3 जनवरी - देश की महानायिका सावित्रीबाई फुले का जन्मदिन
3 जनवरी - देश की महानायिका सावित्रीबाई फुले का जन्मदिन
3 जनवरी - देश की महानायिका सावित्रीबाई फुले का जन्मदिन
इतिहास के झरोखे से 3 जनवरी
“तारीख गवाह है“ डीबीलाइव के साथ
DBLIVE | 3 JAN 2017 | TODAY’S HISTORY | AAJ KA ITIHAS
3 जनवरी 1831 को सावित्रीबाई फुले का जन्म हुआ था। सावित्रीबाई फुले भारत के पहले बालिका विद्यालय की पहली प्रिंसिपल और पहले किसान स्कूल की संस्थापक थीं। लड़कियों की शिक्षा पर उस वक्त सामाजिक पाबंदी थी। सावित्रीबाई फुले उस दौर में न सिर्फ खुद पढ़ीं, बल्कि दूसरी लड़कियों के पढ़ने का भी बंदोबस्त किया था। वह एक कवयित्री भी थीं। उन्हें मराठी की आदिकवयित्री के रूप में भी जाना जाता था।
सावित्रीबाई पूरे देश की महानायिका हैं। हर बिरादरी और धर्म के लिये उन्होंने काम किया। जब सावित्रीबाई कन्याओं को पढ़ाने के लिए जाती थीं, तो रास्ते में लोग उन पर गंदगी और कीचड़ तक फेंका करते थे, लेकिन इन सबके बाद भी वह अपने उद्देश्यों में लगी रहीं।
सावित्रीबाई ने अपने जीवन को हमेशा एक मिशन की तरह से जीया, जिसका उद्देश्य विधवा विवाह करवाना, छुआछुत मिटाना, सामाजिक बंधनों से महिलाओं की मुक्ति और दलित महिलाओं को शिक्षित बनाना था।
3 जनवरी 1903 को भारतीय हॉकी के मशहूर खिलाड़ियों में से एक जयपाल सिंह मुंडा का जन्म हुआ था।
जयपाल सिंह मुंडा की शिक्षा इसाई मिशन में हुई और मिशन की मदद से ही वह उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए ऑक्सफोर्ड गए। वहां वह ऑक्सफोर्ड की हॉकी टीम में मशहूर खिलाड़ी के तौर पर उभरे और ‘ऑक्सफोर्ड ब्लू’ हासिल किया। माना जाता है कि 1928 से लेकर 1956 तक का समय भारतीय हॉकी के लिए स्वर्ण युग था।
डॉ. जयपाल सिंह को 1928 में एमस्टर्डम में आयोजित ओलम्पिक खेलों में भारतीय हॉकी टीम का कप्तान नियुक्त किया गया था।
जयपाल सिंह की कप्तानी में टीम ने, जिसमें 'हॉकी के जादूगर' कहे जाने वाले महान खिलाड़ी ध्यानचंद भी शामिल थे, अंतिम मुक़ाबले में हॉलैंड को आसानी से हराकर स्वर्ण पदक जीता। हॉकी से सन्यास लेने के बाद 1936 में जयपाल सिंह ने राजनीति में कदम रखा और 'झारखण्ड पार्टी' का गठन किया।
आदिवासी नेता जयपाल सिंह 1952 में प्रथम लोकसभा के सदस्य बने और आजीवन अपने क्षेत्र से लोकसभा के सदस्य के तौर पर काम किया।
3 जनवरी 1926 को भारत के शिक्षाविद, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और आर्यसमाज के संन्यासी स्वामी श्रद्धानन्द सरस्वती की अब्दुल रशीद नामक एक उन्मादी ने धर्म-चर्चा के बहाने उनके कक्ष में जाकर गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी।
स्वामी श्रद्धानन्द सरस्वती का जन्म पंजाब प्रान्त के जालन्धर जिले के तलवान ग्राम में हुआ था। स्वामी श्रद्धानन्द सरस्वती ने स्वामी दयानन्द सरस्वती की शिक्षाओं का प्रसार किया। वह भारत के उन महान राष्ट्रभक्त संन्यासियों में अग्रणी थे, जिन्होंने अपना जीवन स्वाधीनता, स्वराज्य, शिक्षा और वैदिक धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित कर दिया था।
उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय आदि शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना की और हिन्दू समाज को संगठित करने में सहयोग किया। इसके साथ ही शुद्धि आन्दोलन चलाने में उनकी अहम भूमिका रही थी।
3 जनवरी 2002 को भारत के प्रसिद्ध रॉकेट वैज्ञानिक सतीश धवन का निधन हुआ था। देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊँचाईयों पर पहुँचाने में उनका बहुत ही महत्त्वपूर्ण योगदान रहा।
एक महान वैज्ञानिक होने के साथ-साथ प्रोफ़ेसर सतीश धवन एक कुशल शिक्षक भी थे। वह 'इसरो' के अध्यक्ष भी नियुक्त किये गए जिसके बाद उन्होंने इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस में कई सकारात्मक बदलाव भी किए।
उन्होंने संस्थान में अपने देश के अलावा विदेशों से भी युवा प्रतिभाओं को शामिल किए जाने का समर्थन किया था। इसके साथ ही कई नए विभाग भी शुरू किए और छात्रों को विविध क्षेत्रों में शोध के लिए प्रेरित किया।
सतीश धवन के प्रयासों से ही संचार उपग्रह इन्सैट, दूरसंवेदी उपग्रह आईआरएस और ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान पीएसएलवी का सपना साकार हो पाया था।


