होक कलरव! आज भी पढ़ाई का मतलब सिर्फ डिग्री नहीं है !

आज भी जिंदा है छात्र युवा शक्ति!

आज भी जिंदा है जुल्मोसितम के खिलाफ रीढ़ की हड्डियां!

आज भी जिंदा है सड़ी गली बंदोबस्त को उखाड़ फेंकने का जज्बा!

आज भी जिंदा है आग उस राख में, जो खाक में मिलने से पहले पैदा कर देती है अग्निपाखियों की जमात!

छात्र युवा शक्ति अगर लड़ने को हो जाय तैयार तो कैरियर और भविष्य की कीमत पर भी शासक के रक्तचक्षु को ठेंगा दिखाकर जारी रख सकती है अपना आंदोलन।

जादवपुर विश्वविद्यालय के समावर्तन के लिए छात्रों को चेतावनी दी गयी थी कि उन्हें विवादित उपकुलपति के हाथों से ही अपनी डिग्रियां लेनी हैं और वे गैर हाजिर रहे तो उन्हें मार्क किया जायेगा।

सरकार उस उपकुलपति को बहाल रखने की जिद पर कायम है, जिसने विश्वविद्यालय परिसर में पुलिस बुलाकर अपनी बेटियों की बेइज्जती करवायी और कैंपस के मध्य छात्र-छात्राओं को लाठी से पिटवाया।

क्योंकि वे सत्ता की राजनीति के माफिक सत्ता की पहली पसंद हैं, जिसे सिरे से खारिज कर चुके हैं विश्वविद्यालय के छात्र और युवा।

उनका आंदोलन जारी है और छात्र कैंपस से लेकर राजपथ तक जब-तब जुलूस निकाल रहे हैं।

नारे लगा रहे हैं -

इतिहासेर दुटि भूल

सीपीएम तृणमूल

इस अराजनीतिक आंदोलन की गूंज दुनिया भर में हुई है।

उनके समर्थन में दुनिया भर के छात्र सड़कों पर उतर चुके हैं और जो कभी भी फिर सड़कों पर उतर सकते हैं। यह नरसंहार राजसूय के पुरोहितों और सिपाहसालारों के लिए अंतिम चेतावनी भी साबित हो सकती है।

शहबाग आंदोलन के साथ जादवपुर में नारा लगा -

संघ जमात भाई भाई

दुइयेर एक दड़िते फांसी चाई

लव जिहाद के खिलाफ होक चुंबन आंदोलन चलाने में भी हिचक नहीं दिखायी छात्र छात्राओं ने।

अमित शाह के बंग विजय के सपने के लिए शायद यह बुरी खबर है कि भाजपाई राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी ने जब उपकुलपति से डिग्री लेने से समापवर्तन समारोह में पहली ही छात्रा, स्नातक के टापर गीतश्री सरकार ने रीढ़ की हड्डियों की मजबूती का इजहार करते हुए विनम्रता पूर्वक इंकार कर दिया, तब उनने उस छात्रा से कड़कते हुए गेट आउट कहा।

शायद वापस जाओ के नारों और काले झंडों के खिलाफ उनकी यह प्रतिक्रिया थी।

जाहिर है कि बंग दखल के लिए मुश्तैद बजरंगी वाहिनी भी तिलमिला गयी है जैसे तिलमिला रही है शारदा पोंजी नेटवर्किंग की सत्ता।

भाजपा को केसरिया राज्यपाल को काले झंडे दिखाये जाने पर सखत ऐतराज है और जाहिर सी बात है कि वे गायपट्टी की तरह पूरब और दखिन के अलावा कश्मीर घाटी से लेकर पूर्वोत्तर में चीन म्यामार सीमात तक शत प्रतिशत हिंदू जनसंख्या का केसरिया लहराते हुए देखना चाह रहे हैं।

सत्ता समर्थक एक शिक्षक ने घसीटते हुए गीतश्री को बाहर कर दिया तो हंगामा यूं बरपा कि महामहिम को मंच छोड़कर जाना पड़ा और समावर्तन का पटाक्षेप हो गया।

आज कोलकाता के अखबारों में यह खबर हर अखबार में सबसे बड़ी खबर है ।

हस्तक्षेप ने कोलकाता से भी पहले यह खबर अपने दीवाल पर टांग दी। देखें -

আগুন নেভেনি যাদবপুরে

আগুন নেভেনি যাদবপুরে

গীতশ্রী জানিয়েছে, “আমি তিন বছর পড়াশুনা করে স্নাতক হয়েছি। এই শংসাপত্র আমার কাছে একটা স্বপ্নের মতো। কিন্তু আরও বড় স্বপ্ন আছে, এবং শিরদাঁড়াটা শক্ত আছে। অতএব, প্রবল শক্তিশালী শাসকের মুখের উপর এই “না” বলতে পারাটাই, হয়ত সেরা সার্টিফিকেট।” যাদবপুর ইউনিভার্সিটির সমাবর্তন। প্রথম বুক চেতানোর খবর।সমাবর্তনের দিন যাদবপুরে ছাত্র বিক্ষোভ, শংসাপত্র নিতে অস্বীকার, রাজ্যপালকে কালো পতাকা পড়ুয়াদের।

http://www.hastakshep.com/oldবাংলা/ধারণা/2014/12/24/আগুন-নেভেনি-যাদবপুরে

आंदोलन अगर जनसंहार संस्कृति और धर्म राष्ट्रीयता के खिलाफ सीमा आर-पार इसी तरह जारी रहा तो अमित शाह बंगाल के मुख्यमंत्री या भारत के प्रधानमंत्री तो हर्गिज ही नहीं बनेंगे।

असम को आग में झोंकने में बेमिसाल कामयाबी के बावजूद पूर्व और पूर्वोत्त्तर को गुजरात बनाने के कल्कि राजकाज का भी खुलासा होता रहेगा।
O- एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास