'सूचना सत्यनिष्ठा ' के लिए नए सिद्धांत पेश, संयुक्त राष्ट्र ने 'एल्गोरिदम' पर लगाम लगाने का आग्रह किया
संयुक्त राष्ट्र ने ‘सूचना सत्यनिष्ठा’ के लिए नए वैश्विक सिद्धान्त पेश किए हैं, जिनमें ग़लत जानकारी, जानबूझकर फैलाई जाने वाली भ्रामक जानकारी, और हेट स्पीच से होने वाले नुक़सान से निपटने के लिए तुरन्त कार्रवाई किए जाने पर बल दिया गया है.

'सूचना सत्यनिष्ठा' के लिए नए सिद्धान्त पेश, ' एल्गोरिदम' पर लगाम कसने का आग्रह
New principles introduced for 'information integrity', UN urges to rein in 'algorithms'
संयुक्त राष्ट्र ने सोमवार को ‘सूचना सत्यनिष्ठा’ के लिए नए वैश्विक सिद्धान्त पेश किए हैं, जिनमें ग़लत जानकारी, जानबूझकर फैलाई जाने वाली भ्रामक जानकारी, और हेट स्पीच से होने वाले नुक़सान से निपटने के लिए तुरन्त कार्रवाई किए जाने पर बल दिया गया है.
यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इस सिलसिले में अपनी प्रमुख सिफ़ारिशों को खाका प्रस्तुत किया है, जिनका उद्देश्य, सूचना व जानकारी जगत को सुरक्षित बनाना और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता समेत अन्य बुनियादी मानवाधिकारों की रक्षा करना है.
यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने कहा, “एक ऐसे समय में जब अरबों लोग झूठे वृतान्तों, जानकारी को तोड़-मरोड़ करके पेश किए जाने और झूठ की चपेट में हैं, ये सिद्धान्त आगे बढ़ने के लिए एक स्पष्ट मार्ग प्रस्तुत करते हैं, जिसकी मज़बूत बुनियाद मानवाधिकारों में है, अभिव्यक्ति व अपनी राय रखने की आज़ादी के अधिकार समेत.”
महासचिव गुटेरेस ने देशों की सरकारों, टैक्नॉलॉजी कम्पनियों, विज्ञापनदाताओं व जनसम्पर्क उद्योग से आग्रह किया है कि हानि पहुँचाने वाली सामग्री के प्रसार और उसके धन कमाए जाने के ज़रियों पर लगाम कसने के लिए ज़िम्मेदारी निभाई जानी होगी.
उन्होंने न्यूयॉर्क स्थित यूएन मुख्यालय में पत्रकारों को जानकारी देते हुए कहा कि लोकतंत्र, मानवाधिकारों, सार्वजनिक स्वास्थ्य और जलवायु कार्रवाई की रक्षा के लिए यह ज़रूरी है कि ग़लत जानकारी और नफ़रत भरी बोली व सन्देश का मुक़ाबला किया जाए.
“ऑनलाइन [माध्यमों पर] नफ़रत व झूठ के फैलने से हमारी दुनिया को गम्भीर नुक़सान पहुँच रहा है.”
संयुक्त राष्ट्र मानवीय सहायता व शान्तिरक्षा अभियानों पर जोखिम पनप रहा है, चूँकि यूएन कर्मचारियों को झूठी सूचनाओं की सुनामी और बेतुकी, बेसिरपैर की षड़यंत्र कहानियों से जूझना पड़ता है.
झूठे वृतान्तों और असत्य के कारण निराशावाद को बढ़ावा मिलता है, और सामाजिक जुड़ाव व टिकाऊ विकास कमज़ोर होता है.
अपारदर्शी एल्गोरिदम
यूएन प्रमुख के अनुसार, हर एक व्यक्ति के लिए स्वतंत्र ढंग से, बिना किसी हमले के भय के अपनी बात कहना सम्भव होना चाहिए, और साथ ही उन्हें विविध प्रकार की राय व जानकारी सुलभ होनी चाहिए.
“कोई भी व्यक्ति एक ऐल्गोरिथम के भरोसे नहीं होना चाहिए, जिस पर उनका नियंत्रण नहीं होता है, जो उनके हितों को ध्यान में रखकर तैयार नहीं किया गया, और जो उनकी निजी जानकारी जुटाने के लिए उनके व्यवहार की निगरानी करता है और फिर उन्हें बांधे रखता है.”
