मसीहुद्दीन संजरी

कुछ लोगों को बहुत जल्दी पड़ी है सैफुल्लाह को आईएसआईएस का आतंकी साबित करने की। पुलिस वालों को थोड़ा समय दो भाई। अब तक तो एक अधिकारी कहता है कि उसके लिंक साबित नहीं हैं, तो दूसरा उस मॉड्यूल का नाम भी बता देता है जिसका वह सदस्य था।

मीडिया को हमेशा की तरह पुलिस और इंटेलीजेंस एजेंसियों से भी ज़्यादा मालूम है। सबके उद्घोष अगर एक साथ जमा कर दिए जाएं तो एक साथ सब कुछ साबित और कुछ भी नहीं दोनों होता है। जिसकी मर्जी अपने हिसाब से जो चाहे ग्रहण करले।

सैफुल्लाह कब मारा गया?

इंडियन एक्सप्रेस ने 7 मार्च को 6:17 बजे शाम को खबर दी कि ऑपरेशन खत्म होने के समाचार आ रहे हैं लेकिन पुष्टि नहीं हो पा रही है।

इंडिया टूडे ने शाम 9:32 बजे खबर दी कि सैफुल्लाह मारा गया। 10:11 बजे इंडिया टूडे ने फिर समाचार दिया कि सैफुल्लाह मारा गया और एटीएस ने जो छेद किया है, उसमें से उसकी लाश और हथियारों को देखा जा सकता है।

स्थानीय लोगों में यह चर्चा है कि उसे पांच बजे के आसपास ही खत्म कर दिया गया था।

स्थानीय लोगों का यह भी कहना है कि उन्होंने सैफुल्लाह से बात कर आत्म समर्पण कराने की बात कही थी लेकिन एटीएस ने इनकार कर दिया था।

इस हिसाब से ऑपरेशन रात में तीन बजे तक क्यों जारी रखा गया?,

जिंदा पकड़ने की पुलिस की पूरी कवायद क्या राजनीतिक कारणों से कथित इनकाउंटर का प्रचार मात्र थी?

यह काम तो अमरीका वाले ट्रम्प और उसकी सीआईए के भी बस का नहीं था

ट्रेन में ब्लास्ट हुआ। वहां से संदिग्ध 70 किमी० चल कर भोपाल में बस अड्डे पर पहुंचे। बस में सवार हो कर करीब 30 किमी० सफर किया। फिर एक टोल नाके पर पुलिस की गिरफ्त में आए। पूछताछ हुई। साथियों का पता चला। खबर खुफिया एजेंसी को दी गई। उसने यूपी एटीएस को जानकारी दी। लखनऊ में एटीएस ने ऑपरेशन किया। कुल मात्र साढ़े पांच घंटे में हो गया। तत्परता की हद कर दी। यह काम तो अमरीका वाले ट्रम्प और उसकी सीआईए के भी बस का नहीं था।

शक करें या सराहना

मध्य प्रदेश में भोपाल से 70 किमी० दूर कालीपाल में जबड़ी रेलवे स्टेशन के पास मंगलवार 7 मार्च की सुबह दस बजे भोपाल–उज्जैन पैसेंजर ट्रेन के जनरल कोच में धमाका हुआ जिसमें 9 यात्री घायल हो गए। धमाके से जनरल कोच में छेद हो गया।

एसपी जीआरपी कृष्णा वेणी ने शुरूआती जांच में शार्ट सर्किट की वजह से ब्लास्ट होने की बात कही। बाद में इसे इसमें आईईडी के इस्तेमाल की बात कहते हुए इसे आतंकी धमाका बताया गया।

ब्लास्ट के बाद पिपरिया पुलिस स्टेशन अंतर्गत चेतक टोल नाके पर दो थानों की पुलिस ने एक बस से तीन संदिग्धों को गिरफ्तार कर लिया जो भोपाल के नादरा बस अड्डे से बस पर सवार हुए थे। उनके पास से दो बैग भी बरामद किए गए हैं। (दैनिक भास्कर)

टाइम्स आफ इंडिया के अनुसार लखनऊ एटीएस ने ठाकुरगंज, हाजी कॉलोनी में 3:30 बजे शाम को सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया था। एडीजे दलजीत सिंह के हवाले से पत्र ने कहा है कि ऑपरेशन निश्चित खुफिया जानकारी के बाद शुरू किया गया और संदिग्ध का मध्य प्रदेश धमाके से लिंक हो सकता है।

इंडिया टूडे का कहना है कि आज का मध्य प्रदेश ट्रेन ब्लास्ट आईएसआईएस के माड्यूल ने अंजाम दिया है। उसी सिलसिले में मध्य प्रदेश से तीन, उत्तर प्रदेश के कानपुर से गिरफ्तारी हुई है और लखनऊ में गिरफ्तारी के लिए ठाकुरगंज में ऑपरेशन चल रहा है।

एनडीटीवी ने भी घटना के आईएसआईएस से जुड़े होने की बात कही है और खुलासा किया है कि जिस स्थान पर ट्रेन में ब्लास्ट हुआ था वहां सीसीटीवी के फूटेज से मध्य प्रदेश से गिरफ्तार तीन संदिग्धों का सुराग लगा था। उनसे पूछताछ के बाद बाकी दो संदिग्धों के बारे में जानकारी मिली थी जिसे मध्य प्रदेश पुलिस ने उत्तर प्रदेश और केंद्रीय जांच एजेंसी को सूचित किया था।

खबर यह भी है कि आसपास के मकानों को खाली करवा लिया गया और पुलिस फोर्स के पहुंचने के बाद फायरिंग भी हुई है। फायरिंग पिस्टल से की गई या एके 47 से या फायरिंग हुई ही नहीं इसको लेकर भी विरोधाभास है। वैसे नजीब के गुनहगार और गायत्री प्रजापति ही ज़्यादा भाग्यशाली निकले।

कुल् मिलाकर साढ़े पांच घंटे के अंदर मध्य प्रदेश ट्रेन ब्लास्ट के लखनऊ में ऑपरेशन का शुरू हो जाना अपने आप में एक बड़ा सवाल है।

पहले तो फोरेंसिक जांच में धमाके में आईईडी के इस्तेमाल की पुष्टि, फिर घटना स्थल से भोपाल पहुंच कर बस पर सवार हाने वाले संदिग्धों का टोल नाके से गिरफ्तार होना, उनसे पूछताछ के नतीजे में जानकारी हासिल होने के बाद ऑपरेशन के लिए ठाकुरगंज पहुंचना और यह सब मात्र साढ़े पांच घंटे के अंदर। आश्चर्य तो होता है। अगर सब कुछ ठीक चल रहा है तो निश्चित रूप से अपनी खुफिया एजेंसियों और पुलिस की सराहना किए बिना नहीं रहा जा सकता वरना आश्चर्य और शंका के लिए गुंजाइश तो है ही।