सौ दिनका ट्रंप शासन : ट्रंप के रूप में दूसरा हिटलर
डॉ. सुरेश खैरनार द्वारा ट्रंप शासन के 100 दिनों की कड़ी समीक्षा—अप्रवासी नीति, टैरिफ, WHO से बहिष्कार और मोदी सरकार से समानताएं उजागर।

100 days of trump rule
ट्रंप का नया अमेरिका: सौ दिन में बदला वैश्विक समीकरण
- अप्रवासियों पर ट्रंप की कड़ी कार्रवाई और भारत का प्रभाव
- 'जैसे को तैसा' टैरिफ नीति और वैश्विक मंदी की आशंका
- विदेशी सहायता पर रोक और यूएसएड का पतन
- विश्वविद्यालयों पर शिकंजा और शिक्षा क्षेत्र की अनिश्चितता
- WHO से बाहर और वैश्विक स्वास्थ्य सेवाओं पर असर
- नाटो, यूक्रेन और गाजा: ट्रंप की आक्रामक विदेश नीति
- अमेरिका में छंटनी, बेरोजगारी और महंगाई का विस्फोट
- ट्रंप-मोदी समानताएं: जनता पर बोझ, पूंजीपतियों को छूट
- भारत में प्रतिरोध का अभाव: सबसे बड़ी लोकतांत्रिक त्रासदी
डॉ. सुरेश खैरनार द्वारा ट्रंप शासन के 100 दिनों की कड़ी समीक्षा—अप्रवासी नीति, टैरिफ, WHO से बहिष्कार और मोदी सरकार से समानताएं उजागर।
20 जनवरी 2025 को ट्रंप ने राष्ट्रपति पद की शपथ ग्रहण करने के बाद अब तक 140 कार्यकारी आदेशों पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें सबसे तहलका मचाने वाले आठ फैसले हैं, जिसका असर अमेरिका समेत दुनिया भर में देखने को मिल रहा है.
(1) पहला फैसला अमेरिका में रह रहे दो करोड़ अवैध अप्रवासियों को निकाल बाहर करने का. उसके बाद अवैध प्रवासियों की धर-पकड़ 627% बढ़ी है. और सीमा पार करना 94 % कम हुआ है. 2 करोड़ अवैध प्रवासियों के निर्वासन की शुरुआत की है, जिसमें 332 भारतीय अप्रवासियों का भी समावेश है. उन्हें हाथों में जंजीर बांधकर और माल ढोने वाले हवाई जहाज, जिसमें ढंग से बैठने से लेकर बाथरूम की भी सुविधाएं अपर्याप्त थी और खाने पीने का भी प्रबंध बहुत ही घटिया था, उन्हें भेड-बकरी से भी बदतर हालात में भारत के चंडीगढ हवाई अड्डे पर उतारा गया है. और यह बात भी उन्हीं अप्रवासियों ने कही है. वर्तमान समय की अमेरिका के निर्माण के लिए, 500 वर्ष पहले दो करोड़ मूलवासियों की निर्मम हत्याकांड करने के बाद आज का अमेरिका उनकी कब्र पर खड़ा है. खुद डोनाल्ड ट्रंप के पूर्वज अप्रवासियों की श्रेणी में आते हैं, और ट्रंप शुद्ध अमेरिकियों की अमेरिका का राग अलाप रहे हैं, जो कि पूरी अमेरिका बाहरी लोगों से भरा हुआ है.
(2) दूसरा फैसला टैरिफ को लेकर जैसे को तैसा नीति लागू की. 2 अप्रैल को 75 देशों पर टैरिफ लगाया. जिससे कई देशों में हड़कंप मच गया. और मंदी की आशंका के बीच चीन को छोड़ बाकी पर 90 दिनों के लिए निलंबित कर दिया. इस फैसले की वजह से 75 देशों की जीडीपी पर नकारात्मक असर हुआ, जिसकी वजह से जर्मनी, ब्रिटेन में उत्पादन और दक्षिण कोरिया में 5% निर्यात घटा है. और भारत में भी इसका असर सरेआम दिखाई दे रहा है. लेकिन वर्तमान सरकार मौन धारण करके बैठी है.