सोमवार को जारी किए गए वैश्विक सिद्धान्तों का लक्ष्य, लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक बनाना, बच्चों की रक्षा करने में मदद करना, युवजन के लिए ईमानदार व भरोसेमन्द जानकारी को सुनिश्चित करना, इंटरनैट आधारित मीडिया को लोगों तक सटीक व विश्वसनीय जानकारी पहुँचाने के लिए समर्थ बनाना है.
सार्वजनिक भलाई के लिए
इन वैश्विक सिद्धान्तों को विकसित करने के लिए यूएन सदस्य देशों, निजी सैक्टर, युवा नेताओं, मीडिया, शिक्षा जगत व नागरिक समाज के प्रतिनिधियों के साथ विचार-विमर्श किया गया.
इन सिद्धान्तों में निम्न क्षेत्रों पर ध्यान केन्द्रित किया गया है:
- भरोसे व सहनसक्षमता का निर्माण करना
- एक स्वतंत्र व बहुलतावादी मीडिया सुनिश्चित करना
- तथ्यात्मक जानकारी पर आधारित सामग्री को प्रोत्साहन देना
- पारदर्शिता को बढ़ाना
- आम लोगों को सशक्त बनाना
इन अहम सिफ़ारिशों में देशों की सरकारों, टैक कम्पनियों, विज्ञापनदाताओं व मीडिया से अनुरोध किया गया है कि हेट स्पीच, जानबूझकर फैलाई जाने वाली भ्रामक जानकारी के इस्तेमाल या उसे फैलाने से बचा जाना होगा.
साथ ही, सरकारों को यह सुनिश्चित करना होगा कि लोगों को समय पर जानकारी मिल सके, एक स्वंतत्र मीडिया को समर्थन मिले और पत्रकारों व नागरिक समाज को सुरक्षा प्रदान की जा सके.
उनके अनुसार, टैक कम्पनियों को निजता व सुरक्षा को प्राथमिकता देनी होगी, सूचना सत्यनिष्ठा को समर्थन देने के लिए सुसंगत नीतियाँ लागू की जानी होंगी, विशेष रूप से चुनाव प्रक्रिया के दौरान.
निजता व सुरक्षा पर बल
इसके समानान्तर, टैक कम्पनियों से ऐसे व्यावसायिक मॉडल अपनाने का आग्रह किया गया है, जिसमें एआई और मशीन लर्निंग के ज़रिये स्वचालित ढंग से ऑनलाइन विज्ञापनों को ख़रीदने व बेचने पर निर्भरता ना हो.
साथ ही, उन मॉडल से पीछे हटने का आग्रह किया गया है, जिनमें मानवाधिकारों, निजता, सुरक्षा के बजाय लोगों के ट्रैफ़िक व इंगेजमेंट को प्राथमिकता दी जाती है. यूज़र्स को अपनी ऑनलाइन गतिविधियों के विषय में बेहतर चयन व विकल्प दिए जाने होंगे और निजी डेटा की सुरक्षा का ध्यान रखा जाना होगा.
विज्ञापनदाता कम्पनियों को टैक सैक्टर से डिजिटल विज्ञापन प्रक्रिया में पारदर्शिता की मांग करनी होगी, ताकि वे बिना जाने-समझे नफ़रत भरी सामग्री को बढ़ावा देने से रोक सकें. इसके अलावा, टैक कम्पनियों और कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) विकसित कर रहे लोगों द्वारा पारदर्शिता प्रदान की जानी होगी और यूज़र की निजता का सम्मान किया जाना होगा.
सरकारों, टैक कम्पनियों व विज्ञापनदाताओं को बच्चों की सुरक्षा व सशक्तिकरण के लिए विशेष क़दम उठाने होंगे, और सरकारों द्वारा अभिभावकों व शिक्षकों के लिए संसाधन मुहैया कराए जाने होंगे.
ये सिफ़ारिशें, यूएन महासचिव द्वारा 2021 में जारी की गई रिपोर्ट, हमारा साझा एजेंडा से प्रेरित हैं, जोकि भविष्य में वैश्विक सहयोग व बहुपक्षीय कार्रवाई की एक दृष्टि प्रस्तुत करता है.
स्रोत- संयुक्त राष्ट्र समाचार
The spread of hatred and lies online is causing grave harm to our world.
Today I presented a starting point for solutions: the @UN Global Principles for Information Integrity - based on an overriding vision of a more humane information ecosystem.
— António Guterres (@antonioguterres) June 24, 2024