हे गाय माता तेरा भोलापन और तेरे भक्तों की चतुराई बेमिसाल है
हे गाय माता तेरा भोलापन और तेरे भक्तों की चतुराई बेमिसाल है

भोली गाय माता तेरा भक्तों से नहीं वोट से है नाता
देश में राजनीति की बिसात पर राजनैतिक प्रतिद्वन्दियों को संघ परिवार एवं भाजपा द्वारा गाय माता के नाम पर बेक फुट पर धकेला जाता रहा है। देश में ऐसा पहली बार हो रहा है कि दलित समाज के वोटों को प्राप्त करने के लिए संघ भाजपा के दोगले गो भक्तों ने रातों-रात गाय माता से नाता तोड़ लिया है।
हमारे देश में गोमाता, राष्ट्रभक्ति, देश धर्म, पूजा मंदिर व मंदिर में विराजमान संपूर्ण देवताओं पर संघ भाजपा वालो का एकाधिकार बना हुआ था।
संघ परिवार के लोग राजनैतिक रूप से चुनावों में इन सभी विवादित मुद्दों को लाभ प्राप्त करने के लिए उठाते रहे हैं।
सभी विवादित मुद्दों के मूल में मुस्लिम समुदाय था। जब तक ये भाजपा संघ परिवार के लिए लाभदायक थे। गाय माता के विवाद से दलित समुदाय पर हुए अत्याचारों ने देश भर में भाजपा संघ परिवार को सियासत के हमाम में अचानक नंगा कर दिया। तथा कथित गो सेवकों की बहादुरी जब तक कहर बन कर मुस्लिम समाज के लोगों पर टूट रही थी तब तक ये गो रक्षक दल के लोग भाजपा संघ के अपने प्रिय दुलारे थे।
अचानक गुजरात छत्तीसगढ़ हरियाणा राज्यों में तथा कथित गोरक्षक दलो की हिंसा का शिकार दलित वर्ग के लोगों के बनते ही बेचारी गाय माता के ये पुत्र उसे बीच मझधार के अकेला छोड़ गये।
वैसे भी संघ भाजपा में अगड़ी जातियों का ही वर्चस्व है।
देश में संघ भाजपा के लोग समान रूप से जहां आसानी से मुस्लिम उपलब्ध है, उन्हें हिंसा का शिकार बनाते हैं, जबकि किसी राज्य में दलित जाति के लोग आसानी से उन्हें उपलब्ध होते हैं तो वे भी हिंसा का शिकार बन जाते हैं।
संघ भाजपा के लोगों का गाय प्रेम भी बड़ा विचित्र हैं। जब तक गाय दूध देती है तब तक ये उसे अपने घर स्वार्थ पूर्ति में सहायक मानकर रखते हैं तथा जब गाय दूध देना बंद करती है तब कथित स्वंय भू गो भक्त उसे घर से निकाल देते हैं।
अनेक बार तो चन्द पैसों के लालच में मुस्लिम कसाईयों को ये गो माता के पुत्र गाय को ही बेच डालते हैं।
जब ये किसी कसाई को गाय बेचते हैं, तब इन्हें स्पष्ट रूप से पता होता है कि अब आगे जाकर हमारी गो माता के साथ क्या घटित होने वाला है।
दिन रात गो माता के नाम पर राजनीति करने के ठेकेदार भाजपा संघ के लोगों द्वारा ही घरों से लाभदायक नहीं होने पर गाय को सड़कों पर आवारा छोड़ दिया जाता है।
सड़कों पर अपने पेट की आग को शांत करने के लिए बेचारी भोली गाय प्लास्टिक की थैलियाँ खा जाती है। तो कहीं- कहीं जीने के लिए मृत जानवरों का मांस तक भक्षण करती मिल जाती है।
दुनिया भर में कहीं भी अपनी माता का निरादर नहीं होता, जितना भारत में गाय माता का निरादर माता कहने वाले उसके पुत्र करते हैं।
अवसरवादी ये गो भक्त जीवन पर्यन्त गाय का दूध पीते हैं और बूढ़ी होते ही घर से बाहर कर देते हैं।
