पशुपालन: 1.3 अरब लोगों की आजीविका का आधार और टिकाऊ विकास की ज़रूरत
पशुपालन से 1.3 अरब लोगों की आजीविका जुड़ी है। जानिए कैसे टिकाऊ और ज़िम्मेदार पशुपालन, आर्थिक व पोषण सुरक्षा के लिए अहम भूमिका निभा रहा है...;
FAO द्वारा टिकाऊ पशुपालन पर वैश्विक सम्मेलन
विश्व स्तर पर पशुपालन की भूमिका और महत्व
- FAO द्वारा टिकाऊ पशुपालन पर वैश्विक सम्मेलन
- पशुपालन: भोजन, आय और सुरक्षा का स्तंभ
- पर्यावरणीय और सामाजिक चुनौतियाँ
- समाधान और टिकाऊ पशुपालन की दिशा में कदम
- सम्मेलन के तीन प्रमुख उद्देश्य
- भारत की भागीदारी और वैश्विक सहयोग की आवश्यकता
भविष्य के लिए सतत पशुपालन की रणनीतियाँ
पशुपालन से 1.3 अरब लोगों की आजीविका जुड़ी है। संयुक्त राष्ट्र समाचार की खबर से जानिए कैसे टिकाऊ और ज़िम्मेदार पशुपालन, आर्थिक व पोषण सुरक्षा के लिए अहम भूमिका निभा रहा है...
पशुपालन पर निर्भर है 1.3 अरब आबादी की आजीविका, ज़िम्मेदारी पर ज़ोर
29 सितम्बर 2025 आर्थिक विकास
दुनिया भर में पशुपालन के ज़रिए, लगभग 1 अरब 30 करोड़ आबादी की आजीविका चलती है और यह क्षेत्र, दुनिया भर में कृषि से मिलने वाले सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लगभग 40 प्रतिशत का योगदान करता है. ऐसे में पशुपालन क्षेत्र की टिकाऊ और ज़िम्मेदार तरीक़े से देखभाल और उसका विकास किया जाना, आज की सबसे बड़ी ज़रूरत बन चुका है.
इस अहम मुद्दे पर विचार करने के लिए, रोम स्थित खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) मुख्यालय में, टिकाऊ पशुपालन परिवर्तन पर दूसरा वैश्विक सम्मेलन आयोजित किया गया है.
यह सम्मेलन 1 अक्टूबर तक जारी रहेगा, जो एक हज़ार से अधिक प्रतिभागियों को साथ ला रहा है, जिनमें सरकारी प्रतिनिधि, किसान, निजी कम्पनियाँ, शोधकर्ता, नागरिक समाज और अन्तरराष्ट्रीय एजेंसियाँ शामिल हैं.
इस सम्मेलन का उद्देश्य - एकजुट होकर ऐसे समाधान साझा करने का है, जो पशुपालन क्षेत्र को स्थाई और भविष्य के अनुरूप बना सकें.
टिकाऊ पशुपालन परिवर्तन पर दूसरा वैश्विक सम्मेलन, इस बार केवल संवाद तक सीमित नहीं है, बल्कि ठोस कार्रवाई की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रतिबद्ध है.
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) के महानिदेशक क्यू डोंग्यू ने कहा कि “अनुभव यह दिखाता है कि जब अच्छे तरीके़ अपनाए जाते हैं तो पशुपालन प्रणाली वास्तव में टिकाऊ बन सकती है.”
भोजन और आय का साधन
दुनिया की लगभग 1.3 अरब आबादी की आजीविका, सीधे तौर पर पशुपालन से जुड़ी हुई है. ख़ासतौर पर निम्न और मध्य आय वाले देशों में पशुपालन, केवल भोजन ही नहीं, बल्कि आय, बचत और मुश्किल समय में सुरक्षा का भी आधार है.
पशुपालन आर्थिक झटकों के समय बचत और बीमा जैसा सुरक्षा कवच भी प्रदान करता है.
यह क्षेत्र खाद्य सुरक्षा और पोषण में भी अहम योगदान देता है, क्योंकि पशु-आधारित खाद्य पदार्थ, वैश्विक प्रोटीन खपत का लगभग एक-तिहाई हिस्सा उपलब्ध कराते हैं.
विज्ञान भी लगातार यह पुष्टि करता रहा है कि दूध, अंडे और माँस जैसे उत्पाद, सन्तुलित आहार का अनिवार्य हिस्सा हैं, विशेष रूप से बच्चों और निर्बल हालात वाली आबादी के लिए.
पोषण से आगे बढ़कर भी पशुपालन की बहुत अहमियत है. यह आय और रोज़गार का प्रमुख साधन है, जो युवाओं और महिलाओं के लिए नए अवसर उत्पन्न करता है.
संकट की घड़ी में यह कमज़ोर परिवारों को सुरक्षा और सहनशीलता प्रदान करता है.
पशुपालन इसके अलावा, मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने और पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है.
चुनौतियाँ
लेकिन चुनौतियाँ भी मौजूद हैं, जो पर्यावरण पर दबाव, सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिम और पशु कल्याण से जुड़ी चिन्ताओं के रूप में लगातार बढ़ रही हैं.
फिर भी, FAO प्रमुख का मानना है कि दुनिया के कई हिस्सों में, पहले से ही समाधान मौजूद हैं: जैसे गोबर से स्वच्छ ऊर्जा बनाना, उप-उत्पादों को नए संसाधनों में बदलना और पशुओं को स्वास्थ्यकर वातावरण में पालना.
क्यों महत्वपूर्ण है यह सम्मेलन?
यह सम्मेलन तीन कारणों से अहम है. पहला, साझेदारी की आवश्यकता, क्योंकि टिकाऊ पशुपालन के लिए परिवर्तन, बिना सहयोग और साझा प्रतिबद्धता के सम्भव नहीं है.
दूसरा, यह क्षेत्र एक बदलाव के मोड़ पर खड़ा है, जहाँ विज्ञान, डिजिटल तकनीक और नए तरीके़, ऐसे अवसर दे रहे हैं जिनकी कल्पना दस वर्ष पहले तक सम्भव नहीं थी.
तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण, यह सम्मेलन केवल सिद्धान्त तक सीमित नहीं है, बल्कि व्यावहारिक समाधान और ज़मीनी कार्रवाई पर केन्द्रित है.
इस तीन दिवसीय सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन, कम-उत्सर्जन वाली पशुपालन प्रणाली, पशु स्वास्थ्य व कल्याण, सतत प्रजनन और पोषण सुरक्षा जैसे मुद्दों पर विशेषज्ञ पैनल और परिचर्चाएँ होंगी.
भारत के मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्री राजीव रंजन (ललन) सिंह ने भी उच्च स्तरीय मंत्री सत्र में अपनी भाग लिया. साथ ही, चाड और सोमालिया के मंत्री भी इसमें शामिल हुए.
FAO प्रमुख क्यू डोंग्यू ने स्पष्ट किया कि 2023 में किए गए वादे अब धरातल पर काम में बदल चुके हैं. ऐसे काम जो जीवन सुधार रहे हैं, पर्यावरण बचा रहे हैं और हर क्षेत्र को मज़बूत बना रहे हैं.