हिंदी आम लोगों की भाषा नहीं है : जस्टिस काटजू का लेख
हिंदी लोगों की भाषा नहीं है जस्टिस मार्कंडेय काटजू हिंदी एक कृत्रिम रूप से बनाई गई भाषा है, और लोगों की भाषा नहीं है। आम आदमी की भाषा (भारत के बड़े हिस्से में) हिंदुस्तानी है (जिसे खड़ी बोली भी कहा जाता है)। हिंदुस्तानी और हिंदी में क्या अंतर है? एक उदाहरण देने के लिए, हिंदुस्तानी...

हिंदी लोगों की भाषा नहीं है
जस्टिस मार्कंडेय काटजू
हिंदी एक कृत्रिम रूप से बनाई गई भाषा है, और लोगों की भाषा नहीं है। आम आदमी की भाषा (भारत के बड़े हिस्से में) हिंदुस्तानी है (जिसे खड़ी बोली भी कहा जाता है)।
हिंदुस्तानी और हिंदी में क्या अंतर है?
एक उदाहरण देने के लिए, हिंदुस्तानी में हम कहते हैं उधर देखिए, जबकि हिंदी में कहते हैं उधर अवलोकन कीजिये, या उधर दृष्टिपात कीजिये। आम आदमी कभी भी उधर अवलोकन कीजिये ’या उधर दृष्टिपात कीजिये’ नहीं कहेगा, और क्लिष्ट हिंदी में लिखित पुस्तकों को पढ़ना अक्सर मुश्किल होता है।
इस प्रकार हिंदी को कृत्रिम रूप से (भारतेन्दु हरिश्चंद्र द्वारा ब्रिटिश एजेंटों द्वारा) फ़ारसी या अरबी शब्दों से घृणा करके, जो हिंदुस्तानी में सामान्य उपयोग में थे, संस्कृत शब्दों द्वारा उन्हें प्रतिस्थापित करने के लिए बनाया गया था, जो सामान्य उपयोग में नहीं थे। उदाहरणस्वरूप, 'मुनासिब’ या वाजिब को उचित, ज़िला’ को ’जनपद’, 'इतराज़’ को 'आपत्ति’, एहतियात को 'सावधानी' आदि द्वारा प्रतिस्थापित किया गयाI
हिंदी को ब्रिटिश विभाजन और शासन की नीति ( divide and rule policy ) के अनुसार बनाया गया था, जिसमें हिंदी को हिंदुओं और उर्दू को मुसलमानों की भाषा के रूप में दर्शाया गया था (जब सच्चाई यह थी कि आम आदमी की भाषा थी, और अभी भी है, हिंदुस्तानी या खड़ीबोली, जबकि उर्दू भाषा थी शिक्षित वर्ग की, भारत के बड़े हिस्से में 1947 तक, चाहे हिंदू, मुस्लिम या सिख)।
यह सोचना एक गलती है कि एक भाषा कमजोर हो जाती है यदि वह किसी अन्य भाषा के शब्दों को अपनाती है और इसे सामान्य उपयोग के लिए बनाती है। वास्तव में यह शक्तिशाली हो जाती है। इस प्रकार, फ्रेंच, जर्मन, अरबी, हिंदुस्तानी, इत्यादि शब्दों को अपनाने से अंग्रेजी शक्तिशाली हो गई, और तमिल संस्कृत से शब्द अपनाकर शक्तिशाली हो गयी इसी तरह, फ़ारसी और अरबी शब्दों को अपनाने से हिंदुस्तानी शक्तिशाली हो गयी।
इन शब्दों को हटाने और एक कृत्रिम भाषा बनाने की कोशिश करने वाले लोगों ने राष्ट्र के लिए बहुत नुक्सान किया, और केवल हिंदुओं और मुसलमानों को विभाजित करने की विभाजन और शासन नीति ( divide and rule policy ) की सेवा की।


