तनवीर जाफरी

कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल तथा जनता दल युनाईटेड के महागठबंधन ने जिस प्रकार 2015 में बिहार राज्य विधानसभा के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के विजय रथ को अवरोधित कर बहुमत से अपनी सरकार बनाई थी वही राज्य बिहार 2019 में एक बार फिर हिंदुत्ववाद बनाम धर्मनिरपेक्षता की कसौटी पर परखा जाने वाला है।

2015 में बिहार ने यह साबित कर दिया था कि यदि विपक्ष एकजुट हो जाए तो धर्मनिरपेक्ष विचारधारा को पराजित नहीं किया जा सकता। ठीक इसके विपरीत 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव विपक्ष को आईना दिखाने के लिए पर्याप्त रहे कि धर्मनिरपेक्ष शक्तियों का बिखराव सांप्रदायिक ताकतों की सफलता की पक्की गारंटी है।

ऐसे में सवाल यह है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा को लोकसभा व पिछले दिनों हुए विधानसभा चुनाव में मिली भारी जीत के बाद क्या महागठबंधन बनाने की विपक्षी दलों की कवायद राष्ट्रीय स्तर पर खासतौर पर बिहार राज्य में हिंदुत्ववादी शक्तियों के बढ़ते प्रभाव को रोक पाने में कामयाब हो सकेगी? जबकि दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी जिसने कि 2015 में भी अपनी सभी भावनात्मक हिंदुत्ववादी चालें चलने की पूरी कोशिश की थी परंतु राज्य के धर्मनिरपेक्ष स्वभाव ने विपक्षी महागठबंधन के पक्ष में अपना निर्णय देकर उसे नकार दिया।

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भारतीय जनता पार्टी के हौसले बिहार की 2015 की पराजय के बाद अभी पस्त नहीं हुए बल्कि योगी आदित्यनाथ के उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद या यूं कहें कि रणनीतिक रूप से योगी को यूपी का मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद भाजपा को बिहार में होने वाले अगले चुनावों में उ मीद की एक किरण नज़र आने लगी है। भाजपा ऐसा इसलिए सोच रही है क्योंकि योगी का संबंध गोरखपुर से है और गोरखपुर बिहार के सीमावर्ती जि़लों में होने के अलावा बोल-भाषा, संस्कृति तथा धार्मिक व सामाजिक रूप से भी बिहार से बहुत मेल खाता है। यही वजह है कि पिछले दिनों जब मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल के तीन वर्ष पूरे होने पर ‘तीन साल बेमिसाल’ नामक अपनी व अपनी सरकार की पीठ थपथपाने वाली मुहिम छेड़ी और इस मुहिम के प्रचार-प्रसार में पार्टी ने अपनी पूरी ताकत झोंकते हुए पार्टी के देश के समस्त मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों, सांसदों व विधायकों को जन-जन के बीच प्रोपेगंडा करने का निर्देश दिया उसी क्रम में योगी आदित्यनाथ को बहुत सोच-समझ कर बिहार का प्रभारी बनाया गया।

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योगी ने गत् 15 जून को बिहार के धार्मिक सद्भाव के लिए प्रसिद्ध दरभंगा जि़ला के राज मैदान में एक रैली को संबोधित किया। और जैसी कि उ मीद की जा रही थी योगी ने अपने भाषण में जहां मोदी सरकार की योजनाओं को बढ़ा-चढ़ा कर बताया तथा अपनी सरकार की भी योजनाओं का जि़क्र किया वहीं इशारों-इशारों में वे हिंदुत्ववादी कार्ड खेलने तथा जनता की भावनाओं को भुनाने से भी नहीं चूके।

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योगी ने दरभंगा में दिए अपने भाषण में तीन तलाक का मुद्दा उठाते हुए कहा कि इस विषय पर सेकुलर नेता क्यों कुछ नहीं बोलते? उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि पहले विदेशी मेहमानों को ताजमहल गिफ्ट के रूप में दिए जाते थे परंतु अब गीता व रामायण गिफ्ट की जाती हैं। बावजूद इसके कि इलाहाबाद हाईकोर्ट योगी सरकार को बूचडख़़ाने के मुद्दे को लेकर कई झटके दे चुका है इसके बावजूद योगी ने दरभंगा में अपने अवैध बूचड़खाने बंद किए जाने के फैसले का बहुत गर्व के साथ जि़क्र किया और कहा कि मैंने सत्ता में आने के 24 घंटे में उत्तर प्रदेश के सभी अवैध बूचड़खाने बंद करवा दिए। क्या नितीश जी इस कार्य को बिहार के अंदर करेंगे? उन्होंने अयोध्या को सीधे बिहार के सीतामढ़ी से सड़क मार्ग से जोड़ने का जि़क्र भी किया और राम-सीता के रिश्तों की याद दिलाई।

