The Copernicus Climate Change Service (C3S) and the World Meteorological Organization (WMO) released the 2023 European State of the Climate report today.

न्यूयॉर्क 22 अप्रैल 2024 (संयुक्त राष्ट्र समाचार) संयुक्त राष्ट्र मौसम संस्थान (WMO) ने सोमवार को कहा है कि यूरोप में, जलवायु परिवर्तन के झटकों के कारण वर्ष 2023 में बाढ़ व तीव्र ताप लहरों जैसी चरम मौसम की घटनाएँ बढ़ीं हैं, जिससे लाखों लोगों को रिकॉर्ड तोड़ व्यवधान एवं पीड़ा का सामना करना पड़ा है. ताप लहरों से मौतें भी बढ़ी हैं

एजेंसी का कहना है कि यह ऐसी ‘नवीन सामान्य स्थिति’ बनती जा रही है, जिससे निपटने के लिए देशों को अनुकूलन उपाय अपनाने को प्राथमिकता देनी होगी.

विश्व मौसम संस्थान (WMO) और कॉपरनिकस जलवायु परिवर्तन सेवा द्वारा संयुक्त रूप से प्रकाशित नवीनतम आँकड़ों से इस आशंका का पुष्टि हुई है कि वर्ष 2023, यूरोप में रिकॉर्ड में दर्ज, संयुक्त रूप से सर्वाधिक गर्म या दूसरा सबसे गर्म साल रहा है.

इससे पूरे यूरोप में रिकॉर्ड संख्या में “अत्यधिक गर्मी से तनावग्रस्त” दिनों, तथा पूरे महाद्वीप पर “तीव्र गर्मी से तनावयुक्त” दिनों की संख्या में “वृद्धि की प्रवृत्ति” देखने को मिली.

डब्ल्यूएमओ ने कहा, “डेटासैट के आधार पर 2023, रिकॉर्ड पर संयुक्त रूप से सबसे गर्म या दूसरा सबसे गर्म वर्ष रहा. पिछले 20 सालों में गर्मी से सम्बन्धित मृत्यु दर में लगभग 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और अनुमान है कि 94 प्रतिशत योरोपीय क्षेत्रों में गर्मी के कारण मौतों में बढ़ोत्तरी हुई है."

ठोस तौर पर, 2023 यूरोपीय जलवायु स्थिति रिपोर्ट, चरम मौसम और जलवायु घटनाओं के कारण होने वाले "प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभावों" की संख्या में वृद्धि का संकेत देती है.

डब्लूएमओ ने कहा कि इस निष्कर्ष से, यूरोप से परे भी बढ़ते व्यापक जलवायु परिवर्तन के झटकों के बारे में अनुमान मिलता है, लेकिन यह ख़ासतौर पर इसलिए भी अहम है क्योंकि इससे यह स्पष्ट होता है कि महाद्वीप अत्यधिक तेज़ी से गर्म हो रहा है.

डब्लूएमओ के महासचिव सैलेस्टे साउलो ने कहा, "जलवायु संकट हमारी पीढ़ी की सबसे बड़ी चुनौती है. जलवायु कार्रवाई की लागत अधिक हो सकती है लेकिन निष्क्रियता की लागत उससे बहुत अधिक होगी. जैसा कि इस रिपोर्ट से स्पष्ट है, हमें समाज के कल्याण हेतु विज्ञान का लाभ उठाकर, समाधान प्रदान करने होंगे.”

लगभग एक दशक पहले तक के रुझानों का अध्ययन करने वाले शोधकर्ताओं ने पाया कि नागरिकों व स्वास्थ्य प्रदाताओं को बढ़ती गर्मी के ख़तरों का "कम ही अंदेशा" था. इससे निपटने के लिए, भविष्य में आने वाली चरम मौसम की घटनाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने और तैयारियों को प्रोत्साहन देने हेतु, WMO के क्षेत्रीय जलवायु केंद्र की जलवायु निगरानी जैसी प्रारम्भिक चेतावनी प्रणालियाँ तैयार की की गई हैं.

