वीणा भाटिया की कविताएँ

  1. पुरुष समाज में

ढेरों कविताएँ पढ़ती हूँ

पुरुष लिखता है

स्त्रियों पर कविताएँ

कविताओं में उड़ेलता है

वह कैसे-कैसे शब्द

शब्दों को

फूलों की तरह चुनता है

ख़्यालों में गुनता है

कविताओं में

स्त्री की छवि देख

हो जाते हैं

हम गद्गद्

लेकिन...

असल ज़िन्दगी में

पुरुष को क्या हो जाता है

शायद पुरुषवाद

उसके सिर चढ़ बोलता है।

  1. स्टेनगनें

लड़ाई बहुत लम्बी है

विरोध किया तो

स्टेनगनें तनती हैं

पुलिस सिखाती है

कपड़े पहनने के तरीके

चाल-ढाल बदलने के

सलीक़े

माना...

क़ानूनी प्रक्रिया में

सज़ा से बच सकता है

चोर दरवाज़े से

निकल सकता है

विरोध करने पर

और अधिक हिंसा दमन

कर सकता है

औरत होने की सज़ा

उस दिन हो जाएगी ख़त्म

जिस दिन महिलाएं जान जाएंगी

दमन के विरुद्ध

लावा बनना है तो ख़ुद।

  1. स्त्री स्वभाव-सी किताबें

किताबें और स्त्री के स्वभाव को

अगर देखा जाए

बहुत-सी हैं समानताएं

दोनों का ही अंतस

कई अध्यायों

अल्पविराम, विराम,

स्मृति-चिह्नों से बना होता है

दोनों ही अपनी

अभिव्यक्ति के स्वर में शांत

किन्तु तेजस्वी हैं

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