मृत्यु के बाद इन भक्तों का गाय से कोई सरोकार नहीं होता है।
मरी हुई गाय का फिर क्रिया कर्म करने के लिए उसे ये पुत्र दलितों को सोंप देते हैं।
दुर्भाग्य से दलित वर्ग के लोगों को यह कर्म भी संघ भाजपा वालों के पुरखों ने ही सौंपे हैं। जब से देश में नरेन्द्र मोदी की भाजपा सरकार बनी है, तभी से संघ परिवार के लोग बहुसंख्यक अथवा सरकार उनकी अपनी होने के दंभ का शिकार बन गये हैं।
संघ परिवार देश के धर्म निरपेक्ष संविधान को अपने हिन्दू राष्ट्र के मसूंबे पूरे करने में बाधा मानता है।
दुर्भाग्य से आजादी के बाद सबसे ज्यादा संविधान के धर्म निरपेक्ष स्वरूप पर संघ परिवार ने प्रहार किये हैं। आज भी संघ परिवार के पाले हुए गो रक्षा दल के लोग देश में संविधानेत्तर अपनी न्याय व्यवस्था बहुसंख्यक के घमंड के आधार पर चला रहे हैं।
इन गुण्डों की गैर कानूनी गतिविधियों को संघ के साथ भाजपा की राज्य सरकारों का भी पूर्ण समर्थन प्राप्त था।
भाजपा के शासन वाली राज्य की वसुन्धरा सरकार की नाक के नीचे राजधानी जयपुर में हजारों गायो को मार दिया जाता है। राजधानी के नगर निगम जयपुर की सरकारी गोशाला हिगोंनिया में अब तक हजारों गायें भूख प्यास से तड़प तड़पकर मर जाती हैं। गायों का चारा नगर निगम जयपुर के भ्रष्ट अफसर खा जाते हैं।
यह हाल तो तब है जब जयपुर नगर निगम से लेकर राज्य तक में रामजादों की सरकार है।
जयपुर नगर निगम में संघ के एक स्वयं सेवक निर्मल नाहटा मेयर है। इनके कुशल नेतृत्त्व में नगर निगम जयपुर नेता अफसरों की लूट का नया कीर्तिमान बना रहा है।
ये तथाकथित गो भक्त बहुत भूखे हैं। गाय माता की भूख तो चारे पानी से शांत होती है। परंतु इन भाजपाइयों की भूख सारी नैतिकता धर्म के बंधनो सें आजाद हो गयी है।
गाय माता के नाम पर राजधानी की धार्मिक जनता से मिलने वाले चन्दे के साथ निगम की गो शाला का बजट इनके पेट में समा जाता है।
हर समय भूख से व्याकुल रहने वाले गाय माता के पुत्रों की पाखण्ड लीला भी अजब है।
दिन में धर्म का चोला ओढ़कर सरकारी धन के साथ आम जनता के धन को लूटना इनका प्रिय पेशा है।
दुर्भाग्य से भूखी रहने के बाद भी कोई गाय जीवित बच जाती है तो उसे जिंदा रहने के जुर्म की सजा देना सरकारी गोशाला में आम है।
जिंदा गो माता को परिवार सहित कत्ल के लिए भाजपा के शासन वाले राज्य की राजधानी जयपुर में कसाइयों को बेच दिया जाता है।
राजधानी के कानोता थाने में भाजपा का एक निर्वाचित पार्षद इस आशय की रिपोर्ट देता है। निगम में भाजपा के शासन में कत्ल के लिए गायें बेचने वाले अफसरों से मिलकर ये कलियुगी राम भक्त अपनी माता की कीमत का भाग अपने बच्चों को खिला रहे हैं।
राजधानी में मुख्यमंत्री के द्वारा गोशाला पर रिपोर्ट तलब करने के बाद उसी दिन 90 गायें मर जाती हैं।
बेजुबान गायों की मौतों ने भाजपाई के दोगलेपन को सामने ला दिया है।
