शंकरनारायणन: गहन पुनरीक्षण एक नई प्रक्रिया है और... ... बिहार मतदाता सूची पुनरीक्षण पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज, विपक्षी दलों की याचिकाएँ
शंकरनारायणन: गहन पुनरीक्षण एक नई प्रक्रिया है और बिहार के 7.9 करोड़ लोगों को इस प्रक्रिया से गुजरना होगा। अब जो किया जा रहा है वह विशेष गहन पुनरीक्षण है जो न तो कानून में है, न ही अधिनियम या नियमों में। यह भारत के इतिहास में पहली बार किया जा रहा है।
शंकरनारायणन: उन्होंने स्पष्टीकरण दिया कि अगर आप 2003 की मतदाता सूची में हैं, तो आपको दस्तावेज़ जमा करने की ज़रूरत नहीं है, लेकिन आपको फिर भी एक नया फ़ॉर्म जमा करना होगा। अगर आप वह नया फ़ॉर्म जमा नहीं करते हैं, तो आप मतदाता सूची से बाहर हो जाएँगे।
बाकी लोगों को 11 दस्तावेज़ों से नागरिकता साबित करनी होगी। उनका कहना है कि अगर न्यायपालिका के सदस्यों और कला में निपुण लोगों, खेल आदि में महान लोगों के लिए आप उनके घर जाकर उनके फॉर्म वगैरह भर दें, तो यह पूरी तरह से भेदभावपूर्ण है।
जे. धूलिया: वे वही कर रहे हैं जो संविधान में प्रावधान है, है ना? तो आप यह नहीं कह सकते कि वे वही कर रहे हैं जो उन्हें नहीं करना चाहिए?
शंकरनारायणन: वे वही कर रहे हैं जो उन्हें नहीं करना चाहिए। यहाँ उल्लंघन के चार स्तर हैं।
यह पूरी तरह से मनमाना और भेदभावपूर्ण है। मैं आपको बता दूँ कि इनमें किस तरह के सुरक्षा उपाय दिए गए हैं। दिशानिर्देशों में कुछ खास वर्ग के लोगों को संशोधन प्रक्रिया के दायरे में नहीं आने का प्रावधान है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस प्रक्रिया का कोई कानूनी आधार नहीं है।
उनका कहना है कि 2003 से पहले वालों को कोई परेशानी नहीं है, बस फॉर्म भर दीजिए। उन्होंने एक कृत्रिम भेद पैदा कर दिया है जिसकी क़ानून इजाज़त नहीं देता।