17 जून-आज है झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का पुण्य तिथि
17 जून-आज है झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का पुण्य तिथि
इतिहास के झरोखे से 17 जून
"तारीख गवाह है" डीबीलाइव के साथ
DBLIVE | 17 June 2016 | Taarikh Gawah Hai
आज ही हुई थी हॉलैंड की स्वतंत्रता की घोषणा
17 जून 1576 को हॉलैंड में स्पेन के विरुद्ध जनविरोध का नेतृत्व करने वाले विलियम दि साइलेन्ट ने देश की स्वतंत्रता की घोषणा की थी। यह विद्रोह वर्ष 1568 में तेज़ हुआ था और हॉलैंड के सात राज्यों के एक साथ मिल जाने के बाद स्वतंत्र देश की स्थापना के लिए ज़मीन तैयार हो गई। हॉलैंड की स्वतंत्रता की घोषणा के बाद भी स्पेन के सैनिकों ने हॉलैंड की जनता का दमन जारी रखा। 1609 को हॉलैंड के नेताओं और स्पेन के नरेश के बीच शांति समझौते पर हस्ताक्षर हुए, जो वास्तव में हॉलैंड की स्वतंत्रता को औपचारिकता प्रदान करने के अर्थ में था। स्वतंत्र होने के बाद हॉलैंड ने दूसरे देशों के अतिग्रहण का अभियान आरंभ किया था।
आज ही हुआ था मुमताज़ महल का इन्तेक़ाल
17 जून 1632 में मुगल बादशाह शाहजहां की पत्नी मुमताज़ महल का निधन हुआ था। मुमताज़ महल की याद में शाहजहां ने ताजमहल बनाने का फैसला किया, जिसके निर्माण में 22 साल लगे। मुमताज़ महल का असली नाम अर्जुमंद बानो था। 14 साल की उम्र में मुमताज़ महल की सगाई शाहजहां के साथ हुई थी। सगाई के पांच साल बाद 10 मई, 1612 को शाहजहां से मुमताज़ का निकाह हुआ। मुमताज़ महल बहुत अच्छी शतरंज खिलाड़ी भी थीं और उन्हें शाहजहां से भी अच्छा खिलाड़ी माना जाता था। मुमताज़ महल के जनाज़े को एक विशाल जुलूस के साथ आगरा ले जाया गया और ताजमहल के गर्भगृह में दफना दिया गया। इस जुलूस पर उस समय आठ करोड़ रुपये खर्च हुए थे।
आज ही हुआ था झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का निधन
17 जून 1858 में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की नायिका झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का निधन हुआ था। रानी लक्ष्मीबाई मराठा शासित झांसी राज्य की रानी और 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की वीरांगना थीं। अंग्रेज़ों की शक्ति का सामना करने के लिए उन्होंने नए सिरे से सेना का संगठन किया और सुदृढ़ मोर्चाबंदी करके अपने सैन्य कौशल का परिचय दिया था। लक्ष्मीबाई ने न केवल भारत की बल्कि विश्व की महिलाओं को गौरवान्वित किया। उनका जीवन स्वयं में वीरोचित गुणों से भरपूर, अमर देशभक्ति और बलिदान की एक अनुपम गाथा रहा। अंग्रेज़ों के विरुद्ध रणयज्ञ में अपने प्राणों की आहुति देने वाले योद्धाओं में वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई का नाम सर्वोपरि माना जाता है।
आज ही हुए थे जैविक हथियारों के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाने के समझौते पर हस्ताक्षर
17 जून 1925 में जेनेवा में रासायनिक और जैविक हथियारों के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाने के समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे। इस समझौते के आधार पर हर प्रकार के जैविक हथियार अर्थात घातक गैस और रासायन आदि का युद्ध में प्रयोग वर्जित घोषित कर दिया गया। इस समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले देशों की संख्या 29 थी, जिसके बाद यह संख्या बढ़ी। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी द्वारा व्यापक स्तर पर रासायनिक और जैविक हथियारों के प्रयोग के कारण यह समझौता हुआ था।
आज ही हुआ था गोपबंधु दास का निधन
17 जून 1928 में भारत के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी, पत्रकार, कवि तथा साहित्यकार गोपबंधु दास का निधन हुआ था। वह उड़ीसा के प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता थे। गोपबंधु दास को 'उत्कल मणि' के नाम से भी जाना जाता है। उड़ीसा राज्य में जब भी राष्ट्रीयता और स्वाधीनता संग्राम की बात की जाती है, तब लोग गोपबंधु दास का ही नाम लेते हैं। उड़ीसा के लोग इन्हें 'दरिद्र सखा' अर्थात 'दरिद्र के सखा' के रूप में याद करते हैं। गोपबंधु दास ने उत्कल के विभिन्न अंचलों को संघठित करके पूर्ण उड़ीसा राज्य बनाने की जी-जान से कोशिशें की थीं। गोपबंधु दास उत्कल के दैनिक पत्र 'समाज' के संस्थापक थे।
17 जून - आज है लिएंडर पेस का जन्म दिवस
17 जून 1973 में भारत के सर्वश्रेष्ठ टेनिस खिलाड़ी लिएंडर पेस का जन्म कोलकाता में हुआ था। लिएंडर पेस युगल और मिश्रित युगल मुकाबलों में भाग लेते हैं। वह भारत के सबसे सफल खिलाड़ियों में से एक गिने जाते हैं। पेस ने अपनी स्कूली पढ़ाई कोलकाता के ला मार्टिनीयर स्कूल से की। सेंट जेवियर कॉलेज से अपनी स्नातक की पढ़ाई करने के बाद मद्रास के ब्रिटानिया अमृतराज टेनिस अकादमी में दाखिला लिया। जिसके बाद कोच देव ओमेरिया के मार्गदर्शन में पेस ने अपनी टेनिस प्रतिभा को निखारा। टेनिस में अपने योगदान के लिए वर्ष 1996 में उन्हें राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड और वर्ष 2001 में पद्मश्री अवॉर्ड से नवाजा गया।


