लखनऊ, 16 अगस्त 2014। रिहाई मंच ने दिल्ली के दिलशाद कॉलोनी निवासी युवक मोहम्मद सादिक की पिछले 9 अगस्त से लापता होने को गम्भीरता से लेते हुए पुलिस द्वारा मामले में तत्परता दिखाने की मांग की है।
रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने जारी बयान में कहा कि इस तरह हफ्ते भर से किसी मुस्लिम युवक का लापता हो जाना और दिल्ली पुलिस द्वारा अब तक कोई सुराग न लगा पाना कई तरह के अंदेशों को जन्म देता है खास कर उसके मूल रूप से आजमगढ़ के होने के कारण। क्योंकि इससे पहले भी आजमगढ़ के युवकों को दिल्ली स्पेशल सेल और क्राइम ब्रांच के अधिकारीयों द्वारा फर्जी मुठभेड़ों में मारने और आतंकवाद के फर्जी मामलों में फंसाने का आरोप लगता रहा है।
रिहाई मंच के आजमगढ़ प्रभारी मसीहुद्दीन संजरी ने कहा कि सादिक पुत्र मोहम्मद शफीक मूल रूप से आजमगढ़ के लालगंज तहसील के बैरीडीह गांव के रहने वाले हैं और उनका परिवार पिछले दस सालों से दिल्ली के दिलशाद कॉलोनी में रहते हैं। जामिया मिल्लिया इस्लामिया से स्नातक मोहम्मद सादिक बीएसएनएल में कांटेªक्ट पर काम करता है जो 9 अगस्त की शाम चार-पांच बजे से लापता है। जिसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट 10 अगस्त को साकेत थाने में उसके परिजनों द्वारा दर्ज कराई जा चुकी है। लेकिन पुलिस अभी तक उसका सुराग नहीं लगा पाई है।
मसीहुद्दीन संजरी ने कहा कि दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के हालिया रिकार्ड को देखते हुए इसके पीछे किसी साजिश की सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता। क्योंकि 19 सितम्बर 2008 को बटला हाउस में हुए फर्जी मुठभेड़ के गवाह रहे जामिया नगर इलाके में अभी स्वतंत्रता दिवस से एक दिन पहले ही 14 अगस्त को जामिया नगर के एक इलाके से असलहों से लैस दिल्ली स्पेशल सेल के कई सादे लिबास अधिकारियों को बिना पुलिस की मौजूदगी के गैर कानूनी तरीके से लोगों से पूछताछ करने और दहशत फैलाने के आरोप में वहां की जनता की सक्रियता के कारण पकड़ा और पुलिस को सौंपा जा चुका है जिनके खिलाफ थाने में रिपोर्ट भी दर्ज है। उन्होंने बताया कि अभी भी आजमगढ़ के कई नौजवान लापता हैं, जिनके बारे में यह अंदेशा है कि वह जांच और सुरक्षा एजेंसियों के पास हैं।