15 जुलाई - विश्व युवा कौशल दिवस
15 जुलाई - विश्व युवा कौशल दिवस

विश्व युवा कौशल दिवस की
स्थापना (World Youth Skills Day - 15 July) संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly) द्वारा 11 नवम्बर 2014 को श्रीलंका के प्रस्ताव
पर की गयी थी। महासभा ने 15 जुलाई को
प्रतिवर्ष विश्व युवा दिवस (world Youth
Day) के रूप में मनाने की घोषणा की। संयुक्त राष्ट्र ने विश्व के सभी देशों से यह
आग्रह किया कि वे अपने देश में युवाओं को कौशल विकास में सहायता प्रदान करें ताकि
ये युवा आगे चलकर बेहतर राष्ट्र तथा विश्व के निर्माण में योगदान दे सकें।
world youth skills day quotes
21वीं सदी की युवा
पीढ़ी सारे विश्व में घूम-घूमकर अपनी सर्वोत्तम प्रतिभा का प्रदर्शन कर रही है।
इनोवेशन की 21वीं सदी में
वसुधैव कुटुम्बकम् की अवधारणा साकार रूप लेने की ओर से तेजी से बढ़ रही है।
संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित यह महत्वपूर्ण
दिवस तकनीकी, व्यावसायिक
शिक्षा और प्रशिक्षण के लिए कौशल के विकास के महत्व पर अधिक जागरूकता और विश्व
बन्धुत्व की भावना विकसित करने के लिए प्रयासरत है। यह उम्मीद की जाती है कि यह
दुनिया भर के युवाओं के लिए युगानुकूल कौशल तथा उसके अनुरूप रोजगारों में वृद्धि
करने में योगदान देगा।
world youth skills day activities
इस दिवस पर न्यूयार्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय और
अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जहां विभिन्न देशों के
युवा विज्ञान, कला और
प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों में अपने उच्चतम कौशल को दिखाने के लिए एकत्रित
होते हैं।
संसार को आश्चर्यचकित कर देने वाले युवा
संन्यासी स्वामी विवेकानंद अध्यात्म एवं विज्ञान में समन्वय एवं आर्थिक समृद्धि के
प्रबल समर्थक थे। हम सभी भारतवासी 12 जनवरी को युवा स्वामी विवेकानंद का जन्मदिन (Swami Vivekananda's Birthday) राष्ट्रीय युवा दिवस (National Youth Day) के रूप में
प्रत्येक वर्ष धूमधाम से मनाते हैं। ‘उठो, जागो और तब तक मत रूको जब तक मंजिल प्राप्त न हो जाए’ का
संदेश देने वाले स्वामी विवेकानंद थे।
स्वामी जी ने युवाओं से कहा कि जीवन में एक विचार लें उस
विचार को अपनी जिंदगी बना लें। उसके बारे में सोचिये, उसके सपने देखिये, उस विचार के लिए, आपका मन, आपकी मांसपेशिया, आपके शरीर का हर एक अंग, सभी उस विचार से भरपूर हो
और दूसरे सभी विचारों को छोड़ दे। यही उच्चतम सफलता पाने का सबसे बेहतर तरीका हैं।
स्वामी विवेकानंद ने सन् 1897 में युवाओं को संबोधित करते हुए कहा था जगत
में बड़ी-बड़ी विजयी जातियां हो चुकी हैं। हम भी महान विजेता रह चुके हैं। हमारी
विजय की गाथा को महान सम्राट अशोक ने धर्म और आध्यात्मिकता की ही विजय गाथा बताया
है। अब समय आ गया है भारत फिर से वैज्ञानिक अध्यात्म के बलबुते ‘जगत गुरू’ के रूप
में राह से भटके विश्व का पथ प्रदर्शन करे।
भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक तथा युवा
देश है। भारत की लगभग 65 प्रतिशत जनसंख्या
की आयु 14 वर्ष से लेकर 40 वर्ष से कम हैं। यह एक
ऐसा वर्ग है जो शारीरिक एवं मानसिक रूप से सबसे ज्यादा ताकतवर है।
विश्व के सबसे बड़े नोबेल पदक विजेता आठ भारतीयों तथा भारतीय मूल के महापुरूषों के विवरण इस प्रकार हैं :-
(1)
महान कवि और
रचयिता गुरूवर रवींद्रनाथ टैगोर नोबेल पुरूस्कार पाने वाले एशिया एवं भारत के पहले
व्यक्ति थे। गुरूवर को साहित्य के क्षेत्र में उनकी काव्य पुस्तक ‘गीतांजलि’ के
लिए वर्ष 1913 में नोबेल
पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
(2)
महान वैज्ञानिक
सर चंद्रशेखर वेंकटरमन को वर्ष 1930 में भौतिकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य करने के लिए
नोबेल पुरूस्कार से सम्मानित किया गया।
(3)
भारतीय मूल के
अमरीकी नागरिक डा. हरगोबिंद खुराना को आनुवांशिक कोड (डीएनए) की व्याख्या करने के
लिए चिकित्सा के क्षेत्र में अनुसंधान के लिए वर्ष 1968 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
(4)
अल्बीनियाई मूल
की भारतीय मदर टेरेसा को 45 सालों तक गरीब, असहाय और मरीजों की सेवा
करने के लिए वर्ष 1979 में शांति के
नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
(5) डा. सुब्रह्मण्यम
चंद्रशेखर को भौतिक शास्त्र के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए वर्ष 1983 में नोबेल पुरस्कार दिया
गया। डा. चंद्रशेखर भारतीय मूल के अमरीकी नागरिक होने के साथ ही एक विख्यात खगोल
भौतिक शास्त्री थे।
(6)
श्री अमर्त्य सेन
को अर्थशास्त्र में उनके योगदान के लिये वर्ष 1998 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने
अकाल में भोजन की व्यवस्था के लिये अपनी थ्योरी दी।
(7)
भारतीय मूल के
अमरीकी नागरिक श्री वेंकटरमन रामाकृष्ण को वर्ष 2009 में रसायन शास्त्र के क्षेत्र में महत्वपूर्ण
कार्य करने के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
(8)
श्री कैलाश
सत्यार्थी को वर्ष 2014 में बाल
अधिकारों की रक्षा एवं बाल श्रम के विरूद्ध लड़ाई के लिए नोबेल पुरूस्कार से
सम्मानित किया गया है। उन्होंने बचपन बचाओ आन्दोलन की स्थापना की और विश्व भर में
बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए कार्य कर रहे हैं।
प्रदीप कुमार सिंह,
एल्डिको, रायबरेली रोड,
लखनऊ-


