आन्दोलन से झण्डे बनते हैं न कि झण्डों से आन्दोलन
हाँ बिल्कुल "देश बदल रहा है"। देश साम्राज्यवादी शक्तियों के आगे गुलामी की ओर बढ़ रहा है
बाराबंकी। भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) के राष्ट्रीय महासचिव व प्रख्यात रंगकर्मी राकेश ने कहा है कि आज देश में जन मुद्दों को लेकर आन्दोलन नहीं हो रहे हैं, बल्कि जन मुद्दों से भटकाने के लिए आन्दोलन किये जा रहे हैं। यह साम्राज्यवादी सोच की समझी बूझी रणनीति है। वह चाहते हैं कि देश में विचार शून्य माहौल उत्पन्न कर दिया जाए ताकि उनके उत्पाद बिक सकें।
श्री राकेश लोक संघर्ष पत्रिका के प्रधान सम्पादक डा0 रामगोपाल वर्मा की याद में श्रृद्धांजलि सभा में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे।
श्री राकेश ने कहा कि डा0 राम गोपाल वर्मा उस पीढ़ी के साम्यावादी विचारधारा के व्यक्ति थे जो अपने विचारों के बल पर समाज में फैली विसंगतियों एवं सामाजिक दुराव को दूर करने के लिए जीवन भर संघर्ष करते रहे। उनको सच्ची श्रद्धांजलि हम उनके विचारों को क्रियान्वित करके ही दे सकते हैं ताकि सामाज व देश का उद्धार हो सके।
श्रृद्धांजलि सभा में अपने विचार रखते हुए साम्यवादी विचारों की ताल्लुक रखने वाले डा0 श्याम बिहारी वर्मा ने कहा कि वर्ष 1991 में मनमोहन सिंह द्वारा जिस प्रकार देश की आर्थिक नीतियों में बदलाव किया गया उससे देश अब तेजी के साथ दो समाजों में बंट रहा है, एक शोषित समाज व दूसरा शोषणकर्ता। वर्तमान में मौजूद एनडीए सरकार जिसका नेतृत्व नरेन्द्र मोदी कर रहे हैं और शान से कह रही है कि देश बदल रहा है जबकि वास्तविकता यह है कि देश साम्राज्यवादी शक्तियों के आगे गुलामी की ओर बढ़ रहा है।
सभा की अध्यक्षता कर रहे लोक संघर्ष पत्रिका के मुख्य सलाहकार एवं सुप्रसिद्ध अधिवक्ता मुहम्मद शुऐब ने कहा कि हमे परम्परावादी नहीं बनना चाहिए बल्कि विचारों के संघर्ष को तेज करना चाहिए।
शोक सभा में बृजमोहन वर्मा, डा0 कौसर हुसैन, राजनाथ शर्मा, बृजेश कुमार दीक्षित, हुमायुं नईम खान, मचकुन्द सिंह और राम प्रताप मिश्रा, सै0 इमरान रिजवी, डा0 उमेश वर्मा, मोहम्मद तारिक खान, अतीकुर्रहमान अंसारी, विनय कुमार सिंह, गुरू शरण दास, अजय सिंह, प्रवीण कुमार, पुष्पेन्द्र कुमार सिंह, नीरज वर्मा, मुनेश्वर वर्मा, गिरीश चन्द्र, सत्येन्द्र कुमार आदि ने अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।शोक सभा का संचालन रणधीर सिंह सुमन ने किया।