रायपुर। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने छत्तीसगढ़ में भयंकर सूखे की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए मांग की है कि मनरेगा में ग्रामीणों को व्यापक पैमाने पर काम दिया जाएं, किसानों द्वारा उत्पादित फसल को 300 रूपये बोनस के साथ न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदा जाएं, सभी परिवारों को राशन प्रणाली के जरिये 35 किलो प्रति माह अनाज दिया जाएं तथा जल संसाधनों के व्यापारिक-व्यावसायिक दोहन पर रोक लगाईं जाएं।
माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने कहा कि आंकड़ों में भले ही बारिश हो रही हो, लेकिन वास्तविकता यही है कि पूरा प्रदेश भयंकर सूखे की चपेट में है और आगामी दिनों में संभावित बारिश से फसल को कोई मदद नहीं मिलने वाली। इस स्थिति का मुकाबला करने के लिए जिस दूरदृष्टि की जरूरत है, उसका रमन सरकार में व्यापक अभाव दिख रहा है और पूरी कसरत ' प्यास लगी, तो कुआं खोदो' जैसी हो रही है।
उन्होंने कहा कि मनरेगा मजदूरों का पिछले वर्ष का 600 करोड़ रुपयों का भुगतान बकाया है, जबकि इस वर्ष जितनी राशि आबंटित की गई है, उससे पंजीकृत मजदूरों को एक सप्ताह भी काम नहीं मिलने वाला है। इसी प्रकार, जल स्रोतों के व्यापारिक-व्यावसायिक दोहन पर प्रतिबन्ध लगाकर कृषि व पेयजल के लिए पानी का उपयोग करने के बजाए कारखानों व बोतलबंद पानी के लिए जल स्रोतों के उपयोग की इज़ाज़त दी जा रही है। इन नीतियों के कारण सूखे की विकरालता और बढ़ेगी तथा किसान आत्म-हत्या करने के लिए बाध्य होंगे।