संयुक्त राष्ट्र की मौसम एजेंसी के अनुसार, 2023 में यूरोप में लगभग 11 महीने तक धरती का तापमान औसत से ऊपर रहा, जिसमें रिकॉर्ड पर दर्ज सबसे गर्म महीना सितम्बर भी शामिल था.

डब्ल्यूएमओ की मौसम रिपोर्ट के अनुसार वर्षा भी औसत से सात प्रतिशत अधिक रही. दिसम्बर में यूरोप की नदियों का जल स्तर रिकॉर्ड स्तर पर था, और सभी नदियों के लगभग एक चौथाई हिस्से में जल प्रवाह "ख़ासतौर पर उच्च" रहा.

मतलब यह कि 2023 में, यूरोप की विभिन्न नदी प्रणालियों के एक तिहाई हिस्से में बाढ़ का पानी "उच्चतम" स्तर पर बह रहा था, जबकि सात में से एक नदी में बाढ़ के पानी का "गम्भीर" स्तर पार हो गया था.

समुद्री गर्मी में भी तीव्र वृद्धि

यूरोप के आसपास दर्ज किए गए समुद्री सतह के तापमान से भी भूमि पर गम्भीर तापमान वृद्धि की प्रवृत्ति नज़र आई. जून में आयरलैंड के पश्चिम में अटलांटिक महासागर और ब्रिटेन के आसपास भयावह "समुद्री तापलहर" मौजूद थी.

डब्ल्यूएमओ ने कहा कि इन स्थानों पर समुद्र की सतह का तापमान औसत से 5 सैल्सियस अधिक होने के कारण, इन्हें "चरम मौसम" और कुछ क्षेत्रों में "चरम मौसम से भी परे" की घटना के तौर पर वर्गीकृत किया गया था.

संयुक्त राष्ट्र एजेंसी की रिपोर्ट में, जलवायु परिवर्तन के झटकों के प्रति सततता एवं सहनक्षमता पर बल देते हुए, यूरोप में नवीकरणीय प्रौद्योगिकी द्वारा बिजली उत्पादन में हुई रिकॉर्ड वृद्धि पर भी प्रकाश डाला गया.

अक्टूबर से दिसम्बर तक सामान्य से अधिक तूफ़ान आने की वजह से, औसत से अधिक पवन ऊर्जा उत्पादन हुआ. इसके अलावा 2023 में यूरोप के अधिकाँश हिस्सों में औसत से अधिक पनबिजली उत्पादन भी अहम रहा, जिसका सम्बन्ध औसत से अधिक वर्षा होने एवं नदी के प्रवाह से था.

वहीं, पश्चिमोत्तर और मध्य यूरोप में सौर पैनलों के ज़रिए बिजली उत्पादन औसत से नीचे रहा, लेकिन दक्षिण-पश्चिमी यूरोप, दक्षिणी यूरोप और स्कैंडिनेविया में यही औसत से ऊपर था.

घटती बर्फ़बारी

डब्लूएमओ की जलवायु स्थिति रिपोर्ट ने इस सन्देह की भी पुष्टि की है कि यूरोप के अधिकाँश हिस्सों में औसत से कम दिन बर्फ़बारी हुई, विशेषकर मध्य यूरोप और आल्प्स में सर्दियों और वसन्त के मौसम के दौरान.

इसके परिणामस्वरूप आल्प्स में हिमनदों की बर्फ़ की "असाधारण" क्षति हुई, और तापलहर के कारण गर्मियों में तेज़ी से बर्फ़ पिघलने से स्थिति और भी बदतर हो गई. अनुमान है कि 2022 और 2023 के बीच, हिमनद अपनी शेष मात्रा का लगभग 10 प्रतिशत हिस्सा खो देंगे.

2023 के आँकड़ों से पृथ्वी के ध्रुवों से सम्बन्धित चिन्ताएँ भी दूर नहीं हो पाईं और आर्कटिक में तापमान रिकॉर्ड पर छठा सबसे गर्म रहा. आर्कटिक भूमि के लिए, यह पाँचवाँ सबसे गर्म साल था, 2022 से थोड़ा ही कम. आर्कटिक में सबसे गर्म सभी पाँच वर्ष 2016 के बाद के रहे हैं.

(स्रोत : संयुक्त राष्ट्र समाचार)

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