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एडहॉक सिस्टम पर देश की हायर एजुकेशन, 10 सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी में 70 फीसदी से ज्यादा फैकल्टी के पद रिक्त
सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी के कुल 15862 पदों में से 5958 पद रिक्त हैं
दिल्ली यूनिवर्सिटी के 45 कालेजों में 1734 पद खाली पड़े हैं। इसके लिये बकायदा 10 जून से लेकर 15 जुलाई 2017 के बीच विज्ञप्ति निकालकर बताया भी किया कि रिक्त पद भरे जायेंगे। कमोवेश हर विषय या कहें फैकल्टी के साथ रिक्त पदों का जिक्र किया गया। यानी देश की टॉप यूनिवर्सिटी में शुमार दिल्ली यूनिवर्सिटी का जब ये आलम है तो देश की बाकी सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी में क्या हो सकता है ये सोचकर आपकी रुह कांप जायेगी। क्योंकि हायर एजुकेशन को लेकर बकायदा हर राज्य में सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी बनायी गई। और अव्वल नंबर पर जेएनयू का जिक्र बार बार बार होता है। और देश के आईआईटी, आईबीएम और एनआईटी को बेहतरीन .यूनिवर्सिटी माना जाता है। पर हालात कितने बदतर हैं जरा ये भी देख लीजिये। पहले देश के टॉप दस सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी, जहां 70 फीसदी से ज्यादा पद रिक्त हैं। तो सिलसिलेवार समझें।
सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ हरियाणा में 87.1 फीसदी पद रिक्त पड़े हैं तो सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ तमिलनाडु में 87.1 फीसदी। और इसी तरह सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ ओडिशा में 85 फीसदी। सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ बिहार में 84.4 फीसदी। सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ पंजाब में 80.7 फीसदी। सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ केरल में 78.6 फीसदी। सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ कश्मीर में 75.6 फीसदी। इंदिरा गांधी नेशनल ट्राइबल यूनिवर्सिटी < मध्यप्रेदश } में 75.4 फीसदी। सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ हिमाचल में 73.4 फीसदी। सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ सिक्किम में 72.1 पिसदी पद रिक्त है। यूं यूनिवर्सिटी की फेहरिस्त में जेएनयू और बीएचयू में छात्रो का हंगामा तो हर किसी को याद है। सियासत भी खूब हुई।
मसलन आप भूले नहीं होंगे जेएनयू में आजादी के नारे। पर इन नारों से इतर किसी ने नहीं पूछा कि जेएनयू में कितने पद रिक्त पड़े हैं। सरकार की रिपोर्ट कहती है 323 पद खाली पड़े हैं। भरे क्यों नहीं गये। तो कोई बोलने को तैयार नहीं। और जो बीएचयू फिल्हाल बिना वीसी के है और छात्राओं पर पुलिस ने डंडे क्यो बरसाये, ये सवाल अब भी बार बार गूंज रहा है और छात्राओं के सवाल अब भी कानो में गूंज रहे होंगे कि बीएचयू कैसे बिगड़ गया। उसे बचाना होगा। तो मदनमोहन मालवीय जी के बीएचयू का हाल ये है कि बीएचयू में 896 रिक्त पद है। यानी सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी के कुल 15862 पदों में से 5958 पद रिक्त पड़े हैं। इसीलिये दुनियाभर में टाप यूनिवर्सिटी में अक्सर चर्चा होती है कि नौ छात्रो पर एक शिक्षक होना चाहिये। पर भारत में 23 छात्रों पर एक शिक्षक है। और देश में जिस आईआईटी, आईबीएम और एनआईटी को बेहतरीन यूनिवर्सिटी का दर्जा दिया जाता है। वहां का हाल ये है कि 6000 से ज्याद पद रिक्त पड़े है। और इसके अलावे सिर्फ देशभर के इंजीनियरिंग कालेजों को परख लें तो सरकारी आंकड़े ही कहते हैं कि इंजीनिंयरिंग कालेजो के 4 लाख 2 हजार पदो में से एक लाख 22 हजार पद रिक्त पड़े हैं।
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| पुण्य प्रसून बाजपेयी के पास प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में 20 साल से ज़्यादा का अनुभव है। प्रसून देश के इकलौते ऐसे पत्रकार हैं, जिन्हें टीवी पत्रकारिता में बेहतरीन कार्य के लिए वर्ष 2005 का ‘इंडियन एक्सप्रेस गोयनका अवार्ड फ़ॉर एक्सिलेंस’ और प्रिंट मीडिया में बेहतरीन रिपोर्ट के लिए 2007 का रामनाथ गोयनका अवॉर्ड मिला। |
यानी मुश्किल इतनी भर नहीं है कि सरकार रिक्त पदों पर भर्ती क्यों नहीं करती मुस्किल तो ये भी है कि जिस यूजीसी के मातहत सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी आती है। उस यूजीसी के पास कोई परमानेंट चेयरमैन तक नहीं है। एडहाक चैयरमैन है। वाइस चैयरमैन का पद भी खाली पडा है। फाइनेनसियल एडवाइजर ही सचिव का काम देख रहा है।
तो हायर एजूकेशन के लिये यूजीसी से लेकर सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी जब एडहॉक चैयरमैन से लेकर एडहॉक प्रोफेसर पर निर्भर होगी तो होगा क्या ?
हो ये रहा है कि बड़ी तादाद में हायर एजुकेशन के लिये देश के बच्चे दूसरे देशों में जा रहे हैं। और कल्पना कीजिये हायर एजुकेशन को लेकर देश का बजट 33323 करोड़ रुपये है। जबकि हर बरस दूसरे देशों में पढ़ने जा रहे बच्चो के मां-बाप एक लाख 20 हजार करोड़ से ज्यादा की रकम खर्च कर रहे हैं।
एसोचैम की रिपोर्ट कहती है 2012 में ही 6 लाख बच्चे हर बरस देश छोड़ कर बाहर पढ़ाई के लिये चले जाते थे। तो बीते पांच बरस में इसमें कितना इजाफा हो गया होगा और उनके लिये देश में हायर एजूकेशन की कोई व्यवस्था क्यों नहीं है। ये अपने आप में सवाल है।
पुण्य प्रसून बाजपेयी. के ब्लॉग से साभार
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