365 दिनः हमने खाए हैं हज़ारों ज़ख्म
365 दिनः हमने खाए हैं हज़ारों ज़ख्म
365 दिनों में सांप्रदायिकता के हज़ारों ज़ख्मों को बयां करती किताब का विमोचन
भारतीयों के दिल में ख़ौफ के चलते भगवाकरण और सांप्रदायिकता के खिलाफ़ आवाज़ उठाने की हिम्मत जवाब देने लगी है अच्छे दिनों के नारे की निकली हवा।
नई दिल्ली। आज देश में लोगों के मन में धीरे-धीरे फैलने वाला डर असल खतरा बनता जा रहा है। जिसके चलते जनता अपने खिलाफ होने वाले जुल्म और भगवाकरण के खिलाफ आवाज़ उठाने से भी कतराने लगी है। इस तरह की धारणाए दक्षिणपंथी राजनीतिक शक्तियों के सत्ता पर काबिज़ होने पर अधिक सामने आती है। आज जनता राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर अपनाए जाने वाले हथकंडों से तंग आ चुकी है, जिसमें संघ परिवार द्वारा बताई जाने वाली कथा को परिभाषित किया जाता है। साथ ही इस तरह की प्रणाली में दूसरे धर्मों और विखाचधाराओं को देशभक्ति से भी बाहर किया जा रहा है।
यह तमाम बाते बंगलोर कर्नाटक में ‘‘365 दिनःहमने खाए हैं हज़ारों ज़ख्म‘‘ किताब के विमोचन के मौक़े पर सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इण्डिया (एसडीपीआई) के राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद सदस्य और तेजस समाचार पत्र के एडिटर प्रो0 पी कोया ने कहीं।
श्री कोया ने कहा कि इस बात को भगवावादियों के दलालों, खुफिया एजेंसियों, हिन्दुत्ववादी विचारकों और पक्षपाती रवैया अपनाने वाली मीडिया द्वारा बढ़ावा दिया जा रहा है। जोकि 1990 की आरंभ में भारत को कॉरपोरेटाइज़ेशन की आग में झोकने का हिस्सा है। जब बाबरी मस्जिद को शहीद किया गया, उसी समय एक नवउदारवादी पूंजीवादी प्रणाली की शुरूआत भी हुई। जिसके बाद भारत पूंजिपती लुटेरों की सरज़मी बनकर रह गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुनियाभर में यात्राएं कर अपने व्यक्तित्व विकास के साथ तानाशाहों से हाथ भी मिला रहे हैं। जबकि भारतीय संस्कृति को जबरदस्ती हिन्दुत्वीकरण में बदलने की कोशिशें की जा रही हैं। लगभग 14 सांस्कृतिक संस्थानों को आरएसएस के औसत दर्जे के कार्यकर्ताओं ने अपने हाथों में ले लिया है।
इस मौक़े पर पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव इल्यास मौहम्मद थुम्बे ने कहा कि भारत भाजपा के दौर में निरंतर दुखदायी परिस्थितियों की तरफ बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ‘‘अच्छे दिनों‘‘ के चुनावी जुमले की हवा निकाल चुकी है और देशवासियों के विकास के स्थान पर प्रधानमंत्री हिन्दुत्व एजेंडे को लागू करने में अपनी ताकत लगा रहे हैं।
इल्यास ने कहा कि एसडीपीआई की एक अहम कामयाबी हमारे प्रचार, प्रदर्शनों और चुनावी राजनीति में जनता की भागीदारी है। जिसका कारण है लगातार लोगों को इसके प्रति जागरूक करना। उन्होंने फिलिस्तीन समस्या पर भारत के बदले रूख पर भी अफसोस ज़ाहिर किया। जिसमें 3 जुलाई को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद द्वारा इस समस्या पर कराई गई वोटिंग में भारत की अनुपस्थिति बेहद दुखद है। जिसमें 2014 में इज़राइल द्वारा गाज़ा में की गई बमबारी में 2000 बेकसूर लोगों की मौत हो गई थी और हज़ारों घायल और बेघर हो गए थे। भारत के रूख में बदलाव इज़राईल से बढ़ते रिश्तों के कारण है। जहां मानवाधिकारों को ताक पर रखकर हिन्दुत्वादी शक्तियों और उसकी विचारधारा के मुताबिक विदेश नीति को बदला जा रहा है।
उन्होंने कहा कि जहां एक तरफ देश में भारतीय संस्कृति का भगवाकरण किया जा रहा है वहीं इतिहास की किताबों में भी बदलाव कर शिक्षा के भगवाकरण का भी काम जारी हैं। मोदी सरकार में शिक्षा की पाठ्पुस्तकों में बदलाव कर इतिहास को मिटाने की कोशिश की जा रही है। मोदी राज में आए दिन घोटालों का पर्दाफाश हो रहा है। जिनसे शिक्षा व चिकित्सा जैसे क्षेत्र भी सुरक्षित नहीं रहे हैं। जिसमें पीडीएस घोटाला, चिक्की (केंडी) घोटाला, और व्यापम जैसे घोटाले प्रमुख हैं। जबकि 36000 करोड़ रूपए का खाद्य आपूर्ति घोटाला छत्तीसगढ़ में सामने आया है।
इस कार्यक्रम में पार्टी महासचिव अफसर पाशा द्वारा लिखित ‘‘365 दिनः हमने खाए हैं हज़ारों ज़ख्म‘‘ किताब का विमोचन पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ए सईद ने किया। इस किताब के बारे में अफसर पाशा ने बताया कि यह महज़ एक किताब नहीं है बल्कि 26 मई 2014 को भाजपा की एनडीए सरकार और नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद अल्पसंख्यकों पर हुए जुल्मों का दस्तावेज़ है।
इस मौक़े पर देश भर से आए पार्टी के पदाधिकारी के अलावा काफी तादाद में लोग इस कार्यक्रम में शिरकत की।
यह जानकारी एक विज्ञप्ति में दी गई।


