हिंदुत्व एजेंडा की राजनय से हिंदू राष्ट्र का बंटाधार
हिंदुत्व एजेंडा की राजनय से हिंदू राष्ट्र का बंटाधार
हिंदुत्व एजेंडा की राजनय से हिंदू राष्ट्र का बंटाधार
मोदी को दूसरा झटका, चीन के बाद अब रूस ने किया पाकिस्तान का समर्थन
प्रधानमंत्री मोदी ने उज्बेक राष्ट्रपति से वार्ता में आतंकवाद, आफगानिस्तान पर चर्चा की।
जहां जहां संतन ने पांव धर दियो, वहां वहां सत्यानाश।
नेपाल में सार्क शिखर वार्ता फेल और महाभूकंप बजरिये हिंदू राष्ट्र की बहाली के मेगा प्रोजेक्ट से नेपाल हो गया दुश्मन।
बांग्लादेश गये तो देशभर में हिंदुत्व लहर जोड़कर अखंड हिंदूराष्ट्र का अलाप ऐसा किया कि बांग्लादेश के बीएनपी जमात इस्लामी कट्टरपंथियों को बांग्ला राष्ट्रीयता की कब्र खोदने का ईंधन देकर बांग्लादेश को भी दुश्मन बना आये।
चीन गये तो गोमांस निर्यात का इंतजाम कर दिया। अंबानी अडाणी के कारोबार के वास्ते इंडिया इंक की ख्वाहिश को चूना लगाकर खुदरा बाजार से लेकर स्मार्ट सिटी बुलेट ट्रेन सब कुछ चीनी कंपनियों के हवाले कर आये।
नतीजा यह हुआ कि न सीमा विवाद सुलझा और न दूसरे उलझे मसले सुलझे। नाथुला होकर कैलाश मानसरोवर का रास्ता जरुर खुल गया।
बदले में चीन ने पाकिस्तान के हक में संयुक्त राष्ट्र में भारत के खिलाफ वीटो का इस्तेमाल कर दिया।
चीन ने मुंबई हमले के मास्टरमाइंड और लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर जकीउर रहमान लखवी की रिहाई को लेकर पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई की भारत की मांग को वीटो कर दिया ... लखवी की रिहाई को लेकर अमेरिका, रूस, फ्रांस और जर्मनी ने चिंता जताते हुए उसकी फिर से गिरफ्तारी की मांग की थी। ... प्रतिबंध समिति के बाकी सभी सदस्य देशों ने भारत के रुख का समर्थन किया।
फलीस्तीन आंदोलन की खिलाफत करते हुए संयुक्त राष्ट्र में इजराइल के खिलाफ मतदान के दौरान अनुपस्थिति का फैसला करके अमेरिका और ब्रिटन की वाहवाही गुजरात नरसंहार पर एक दफा और क्लीन चिट के जरिये लूट तो ली लेकिन समूची अरब दुनिया को बारत का दुश्मन बना डाला और फिर पाकिस्तान को मजबूत बना दिये।
अब वे मध्य एशिया समेत रूस में हिंदुत्व का झंडा फहरा रहे हैं और पूत के पांव इतने पावन कि रूस परंपरागत भारत की मैत्री को तिलांजलि देकर पाकिस्तान के साथ खड़ा हो गया।
रूस को भारत का पारंपरिक साथी माना जाता है। चरमपंथ को जाने वाली फंडिंग पर हाल ही में ब्रिस्बेन में आयोजित हुए सम्मेलन में पाकिस्तान के खिलाफ लाए गए भारत के निंदा प्रस्ताव पर रूस के स्टैंड ने नई दिल्ली को असहज स्थिति में ला दिया है।
इस बैठक में जमात-उल-दावा और लश्कर-ए-तय्यबा के खिलाफ पाकिस्तान की ओर से कोई कदम नहीं उठाये जाने पर भारत ने पाक की निंदा किए जाने की मांग की थी। हालांकि भारत की ओर से लाए गए निंदा प्रस्ताव का न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया ने भी विरोध किया लेकिन भारत रूस के स्टैंड को लेकर हैरान है।
हर राजनयिक कदम, हर विदेश यात्रा से चक्रवर्ती महाराज पाकिस्तान को मजबूत किये जा रहे हैं। शायद हिंदुत्व का एजेंडा भी यही होगा। अब रूस भी चीन के बाद। पड़ोसी सारे दुश्मन सिर्फ अमेरिका और इजराइल का भरोसा और हथियारों, रिएक्टरों की बेलगाम खरीद का सिलसिला और अंबानी और अडाणी का कल्याण।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ आगामी 10 जुलाई को रूस में एससीओ शिखर सम्मेलन से इतर मुलाकात करेंगे। रूस के उफा शहर में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में भाग लेने जा रहे दोनों प्रधानमंत्री 10 जुलाई को इस बैठक से इतर मुलाकात करेंगे। देखें कि वहां क्या गुल गुलेबहार का आलम होता है। और गुलगुला कैसे बन चल निकलता है।
पलाश विश्वास