(3) विदेश नीति के संबंध में, जिस की वजह से कूटनीतिक भूचाल आया है. विदेशी सहायता यूएसऐड (USED) के तहत दुनिया भर के 83% कॉन्ट्रैक्ट रद्द कर दिए हैं. और पनामा नहर और ग्रीनलैंड पर नियंत्रण की मांग की है. उसके वजह से वैश्विक मदद और कूटनीतिक अनिश्चितता बढ़ी है. यूसऐड (USED) बंद होने की वजह से 100 देशों में हजारों लोगों को नौकरी से निकाला गया है. जिस कारण आरोग्य सेवा तथा शैक्षणिक प्रकल्प और महिला तथा बच्चों को तथा कई मानवीय सेवा के लिए चल रही योजनाएं बंद हो गई है. हालांकि अमेरिका का वैभव संपूर्ण विश्व का शोषण पर आधारित है. सबसे भयंकर बात अस्त्र शस्त्रों और तथाकथित टेक्नोलॉजी के जरिए संपूर्ण विश्व को पांच सौ सालों से अमेरिका शोषण करता आ रहा है. और अपने किए- कराए पापों के कारण अपराध बोध कम करने के लिए यूएसऐड के नाम पर तथाकथित मदद कर रहा था.
( 4 ) अमेरिका के विभिन्न विश्वविद्यालयों के कामों में हस्तक्षेप : विश्वविद्यालयों में डीईआई कार्यक्रमों पर प्रतिबंध लगा दिया है. और सभी विश्वविद्यालयों से विदेशी अनुदान का रिकॉर्ड मांगा है. और दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय हॉर्वर्ड की 2.3 अरब डॉलर की फंडिंग रोक दी है. एक हजार से अधिक अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के वीसा रद्द कर दिया गया है. और सैकड़ों को निर्वासित किया है. इस कारण शिक्षा के क्षेत्र में तनाव और अनिश्चितता बढ़ी है. 200 विश्वविद्यालयों ने स्वायत्तता को लेकर सवाल उठाए हैं. और इस मनमानी को लेकर हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने कोर्ट में केस दर्ज किया है.
(5) विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से अमेरिका की सदस्यता रद्द कर दिया. और इस वजह से संपूर्ण विश्व की स्वास्थ्य सेवा कमजोर हो गई हैं. अफ्रीका के देशों में वैक्सीन वितरण प्रभावित हुआ है.
( 6 )10 फरवरी को नाटो की फंडिंग रोकने की धमकी दे रहे हैं. इस वजह से युक्रेन को युद्ध सहायता पर असर होने की संभावना है. क्योंकि यूक्रेन की सहमति के बिना रूस के साथ युद्धविराम वार्ता शुरू कर दिया है. 4 मार्च को यूक्रेन को सैन्य मदद रोकी भी, जिसे बाद में जारी किया.
(8) गाजा पर इस्राइली हमले पिछले बीस महीनों से लगातार जारी हैं. रोज सैकड़ों मासूम बच्चों की जानें जा रही हैं. उसे बंद करो कहने की जगह इजराइल का पूरा समर्थन करते हुए, 20 मार्च को गाजा पट्टी को कब्जे में करते हुए सि-रिसॉर्ट बनाने की बात की है. इजराइल गाजा पट्टी में रह रहे फिलिस्तीनी लोगों को हिटलर ने जिस तरह से यहूदियों का वंशसंहार किया था, वही गाजापट्टी में वर्तमान यहूदी प्रधानमंत्री नेतन्याहू कर रहा है. और डोनाल्ड ट्रंप उसे मदद करते हुए, गाजापट्टी को उसे सौंपने की बात बोल रहे हैं. सौ साल से पहले ही दूसरा हिटलर ट्रंप के रूप में दिखाई दे रहा है.
