स्वास्थ्य बीमा के नाम पर डकैती Robbery in the name of health insurance

वैक्सीन का कारोबार फल फूल रहा है, ब्रांडेड दवाओं के कीमती वक्त में जीवन रक्षक दवाइयां नदारद

मैं अब बेहतर हूं। न स्वाइन फ्लू है और न मलेरिया है और जान को खतरा नहीं है। महीने भर सुस्त रहने के बाद, दस दिनों तक कड़ा एंटीबायोटिक लेने के बाद सोलह सौ रुपये के ब्लड टेस्ट से पता चला कि बीमारी की वजह लीवर में बैक्टीरियल इंफेक्शन (Bacterial infections of liver) है और इसी वजह से रक्तचाप गिरा है, बुखार हो रहा है और डीहाइड्रेशन हो रहा है।

दस दिनों के इलाज में पांच छह हजार फूंक चुके है और सिलसिला जारी है।

हमारा यह ब्यौरा भोगा हुआ यथार्थ है।

अभी रिटायर होने में एक साल है और महंगा इलाज संभव है। अगले साल इसी वक्त बीमार रहूंगा तो इलाज कराने की औकात नहीं है।

देश को हेल्थ हब (Health hub) बनाने के लिए पूंजी को खुल्ला खेल फर्रुखाबादी बना दने से आम जनता की बीमारियों के इलाज का कोई रास्ता बचा नहीं है।

The robbery in the name of health insurance has become even faster with the passing of the insurance bill.

स्वास्थ्य बीमा के नाम पर डकैती का सिलिसिला बीमा बिल पास होने से और तेज जरूर हो गया है।

स्वाइन फ्लू को लेकर हंगामा है। कोलकाता में माकपा के बड़े नेता गौतम देब के स्वाइन फ्लू से अस्पताल में भर्ती हो जाने पर मास्क 270 के भाव थोक बिक रहे हैं।

देश भर में एक लाख लोग भी स्वाइन फ्लू से बीमार नहीं है। आंकड़ों में जितने लोग बीमार हैं उससे दस गुणा लोग इस बीमार की चपेट में आकर बिना इलाज के ठीक भी हो चुके हैं।

Epidemic warnings are profit-taking of multinational pharmaceutical companies overall.

महामारी चेतावनी कुल मिलाकर मल्टीनेशनल दवा कंपनियों की मुनाफावसूली है। स्वाइन फ्लू , हेपेटाइटस बी और एड्स से कहीं ज्यादा लोग पेट की तमाम बीमारियों से, मधुमेह से, टीबी से और कैंसर से मर रहे हैं।

वैक्सीन का कारोबार फल फूल रहा है। ब्रांडेड दवाओं के कीमती वक्त में जीवन रक्षक दवाइयां नदारद हैं।

बुनियादी जरूरतें, खाद्य सामग्रियां, बुनियादी सेवाएं, बिजली पानी ईंधन से लेकर शिक्षा चिकत्सा सब कुछ महंगा।

पलाश विश्वास