृत्व हो। यह संघर्ष केन्द्र व राज्य सरकार दोनों से करना होगा।’’
यह बात आज अरूणा रॉय ने जयपुर में आयोजित आपातकाल विरोधी दिवस के उद्घाटन में कहीं। उन्होंने यह भी कहा कि जिस तरह लोगों के जीने के अधिकार, अभिव्यक्ति व संघ बनाने के अधिकार पर हमला हो रहा है व सांस्कृतिक राष्ट्रवाद बतौर बहुसंख्यक की आक्रमणी पहचान गडी जा रही है व पूरी अर्थ व्यवस्था कॉरपोरेटों के हवाले सौप दी जा रही है, स्पष्ट है कि आपातकाल आ चुका है। उन्होंने आंदोलन का आगाज किया और कहा कि राजस्थान में इस वक्त ‘‘ललित गेट प्रकरण’’ से स्पष्ट है कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने संविधान विरोधी हलफनामा ललित मोदी के लिए बनवाया और भ्रष्टाचार में लिप्त सौदे उन्होंने व उनके बेटे ने की है, जिसकी जांच तुरन्त होनी चाहिए व निष्पक्ष जांच के लिए उनका कुर्सी पर न रहना ही सही रहेगा। साथ ही समय आ गया है कि सशक्त लोकपाल जो प्रधानमंत्री की जांच कर सके व सशक्त लोकायुक्त जो मुख्यमंत्री की जांच कर सके वाला कानून लाने के लिए फिर आंदोलित होना पड़ेगा।
आपातकाल विरोधी दिवस में दिन भर अनेकों वक्तव्यों के जरिये चाहे व भूमि अधिग्रहण कानून व जमिन पर लड़ाई को लेकर हो, स्वास्थ्य, शिक्षा सेवाऐं निजी कम्पनियों को लाभ पहुंचाने के लिए नीतियां बनाई जा रही हो, या कॉरपोरेट के लाभ के मारर्जिन को बढ़ाने के लिए श्रम कानूनों में बदलाव या बाल श्रम के कानून में बदलाव लाना जिससे वहीं कम्पनी को निजी लाभ मिले, सभी का मानना था कि इस कॉरपोरेट लूट को रोकना है यह संविधान विरोधी है और लोकतंत्र की मूल आत्मा को समाप्त कर रहा है।
नीम का थाना से आये लोगों का मानना था कि वहां देश का कानून जैसे लागू ही नहीं है। क्योंकि पुलिस प्रशासन व खनन माफिया के गठबन्धन के चलते आपातकाल जैसे हमेशा ही लगा हुआ हो।
लेखक भंवर मेघवंषी द्वारा लिखी गई पुस्तक ‘‘डांगावास दलित संहार: राष्ट्र के नाम एक रिपोर्ट’’ को आज 11 संघर्षषील महिलाओं द्वारा जारी किया गया। जिसमें प्रमुख रूप से जिसमें मोहनी देवी, भरतपुर से, रेणु मेघवंषी, अजमेर से, अरूणा रॉय, रेणुका पामेचा, ममता जैटली, कविता श्रीवास्तव, निषा सिद्धू इत्यादि व कैलाष मीणा, सवाई सिंह इत्यादि ने रपट जारी की। यह रपट इस लिए बनाई गई जिससे डांगावास सम्पूर्ण रपट एकत्र हो जाये व डांगावास के पीड़ित स्वयं इस रपट के जरिये आगे की लड़ाई लड पाये। इसी प्रकार अल्पसंख्यकों के विरोध में बन रहा माहौल को लेकर राषिद हुसैन प्रस्तुती रखी व महिलाओं पर हो रहे अत्याचार को लेकर ममता जैटली व अन्य बहनों ने प्रस्तुति रखी।
सभा में प्रस्ताव पारित किया कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को त्याग पत्र देना चाहिए। साथ ही एक निषपक्ष ऑथोरीटी चाहे वह उच्चतम न्यायालय के पदासीन जजों हो या कोई अन्य एस. आई.टी. के जरिये उनके पहले कार्यकाल के सभी सौदेबाजी की जांच होनी चाहिए। जिससे जनता के बीच में पूर्ण रूप से जानकारी सामने आये। जांच की निषपक्षता के लिए उन्हें पद छोड़ना होगा। साथ ही सषक्त लोकपाल कानून आये जिससे केन्द्र में लोकपाल प्रधानमंत्री की जांच कर सके और राज्य में मुख्यमंत्री की जांच कर सके। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के लिखाफ अपराधिक मामले दर्ज किये जाने चाहिए।
सभी ने यह तय किया कि दिनांक 27 जून, 2015 को सांय 5.30 बजे अम्बेडकर सर्किल, जयपुर पर वसुंधरा राजे के त्यागपत्र की मांग को लेकर प्रदर्षन करेंगे।
हम है:
प्रेमकृष्ण शर्मा, अरूणा रॉय, कविता श्रीवास्तव, निखिल डे, राधाकान्त सक्सेना, नरेन्द्र गुप्ता, छाया, मुकेश गोस्वामी, कमल टांक, ममता जेटली, कपिल सिंह सांखला, प्रभाती लाल मिमरोठ, सतीष कुमार, कोमल श्रीवास्तव, विशंभर, शिव नयाल, अक्षय माथुर, कैलाश मीणा, संजय माधव, मीता सिंह, अनन्त भटनागर, डी.एल. त्रिपाठी, सिस्टर केराल गीता, तारा अहलूवालिया, अश्वनी पालीवाल, राशिद हुसैन।


