2014 की तैयारी के तहत बोध गया से खेल शुरू हो गया है- अनुषा रिजवी
2014 की तैयारी के तहत बोध गया से खेल शुरू हो गया है- अनुषा रिजवी
यूपी सरकार किसके कंधे पर बंदूक रख कर किसके लिये चला रही है - अनुषा
जिसे कमजोर पाती है उसे सरकार फँसा देती है- अनुषा रिजवी
18 अगस्त रविवार को धरने के 89 वें दिन मशहूर फिल्मकार आनंद पटवर्धन आएंगे
लखनऊ। पिछले दिनों स्वतंत्रता दिवस के ठीक पहले एक तस्वीर अखबारों में छपी थी जिसमें पूर्वोत्तर के 14 से 15 साल के बच्चों को एक जगह घेर कर बैठाया गया था और तस्वीर के नीचे लिखा था कि स्वतंत्रता दिवस की तैयारी के तहत ऐसा किया जा रहा है। खबर के मुताबिक पूरे पूर्वोत्तर में लोगों के घरों की तलाशी इस दौरान की गयी थी। आज कश्मीर समेत भारत के कई हिस्सों में यही स्थिति है। छत्तीसगढ़ और नियमगिरि में नक्सल के नाम पर जो हो रहा है वो सबके सामने है। माइनिंग के लिये विकास के नाम पर लोगों के घर उजाड़े जा रहे हैं। आज देश में हर जगह छोटे-छोटे विद्रोहों की स्थिति बनी हुयी है।
ये बातें भ्रष्टाचार की राजनीति पर चोट करती मशहूर फिल्म पीपली लाइव की निर्देशक अनुषा रिजवी ने विधानसभा धरना स्थल लखनऊ पर चल रहे रिहाई मंच के अनिश्चितकालीन धरने के 88वें दिन कहीं।
अनुषा रिजवी ने कहा कि बाटला हाउस मामले में क्या हो रहा है उसे सबने देखा है। किस तरह शहजाद को सिर्फ इस आधार पर कि घटना सथल से उसके नाम का एक पासपोर्ट मिला उसे सजा सुना दी गयी और एक लाख रुपये जुर्माना लगा दिया गया। जबकि शहजाद के वहाँ रहने का और कोई सुबूत जैसे उसके कपड़े, किताबें, टूथपेस्ट तक नही है। कोई आदमी सिर्फ पासपोर्ट के साथ कहीं रहे यह कल्पना से परे है। लेकिन फिर भी इसी एक सुबूत के आधार पर उसे सजा सुना दी गयी आज कल इस तरह के सुबूत गढ़े जा रहे हैं। और सजाएं भी हो जा रही हैं। लोग बाटला हाउस की जुडिशियल इंक्वायरी की माँग कर रहे हैं लेकिन सरकार यह माँग भी नही पूरा कर रही है। लोकतंत्र में इतनी ताकत तो होनी ही चाहिए कि वह लोगों की माँग का सम्मान करते हुये जांच आयोग का गठन कर देती लेकिन तमाम लोगों की इस माँग के बावजूद ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि यूपी की वोट बैंक की राजनीति भी अब बहुत साफ हो गयी है। यहां सरकार किसके कंधे पर बंदूक रख कर किसके फायदे के लिये चला रही है यह समझना मुश्किल नहीं है। इसके पीछे राजनीतिक और आर्थिक हित हैं। और इन्ही हितों के लिये सरकार जिसकों कमजोर पा रही है फंसा दे रही है।
अनुषा रिजवी ने कहा कि 2014 की लड़ाई अब शुरू हो गयी है। बिहार और बोधगया में जो खेल खेला गया इसमें कितने लोग पकड़े जाएंगे इस बात की कोई गारंटी नहीं है। 2014 की तैयारी में अभी इस तरह का बहुत कुछ देखने सुनने को मिलेगा। लेकिन बेहतर लोकतंत्र की स्थापना के लिये हमें इंसाफ की इस लड़ाई को लगातार जारी रखना होगा।
धरने को संबोधित करते हुये रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने कहा कि सपा सरकार जिस तरह खालिद मुजाहिद के हत्यारों को बचाने की कोशिश कर रही है इसी तरह की कोशिश गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी भी इशरत जहां, सादिक जमाल मेहतर और सोहराबुद्दीन के हत्यारे पुलिस अधिकारियों को बचाने के लिये कर रहे थे लेकिन इंसाफ की लड़ाई लड़ने वालों के आगे मोदी भी टिक पाये और आज इन हत्याओं में शामिल आला पुलिस अधिकारी जेलों में बंद हैं। इसलिये खालिद के हत्यारों को भी जेल जाना होगा। उन्हें लाख कोशिशों के बावजूद सपा सरकार नहीं बचा सकती।
धरने को संबोधित करते हुये इंडियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद सुलेमान ने कहा कि रिहाई मंच ने 15 अगस्त के दिन सूबे भर के दंगा पीड़ितों और आतंकवाद के नाम पर फँसाये गये पीड़ितों की जनसुनवाई करके उत्तर प्रदश सरकार द्वारा अरबों रुपये खर्च करके प्रचारित किये गये उपलब्धियों की पोल खोल दी है कि यूपी में अल्पसंख्यक, दलित और महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। अगर सरकार में थोड़ी भी नैतिकता बची हो तो प्रदेश के अपराधमुक्ति और अमन चैन का दावा करना छोड़ दें क्योंकि यह पीड़ितों के लिये जले पर नमक छिड़कने जैसा है।
इस अवसर पर मुस्लिम मजलिस के जैद अहमद फारूकी, भारतीय एकता पार्टी के सैयद मोईद अहमद तथा पिछड़ा समाज महासभा के एहसानुल हक मलिक और भागीदारी आंदोलन के पीसी कुरील ने कहा कि रिहाई मंच का यह धरना दो दिन बाद तीन महीने पूरे करने जा रहा है। लेकिन सरकार ने एक भी मांगे न मानकर साबित कर दिया है कि वह एक फासिस्ट और अपराधी सरकार है। यह धरना सपा मुखिया के इस सपने की कि मुसलमानों के वोट से वह प्रधानमंत्री बन जायेंगे, का जनाजा निकालने का काम करेगा।
रिहाई मंच के प्रवक्ताओं राजीव यादव और शाहनवाज आलम ने कहा कि कल 18 अगस्त को धरने के समर्थन में साम्प्रदायिकता और युद्धोन्माद के खिलाफ ‘राम के नाम’ और वार एंड पीस’ जैसी डॉक्यूमेंट्री फिल्में बनाने वाले मशहूर फिल्मकार आनंद पटवर्धन आएंगे।
खालिद मुजाहिद के हत्यारे पुलिस अधिकारियों की गिरफ्तारी, निमेष कमीशन की रिपोर्ट पर अमल करने और आतंकवाद के नाम पर बंद बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों को छोड़ने का वादा पूरा करने की माँग को लेकर चल रहे धरने का संचालन अनिल आजमी ने किया। इस दौरान केके वत्स, असदुल्ला, इंडियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हाजी फहीम सिद्दीकी, रफीक सुल्तान खान, शिवनारयण कुशवाहा, डॉ अली अहमद फातमी, शिव दास प्रजापति, प्रबुद्ध गौतम, अंकित चौधरी, हरे राम मिश्र, मोहम्मद फैज इत्यादि उपस्थित थे।


