नई दिल्ली, 09 मार्च 2024. विश्व भर में 23 करोड़ जीवित महिलाएँ व लड़कियाँ, जननांग विकृति का शिकार हुई हैं. संयुक्त राष्ट्र का एक नया विश्लेषण दर्शाता है कि वर्ष 2016 के आँकड़ों की तुलना में पीड़ितों की संख्या में तीन करोड़, यानि क़रीब 15 फ़ीसदी की वृद्धि हुई है.

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (United Nations Children's Fund UNICEF) द्वारा जुटाया गया यह डेटा, शुक्रवार को अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day 2024) के अवसर पर जारी किया गया है.

रिपोर्ट के अनुसार, महिला जननांग विकृति (महिला ख़तना) की प्रथा (practice of female genital mutilation (female circumcision) पर विराम लगाने के प्रयासों में प्रगति सुस्त गति से आगे बढ़ रही है और 2030 टिकाऊ विकास एजेंडा के तहत इसका उन्मूलन करने की मंज़िल से दूर है.

संयुक्त राष्ट्र समाचार के मुताबिक यूनिसेफ ने बताया कि वैश्विक उन्मूलन के लक्ष्य को हासिल करने के लिए 27 गुना अधिक तेज़ी से आगे बढ़ने की दरकार है.

क्या है महिला ख़तना ?

महिला ख़तना एक ऐसी प्रथा है जिसमें ग़ैर-चिकित्सीय कारणों के लिए, महिला जननांग के एक हिस्से को हटाया या उसे क्षति पहुँचाई जाती है.

महिला जननांग विकृति क्यों चिन्ताजनक है ?

यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशक कैथरीन रसैल (UNICEF Executive Director Catherine Russell) ने कहा कि महिला जननांग विकृति से लड़कियों के शरीर को नुक़सान पहुँचता है, उनका भविष्य धुंधला हो जाता है और जीवन पर जोखिम मंडराता है.

“हम एक चिन्ताजनक रूझान देख रहे हैं, जिसमें अधिक संख्य में लड़कियों को कम उम्र में ही इस प्रथा का शिकार बनाया जाता है, अनेक को उनके पाँचवे जन्मदिन से पहले ही.”

“इससे हस्तक्षेप करने का अवसर और भी कम हो जाता है. हमें इस हानिकारक प्रथा का अन्त करने के प्रयासों को मज़बूती देनी होगी.”

यूनीसेफ़, महिला ख़तना की प्रथा के लिए हर स्थान पर समुदायों व नेताओं से लैंगिक भेदभाव व असमानता का अन्त करने के प्रयासों में तेज़ी लाने का आहवान कर रहा है.

साथ ही, लड़कियों के लिए सेवाओं में निवेश करने, उन पर केन्द्रित क़ानूनों व नीतियों को प्राथमिकता देने और विश्वसनीय डेटा के इस्तेमाल से महिला जननांग विकृति मामलों की बेहतर निगरानी पर बल दिया गया है.

क्या महिला ख़तना की प्रथा का हो रहा है प्रसार?

यूएन एजेंसी के अनुसार, महिला ख़तना की प्रथा का प्रसार नहीं हो रहा है, मगर महिला जननांग विकृति की प्रथा वाले देशों में जन्म लेने वाली लड़कियों की संख्या, शेष विश्व की तुलना में तेज़ी से बढ़ रही है.

इनमें सर्वाधिक संख्या अफ़्रीकी देशों में हैं, जहाँ कुल 14.4 करोड़ मामले सामने आए हैं, जिसके बाद एशिया (आठ करोड़) और मध्य पूर्व (60 लाख) का स्थान है.

लैंगिक असमानता

विश्लेषण के अनुसार, महिला ख़तना के बाद जीवित बच गई हर 10 पीड़ितों में से चार, निर्धन या हिंसक टकराव से प्रभावित देशों में हैं, जहाँ शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाओं पर पहले से ही भारी बोझ है.

या ऐसे देश जहाँ लैंगिक असमानता को दूर करने के लिए ज़रूरी संसाधन, संकटों से निपटने के लिए ख़र्च हो रहे हैं.

एक बेहद कठिन चुनौती हैमहिला जननांग विकृति

यूएन रिपोर्ट के अनुसार, महिला जननांग विकृति एक बेहद कठिन चुनौती है मगर इसके बावजूद प्रगति को हासिल किया जा सकता है.

यूनीसेफ़ के अनुसार, पिछले 30 वर्षों में हुई क़रीब आधी प्रगति पिछले केवल एक दशक में हुई है. इस क्रम में, केनया, सिएरा लियोन और मिस्र का उदाहरण दिया गया है.

विश्लेषण बताता है कि महिला जननांग विकृति की प्रथा के प्रति रवैयों में भी बदलाव नज़र आ रहा है.

अफ़्रीका और मध्य पूर्व के ऐसे देश, जहाँ ये प्रथा प्रचलन में है, वहाँ क़रीब 40 करोड़ लोग, यानि दो-तिहाई आबादी इसके विरोध में है.

23 crore women and girls are victims of female genital mutilation – UNICEF

स्रोत- संयुक्त राष्ट्र समाचार