पहले तो एक जानवर के मांस की खोज में ये भाजपाई अनेक निर्दोष व्यक्तियों को मार डालते हैं। इनकी इस करतूत पर दुनिया भर में हमारे देश की जग हसांई होती है। दुनिया कहती है भारत में आदमी की जान जानवर से सस्ती हो गयी है। अचानक फिर देश ओर दुनिया देखती है कि भाजपा शासन के राज्यों में गाय के कलियुगी पुत्र ही अपनी माता के हत्यारे बन जाते हैं।
एक दो नहीं हजारों गायों का तड़प-तड़प कर भूख से मर जाना बताता है कि भाजपा संघ के लोग धर्म के नाम पर सिर्फ पाखण्ड करते हैं।
वैसे भी आज तक रामलला को इनके आने का इंतजार है। 1989 में लगाया नारा देश की जनता भूल गयी पर भगवान राम को याद है। रामलला हम आयेंगे मंदिर वही बनाएगें।
पर क्या है कि अभी रामभक्तों को रामशिला पूजन के नाम पर एकत्रित 600 करोड़ रूपये भी तो ठिकाने लगाने हैं। यह आरोप लाल कृष्ण आडवानी की पुत्री ने वी एच पी पर लगाये थे। इसलिए जरा 28 वर्ष के बाद भी राम जी को इंतजार है कलियुगी रामभक्तों के आने का।
अब तक तो भक्त कहते थे कि बडी देर भई नंदलाला पंरतु यहां तो सतयुग में मिले राम को चौदह वर्ष के वनवास से भी ज्यादा का वनवास 28 वर्ष का हो गया है।
देश में भाजपा की सरकार के मंत्री गाय का मांस खाने के दावे करते हैं।
और भाजपाई मुसलमान के टिफिन में गाय का मांस ढूंढते हैं।
देश के प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी की चुप्पी तब ही टूटती है, जब हिंदुत्व के कच्चे धागे से बंधे दलित वर्ग के वोट जाने का खतरा पैदा हो जाता है।
मोदी अमित शाह और संघ परिवार उत्तर प्रदेश के चुनावों में दलित वोट प्राप्त करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे थे। अचानक गो माता के पुत्रों के द्वारा की गई दलित उत्पीड़न की घटना के कारण सब कुछ बिगड़ जाने का खतरा हो गया।
इसी कारण संघ परिवार एवं मोदी कहते हैं, मारना है मुझे मारो, गोली चलानी है मेरे पर चलाओ पर मेरे दलित भाइयों पर मत मारो।
इतना ही नही प्रधान मंत्री गोरक्षकों को अपराधी भी अचानक करार दे देते हैं।
कहते हैं गाय कत्ल से कम मरती है, प्लास्टिक खाने से ज्यादा मरती है।
वाह रे लोकतंत्र तेरी ताकत को सलाम। सत्ता प्राप्त करने के लिए गाय माता के पुत्रों ने गाय माता को अकेला छोड़ दिया।
गाय माता ही क्यों भगवान को भी सत्ता के लिए पहले भुलाया गया है। और अब तो गाय माता को ही थोक के भाव में भाजपा शासन में मारा जा रहा है।
सचमुच गाय माता तेरा भोलापन तेरा दुश्मन बन गया है।
भोली गाय माता तेरा बेजुबान होना तेरे पुत्रों के लिए वरदान है वरना तो तेरे प्रति इनका व्यवहार अब तक तो चुनावों में कुछ जो ओर था परंतु अब तिरस्कार पूर्ण हो गया है।
हे गाय माता तेरा भोलापन और तेरे भक्तों की चतुराई बेमिसाल है।
हम तो भगवान से प्रार्थना करते है काश भोली गाय माता भी अपनी जबान से कुछ बोलकर अपनी पीड़ा सत्ता के भूखे नेताओं को बता पाती। तब इनकी आंखे खुलती।
मोहम्मद हफीज पठान


