सेना पर राजनीति न हो, यह तो मोदी को ही सुनिश्चित करना होगा
सेना पर राजनीति न हो, यह तो मोदी को ही सुनिश्चित करना होगा
सेना पर राजनीति न हो, यह तो मोदी को ही सुनिश्चित करना होगा
पाकिस्तान को माकूल जवाब
अंबरीश कुमार
पिछले दिनों उड़ी में हुये आतंकी हमले के बाद भारत ने एलओसी पर आतंकवादियों के कैंप पर सर्जिकल स्ट्राइक के जरिये पाकिस्तान को माकूल जवाब दिया है।
यह जरूरी भी हो गया था, क्योंकि पकिस्तान लगातार कश्मीर में दखल दे रहा है।
पाकिस्तान उस पार से प्रशिक्षित आतंकवादियों को कश्मीर में भेजता रहा है। साथ ही कश्मीर में अस्थिरता पैदा करने की हरसंभव कोशिश करता रहा है।
पिछले दिनों जो कुछ कश्मीर घाटी में हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण था और सरकार सर्वदलीय पहल के जरिये वहा शांति बहाली का प्रयास कर रही थी।
ऐसे में उड़ी में सेना के महत्वपूर्ण ठिकाने पर आतंकी हमला कर पकिस्तान ने मौके का फायदा उठाने की कोशिश की थी। ऐसे में भारत अगर माकूल जवाब नहीं देता तो देश के और सेना के मनोबल पर भी असर पड़ता। इसलिये समूचे देश ने मोदी सरकार के इस फैसले का समर्थन किआ और ख़ुशी जाहिर की।
दरअसल पकिस्तान राजनैतिक अस्थिरता का शिकार है और अंदरूनी समस्याओं से लोगों का ध्यान हटाने के लिये कश्मीर में दखल देता रहा है। इसके लिये वह आतंकवादी संगठनों को संरक्षण भी देता है और उन्ही के जरिये कश्मीर में अघोषित युद्ध भी लड़ रहा है। वह अपने देश की जनता को भी इसी बहाने गुमराह करता रहा है।
भारत और पाकिस्तान एक ही साथ स्वतंत्र होकर आगे बढ़े थे पर पकिस्तान ने मजहबी कट्टरपंथ का जो रास्ता चुना, उसका नतीजा अब सामने आ चुका है। हर क्षेत्र में पिछड़ा पाकिस्तान इस समय समूचे विश्व में आतंकवाद की नर्सरी माना जा रहा है जिसके चलते विश्व बिरादरी में उसका समर्थन भी घटता चला जा रहा है। अगर आज चीन उसके साथ खड़ा है तो उसकी वजह चीन के व्यापारिक और सामरिक हित है।
इन हालात में पाकिस्तान की स्थिति और खराब हो सकती है।
इसी वजह से पाकिस्तान सरकार कश्मीर में अस्थिरता पैदा करने के सारे हथकंडे इस्तेमाल कर रही है।
ऐसे में यह जरूरी था कि केंद्र सरकार पकिस्तान को माकूल जवाब दे।
सेना के सर्जिकल स्ट्राइक से पकिस्तान को ठीक जवाब दिया गया है।
पर पाकिस्तान से यह उम्मीद करना कि वह आतंकी हमले बंद कर देगा, ठीक नहीं है। इसलिये अब ज्यादा सतर्क रहना होगा सुरक्षा बलों को और ख़ुफ़िया एजेंसी को भी।
सर्जिकल स्ट्राइक के मुद्दे पर सारा देश और सारे राजनैतिक दल मोदी सरकार के साथ पूरी ताकत से खड़े नजर आये।
अब मोदी सरकार और भारतीय जनता पार्टी को भी चाहिये कि वह देश के लोगों की इस भावना को समझे और इसका कोई राजनैतिक फायदा उठाने का प्रयास न करे।
जिस तरह कुछ राज्यों में चुनावी माहौल को गर्माने के लिए भाजपा के पोस्टरों में सेना के जवानों का सहारा लिया गया है वह निंदनीय है।
कई राज्यों में चुनाव होने जा रहे हैं।
ऐसे में अगर सत्तारूढ़ दल सेना का राजनैतिक इस्तेमाल अपने पोस्टरों में करेगी तो उसकी प्रतिक्रिया भी होगी। और जब राजनीति किसी मुद्दे पर शुरू होती है तो वह कहा तक किस रूप में जायेगी यह तय नहीं होता।
सेना इस पूरे देश की है किसी पार्टी की नहीं, यह बात सत्तारूढ़ दल को भी समझनी चाहिये। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इसी पकिस्तान से दो दो हाथ कर उसका भौगोलिक नक्शा बदल दिया था। उन्होंने विश्व के नक्शे पर बांग्ला देश नाम का नया राष्ट्र बना कर समूचे विश्व को हैरान कर दिया था। पर इसका कोई राजनैतिक फायदा नहीं लिया गया। इससे सत्तारूढ़ दल को सबक लेना चाहिये।
सेना देश की सुरक्षा में लगी है और उसकी कार्यवाई लगातार होती रहती है।
सेना के किसी संवेदनशील आपरेशन का राजनैतिक लाभ लेने का प्रयास अगर शुरू हुआ तो सेना भी विवाद में फंसेगी जो ठीक नहीं होगा।
उड़ी हमले में चूक इधर की भी थी, पर किसी ने सवाल इसीलिये नहीं उठाया क्योंकि सेना के मनोबल पर इसका असर न पड़े। इसे समझना चाहिये।
कुछ लोगों ने सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगने का भी प्रयास किया पर कांग्रेस ने साफ़ किया कि सेना से कोई सबूत नहीं मांगा जाना चाहिये।
वैसे भी इस तरह के आपरेशन कोई ढिंढोरा पीटने वाले नहीं होते।
यह सब भरोसे पर होता है। और पूरे देश को सेना पर भरोसा है। उस भरोसे को कायम रखने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार और सत्तारूढ़ दल की ज्यादा है।
सेना पर राजनीति न हो यह उसे ही सुनिश्चित करना होगा।
मोदी अब पूरे देश के प्रधानमंत्री हैं, किसी एक दल के नहीं। इसलिये पूरे देश को साथ लेकर चलने की जिम्मेदारी भी उन्हीं पर है। शुक्रवार


