सीबीआई पर पूर्णाधिकार कायम करने की केंद्र की कोशिश को बड़ा धक्का

नई दिल्ली, 26 अक्तूबर। सर्वोच्च न्यायालय ने छुट्टी पर भेजे गए सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा पर लगे आरोपों की जांच की निगरानी के लिए सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश ए.के.पटनायक की नियुक्ति की।

साथ ही मामले की जांच को पूर्ण करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को दो सप्ताह का समय दिया।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस.के.कौल व न्यायमूर्ति के.एम.जोसेफ की पीठ ने कहा कि जांच कैबिनेट सचिव के सीवीसी को दिए गए नोट में निहित आरोपों पर की जाएगी।

अटॉर्नी जनरल के.के.वेणुगोपाल ने अदालत से कहा कि जांच सिर्फ आलोक वर्मा पर लगे आरोपों पर ही नहीं होनी चाहिए, बल्कि सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ आरोपों पर भी होनी चाहिए।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा,

"हम सिर्फ वर्मा से संबद्ध हैं।"

अदालत ने अंतरिम निदेशक एम.नागेश्वर राव से रूटीन के अलावा कोई नीतिगत या प्रमुख फैसला नहीं लेने को भी कहा है।

अदालत ने राव द्वारा प्रभार संभालने से लेकर आज सुनवाई तक सभी फैसलों को सीलबंद लिफाफे में 12 नवंबर तक अदालत में जमा करने का निर्देश दिया।

राजनीतिक विश्लेषक अरुण माहेश्वरी ने सीबीआई विवाद में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले अपनी टिप्पणी में कहा है,

“सुप्रीम कोर्ट ने नागेश्वर राव (अंतरिम निदेशक, सीबीआई) से कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय लेने का अधिकार छीन कर उसे काठ का उल्लू बना दिया है। उसने अब तक जो तबादलें आदि किये हैं, उन सब पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से सूचना माँगी है ताकि 12 नवंबर को कोर्ट के खुलने पर उन पर अपनी राय दे सके। और, सीवीसी की जिस कथित सिफ़ारिश पर सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजा गया, उससे जुड़े विषयों की दो हफ़्ते में जाँच पूरी करने और वह जाँच अकेले सीवीसी नहीं, सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश ए के पटनायक की निगरानी में पूरी करने का भी निर्देश दिया है। अर्थात् भारत सरकार के कर्मिकों के कामों पर निगरानी रखने वाले सीवीसी पर इस मामले में सुप्रीम कोर्ट निगरानी करेगा।

गोदी चैनल के भोंपू चिल्ला रहे हैं कि आलोक वर्मा की जबरिया छुट्टी को खारिज नहीं किया गया है, जबकि सचाई यह है कि इस मामले में फैसले को महज दो हफ़्तों के लिये टाल दिया गया है।

और जहाँ तक अस्थाना की छुट्टी का सवाल है, सुप्रीम कोर्ट ने इस विषय का आज संज्ञान तक लेने से इंकार कर दिया है।

अर्थात, अभी तक अस्थाना की छुट्टी बरक़रार है और वर्मा की छुट्टी के बारे में दो हफ़्ते बाद विचार किया जायेगा।

इस प्रकार सुप्रीम कोर्ट के आज के फैसले से केंद्र सरकार के द्वारा रात के अंधेरे में नागेश्वर राव नामक एक भ्रष्ट प्राणी के जरिये सीबीआई पर पूरा क़ब्ज़ा जमा लेने की कार्रवाई को वास्तव अर्थों में निरस्त कर दिया गया है। वर्मा की पुनर्बहाली के मसले पर आज नहीं, दो हफ़्तों बाद निर्णय लिया जायेगा। अस्थाना की छुट्टी सुप्रीम कोर्ट के लिये विचार का विषय ही नहीं है। यह निर्णय केंद्र सरकार को एक करारी चपत से कम नहीं है।“

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