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गौरतलब है कि 2015 के चुनाव में भी भाजपा ने नरेंद्र मोदी व अमित शाह के नेतृत्व में बिहार विधानसभा चुनाव जीतने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। शाह ने यहीं कहा था कि क्या आप चाहते हैं कि भाजपा राज्य में हारे और पाकिस्तान में पटाखे फोड़े जाएं? यहां तक कि भाजपाईयों द्वारा गाय को सजाकर पूरे राज्य में घुमाया गया था तथा गौवंश को बचाने की दुहाई देकर मतदाताओं की भावनाओं को भुनाने का काम किया गया था।

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योगी द्वारा नितीश कुमार से बूचड़खाने के विषय पर सवाल पूछने से एक बार फिर इस बात का अंदाज़ा हो गया है कि 2019 में बिहार की जनता को कैसे सवालों का सामना करना पड़ेगा और वह भी उन हालात में जबकि योगी आदित्यनाथ जैसे फायर ब्रांड खांटी हिंदुत्ववादी नेता को पड़ोस केउत्तर प्रदेश राज्य के मुख्यमंत्री पद पर सुशोभित किया जा चुका है।

बिहार बूचड़खाने बंद करने करवाए जाने के योगी के सवाल पर यह सोचना भी ज़रूरी है कि जो सवाल उन्होंने नितीश कुमार से अपनी जनसभा में किया वही सवाल क्या वे गोआ, मणिपुर, आसाम, मेघालय, केरल, तमिलनाडु, बंगाल तथा नागालैंड जैसे राज्यों के मुख्यमंत्रियों से भी पूछ सकते हैं? क्या वे इन राज्यों के भाजपा नेताओं व कार्यकर्ताओं यहां तक कि अपने कई केंद्रियों मंत्रियों व सांसदों को बीफ के मांस का सेवन करने से रोक सकते हैं? शायद कभी नहीं। परंतु बिहार में ही उन्हें बूचड़खाने की याद सिर्फ इसलिए आई ताकि उनकी विचारधारा का समर्थन करने वाले मतदाता 2019 में पार्टी के इरादों व हौसलों को समझ सकें और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण में सफलता मिल सके।

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने राज्य की जनता से अनेक भावनात्मक बातें तो कीं परंतु उन्हें यह नहीं बताया कि 2015 के विधानसभा चुनाव से पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी एक चुनावी रैली में बिहार को 1.25 लाख करोड़ का विशेष पैकेज देने की जो दंभपूर्ण घोषणा की थी उसमें से अब तक कितनी धनराशि बिहार को दी जा चुकी है और कितनी दी जानी है? जबकि दूसरी ओर योगी के दरभंगा दौरे से एक दिन पूर्व ही नितीश कुमार ने भी दरभंगा का दौरा किया था और उन्होंने तीन सौ करोड़ रुपये की विकास संबंधी परियोजनाओं की घोषणा की थी।

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योगी के बूचड़खाने बंद कराए जाने के सवाल की तर्ज़ पर ही उन्होंने योगी को भी सलाह दी कि उन्हें सबसे पहले अपने राज्य में शराबबंदी लागू करनी चाहिए जैसे कि बिहार में की गई है। तीन तलाक पर मुस्लिम महिलाओं से हमदर्दी जताने वाले योगी को उन्होंने यह सलाह भी दी थी कि उन्हें उत्तर प्रदेश के स्थानीय निकाय चुनाव में महिलाओं को पचास प्रतिशत आरक्षण भी देना चाहिए।

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बहरहाल, हिंदुत्ववादी राजनीति का सहारा लेकर दिनों-दिन मज़बूत होती जा रही भाजपा जहां 2019 में अपने भरपूर प्रोपेगंडा तथा बुलंद हौसलों के साथ चुनाव मैदान में उतरेगी वहीं आगामी 27 अगस्त को आरजेडी नेता लालू यादव के निमंत्रण पर पटना में बुलाई गई विपक्षी एकता का प्रतीक बनने वाली महागठबंधन रैली की सफलता तथा इस अवसर पर बनने वाला प्रस्तावित महागठबंधन विपक्षी एकता की तस्वीर काफी हद तक साफ कर देगा। इस रैली में लालू यादव ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी सहित ममता बैनर्जी, मायावती, अखिलेश यादव, नवीन पटनायक, एमके स्टालिन, बाबू लाल मरांडी सहित और भी कई भाजपा विरोधी विचारधारा रखने वाले नेताओं को आमंत्रित किया है।

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बिहार व उत्तर प्रदेश के चुनाव परिणाम यह साबित कर चुके हैं कि धर्मनिरपेक्ष शक्तियों की एकता भाजपा को जीतने नहीं देगी तथा इनका बिखराव भाजपा को रोक नहीं सकेगा। ज़ाहिर है ऐसे में देश के लेागों को खासतौर पर बिहार की जनता को एक बार फिर अपनी धर्मनिरपेक्षता की परीक्षा देनी पड़ेगी।