( 8) अमेरिका के प्रशासनिक सेवा के 50,000 कर्मचारियों की छंटनी की, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य और ऊर्जा विभाग शामिल है. 77000 कर्मचारियों ने खुद ही इस्तीफा दे दिया है. इस कारण अमेरिका की बेरोजगारी की दर बढ़कर 4.2% हो गई है. इसके अलावा कॉर्पोरेट टैक्स 21% से घटाकर 15 % कर दिया और फेडरल रिजर्व बैंक को ब्याज दरे कम करने का दबाव डाला. बंदरगाहों पर स्वचालन अनिवार्य कर दिया. इन सभी का असर अमेरिका में महंगाई बढ़ी और ब्याज दरें 4.25 हुई हैं. गैस 4.3%,ऑटो पार्ट्स 6% महंगे और आयातित सामान की कीमतें 7% बढ गई हैं. फल - सब्जियां 4.8% और आवास की कीमत 5.1% बढ़ी है.
अमेरिका के सभी जगहों पर लाखों लोगों ने ट्रंप के खिलाफ प्रदर्शन करना शुरू कर दिया है. भारत में नरेंद्र मोदी ने मई 2014 में शपथ ग्रहण करने के बाद, सबसे पहले योजना आयोग को बर्खास्त कर दिया. और एंप्लॉईमेंट एक्सचेंजों को भी बंद कर दिया. और बेरोजगारी के आंकड़े देना बंद करने के आदेश दे दिया. लेकिन विरोधी दलों से लेकर देशवासियों के तरफ से विरोध करने का एक भी उदाहरण नहीं है. फिर कालेधन को खत्म करने के नाम पर नोटबंदी जैसा फैसला लेकर, काला धन आना तो दूर की बात है. लेकिन छोटे-छोटे उद्योग खत्म होने की वजह से लाखों की संख्या में लोग बेरोजगार हो गए. और रिजर्व बैंक के रिजर्व फंड को रिजर्व बैंक के इतिहास में पहली बार किसी ने हाथ लगाया. वह वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ही हैं. उसी तरह से आम लोगों की जेब से जीएसटी से लेकर और भी अन्य टैक्स निकाले जा रहे हैं. लेकिन डोनाल्ड ट्रंप के जैसे ही कार्पोरेट जगत के टैक्स कम किए गए. और उन्हें बैंकों के लाखों करोड़ों रुपए के कर्जा माफ कर देना, उदाहरण के लिए अनिल अंबानी के 48 हजार 500 करोड रुपये का कर्जा बड़े भाई मुकेश अंबानी ने 450 करोड रुपये भर कर 44000 करोड रुपये का कर्जा माफ कर लिया है. इसी तरह और भी उद्योगपतियों के कर्ज माफ कर दिए हैं. और कुछ उद्योगपतियों ने हमारे बैंकों के कर्जा लेकर, आराम से विदेशों में भागना पसंद किया है. लेकिन सर्व साधारण आदमी बैंक से अपने पारिवारिक समस्या के लिए कर्ज लेने के बाद, बैंक किस तरह से उससे कर्ज के पैसे ब्याज के साथ वसूली करती है. और इस कारण पांच लाख से अधिक संख्या में लोगों ने आत्महत्या कर ली है.
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जिस तरह से पूंजीपतियों को सहुलियत दे रहे हैं. यह काम भारत में नरेंद्र मोदी जी दस साल पहले ही शुरू कर दिए हैं. इसलिए दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं. लेकिन भारत और अमेरिका के सर्वसामान्य नागरिकों के लिए जिसे सोशल वेल्फेअर बोला जाता है, वह कम करने की प्रक्रिया दोनों देशों में जारी है. हेल्थ तथा शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में प्राइवेट मास्टर्स के हवाले करना जारी है.
अमेरिका की सिविल सोसायटी सजग होने की वजह से, अमेरिका में ट्रंप के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. लेकिन सबसे बड़ी पीड़ा की बात, हमारे देश में हिंदू - मुस्लिम की जुगलबंदी में हमारे देश के ज्यादातर लोग उलझे हुए हैं. और हमारे रोजमर्रा के सवाल पर कोई विशेष प्रतिरोध नहीं हो रहा है. यही सबसे बड़ी त्रासदी है.
डॉ. सुरेश खैरनार
नागपुर.


