विचारों की हत्या है गौरी लंकेश की हत्या

देहरादून। निर्भीक पत्रकार गौरी लंकेश की कायराना हत्या के खि़लाफ़ देहरादून में विभिन्न संगठनों और व्यक्तियों की साझा पहल पर गाँधी पार्क पर हुए विरोध प्रदर्शन में बड़ी संख्या में नागरिक, पत्रकार, बुद्धि‍जीवी और सामाजिक कार्यकर्ता एकत्र हुए और फासिस्ट शक्तियों के इस हमले के विरुद्ध आवाज- उठायी।

सभी वक्ताओं ने बुद्धिजीवियों की आवाज बन्द करने के लिए बार बार हो रहे इन हमलों के लिए सीधे मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराया।

सभी वक्ताओं ने कहा कि गौरी लंकेश की हत्या विचारों की हत्या है। यह सच के पक्ष में खड़ा होने और अभिव्यक्ति की आज़ादी की हत्या है। सबसे घृणित बात यह है कि इन हत्याओं पर जश्न‍ मनाया जा रहा है। जब तक हम इन फासिस्ट गुण्‍ड गिरोहों के खिलाफ़ एक संगठित प्रतिरोध नहीं खड़ा करेंगे तब तक ये हत्याएं नहीं रुकेंगी।

यह दौर फासिस्ट बर्बरताओं का दौर है। ये फासिस्ट पूरे देश में अपने झूठे प्रचार तंत्र के द्वारा एक ऐसा माहौल बना रहे हैं जिसमें एक बड़ी आबादी के ऊपर खान-पान, रहन-सहन की वर्जनाएं थोपी जा रही हैं। देश भक्ति और भारतीय संस्कृति के नये-नये पैमाने तय किये जा रहे हैं।

गौरी लंकेश की हत्या के बाद सोशल मीडिया पर जिस तरह ये फासिस्ट महिलाओं पर भद्दे कमेण्ट पोस्ट कर रहे हैं उससे इनकी घोर स्त्री -विरोधी मानसिकता का पता चलता है। इन फासिस्टों का जो झूठा प्रचार तंत्र है उसका मुँहतोड़ जवाब देने के लिए हमें विज्ञान और तर्क को आम जनता के बीच लेकर जाना होगा। तभी हम अंधराष्ट्रवादी, धार्मिक उन्मादी मानसिकता को रोक सकते हैं।

सभा को मुख्य रूप से कविता कृष्णपल्लवी, गीता गैरोला, प्रेम सी जैन, एस. के. कुलश्रेष्ठ , राजेश सकलानी, साध्वी मीनू जैन, कामरेड बच्ची राम कंसवाल, जे. के. कंडवाल, विजय भट्ट आदि ने सम्बोधित किया।

Listen! India will not become a country of crazy killers - we are all Gauri Lankesh