सूडान में जारी संघर्ष : विस्थापित नागरिकों और शरणार्थियों का गहराया संकट
Ongoing conflict in Sudan: deepening crisis of displaced civilians and refugees. सूडान: जबरन विस्थापन का शिकार लोगों के लिए बढ़ती मुश्किलें। महिलाओं व बच्चों के लिए स्थिति विशेष रूप से चिन्ताजनक बताई गई है, जिनके पास कुछ नहीं है और जिन्हें तुरन्त भोजन, जल, आश्रय व चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता है.

Ongoing conflict in Sudan: deepening crisis of displaced civilians and refugees
सूडान में जारी आंतरिक संघर्ष ने लाखों नागरिकों को अपने घरों से विस्थापित होने पर मजबूर कर दिया है, जिससे एक विशाल मानवीय संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है। संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी संगठन (UNHCR) के अनुसार, सूडान में गृह युद्ध के चलते लगभग 85 लाख व्यक्ति विस्थापित हुए हैं, जिसमें से 18 लाख ने दक्षिण सूडान, चाड, मध्य अफ़्रीकी गणराज्य, मिस्र, इथियोपिया, और युगांडा में शरण ली है। संयुक्त राष्ट्र समाचार के इस लेख में, सूडान में जारी संघर्ष, विस्थापन, और शरणार्थियों के संकट के प्रभावों का विश्लेषण किया गया है। साथ ही आंतरिक और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहायता प्रयासों, चुनौतियों, और आवश्यकताओं पर भी प्रकाश डाला गया है, जिससे सूडान के विस्थापित नागरिकों और शरणार्थियों की दुर्दशा को समझने में मदद मिल सके।
सूडान: जबरन विस्थापन का शिकार लोगों के लिए बढ़ती मुश्किलें
जेनेवा 09 अप्रैल 2024. संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी संगठन (UNHCR) का कहना है कि सूडान में पिछले वर्ष अप्रैल महीने में, परस्पर विरोधी सैन्य बलों के बीच शुरू हुए टकराव के बाद से अब तक, 85 लाख सूडानी नागरिक अपने घरों से विस्थापित होने के लिए मजबूर हुए हैं.
इनमें से 18 लाख लोगों ने सीमा पार करके, दक्षिण सूडान, चाड, मध्य अफ़्रीकी गणराज्य, मिस्र, इथियोपिया व युगांडा में शरण ली है.
यूएन एजेंसी की प्रवक्ता ओल्गा सर्राडो ने जिनीवा में पत्रकारों को जानकारी देते हुए कहा कि हज़ारों लोगों का तांता अब भी लगा हुआ है.
उन्होंने क्षोभ व्यक्त किया कि सूडानी सशस्त्र बलों और अर्द्धसैनिक बल (RSF) व उसके सम्बद्ध गुटों के बीच लड़ाई की वजह से लोगों की ज़िन्दगियाँ बर्बाद हो गई हैं, और वे बेहद डर में दिन गुज़ार रहे हैं.
अब तक इस टकराव में कम से कम 13 हज़ार लोगों की जान गई है, जबकि हज़ारों अन्य घायल हुए हैं. आम नागरिकों पर हमले, हिंसक टकराव सम्बन्धी यौन व लिंग-आधारित हिंसा के मामले बेरोकटोक जारी हैं.
ओल्गा सर्राडो ने बताया कि सूडान में शहरी मध्य वर्ग पूरी तरह से बर्बादी के कगार तक पहुँच गया है. “आर्किटेक्ट, डॉक्टर, शिक्षक, नर्स, इंजीनियर और छात्र, सभी ने अपना सब कुछ खो दिया है.”
यूएन एजेंसी की प्रवक्ता के अनुसार, सहायता मार्ग पर सख़्तियों, सुरक्षा जोखिमों और संचालन व्यवस्था सम्बन्धी चुनौतियों की वजह से मानवीय सहायता अभियान पर असर पड़ा है.
“आय के अभाव में और राहत आपूर्ति व फ़सल पैदावार में व्यवधान के बीच, लोगों को भोजन नहीं मिल सकता है, जिससे देश के कुछ हिस्सों में भूख व कुपोषण की स्थिति बद से बदतर होने की चेतावनी मिली है.”
शरणार्थियों के मेज़बान देश
फ़िलहाल, दक्षिण सूडान में सबसे बड़ी संख्या में, क़रीब छह लाख 40 हज़ार शरणार्थी सूडान से वहाँ पहुँचे हैं. अब भी हर दिन लगभग 1,800 लोग वहाँ आ रहे हैं, जिससे स्थानीय बुनियादी ढाँचे पर बोझ बढ़ रहा है और मानवीय आवश्यकताओं की स्थिति गम्भीर रूप धारण कर रही है.
वहीं, चाड में पाँच लाख 60 हज़ार से अधिक लोगों ने पनाह ली है. यूएन एजेंसी और अन्य साझेदार संगठनों के प्रयासों को फलस्वरूप अधिकाँश शरणार्थियों को नई और दूर तक फैली बस्तियों में जगह मिली है.
मगर क़रीब डेढ़ लाख से अधिक लोग अब भी सीमावर्ती इलाक़ों में भीड़ भरे स्थलों पर, गंदगीपूर्ण वातावरण में रहने के लिए मजबूर हैं, जिसकी एक वजह सहायता धनराशि की क़िल्लत बताई गई है.
इथियोपिया, अफ़्रीका में सबसे बड़ी शरणार्थी आबादी वाला मेज़बान देश हैं, जहाँ हाल के दिनों में शरणार्थियों का पहुँचना जारी रहा और अब तक यह संख्या 50 हज़ार को पार कर गई है.
विशाल आवश्यकताएँ
महिलाओं व बच्चों के लिए स्थिति विशेष रूप से चिन्ताजनक बताई गई है, जिनके पास कुछ नहीं है और जिन्हें तुरन्त भोजन, जल, आश्रय व चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता है.
यूएन एजेंसी प्रवक्ता के अनुसार, “कईं परिवार बिछड़ गए हैं और वे बेहद तनाव में यहाँ पहुँच रहे हैं,” जिसकी वजह से मनोसामाजिक समर्थन बेहद ज़रूरी हो गया है.
ओल्गा सर्राडो ने बताया कि विशाल ज़रूरतों के बावजूद, सहायता धनराशि की अब भी क़िल्लत है, और 2024 में सूडान के क्षेत्रीय शरणार्थी सहायता योजना में कुल प्रस्तावित धनराशि का केवल सात प्रतिशत ही उपलब्ध हो पाया है.
सूडान के भीतर सहायता प्रयासों के लिए कुल ज़रूरी रक़म में से केवल छह प्रतिशत का प्रबन्ध हुआ है, जिसके मद्देनज़र उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से मज़बूत समर्थन की पुकार लगाई है.
A year on, the war in Sudan continues to rage.
8.5 million people have fled their homes.
Thousands are still fleeing every day.
Sudan and its neighbouring countries, generously hosting refugees, urgently need international support.
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— UNHCR, the UN Refugee Agency (@Refugees) April 9, 2024


