दुनिया भर में 61 करोड़ बच्चे घरेलू हिंसा से प्रभावित माहौल में जीने को मजबूर: यूनिसेफ़ रिपोर्ट

यूनिसेफ़ रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में 61 करोड़ बच्चे ऐसे घरों में रहते हैं जहाँ माताएँ अंतरंग साथी की हिंसा झेलती हैं, जिससे बच्चों का भविष्य प्रभावित होता है।;

Update: 2025-11-27 05:28 GMT

Impact of domestic violence on children: Can children recover from such an environment?

बच्चों के जीवन और भविष्य पर गहरा असर छोड़ रही माताओं पर अंतरंग साथी की हिंसा

नई दिल्ली, 27 नवंबर 2025. यूनिसेफ़ की एक हालिया नई रिपोर्ट वैश्विक समाज के उस दर्दनाक पक्ष को उजागर करती है, जहाँ बच्चों की एक बड़ी आबादी ऐसे घरों में पल रही है जहाँ माताएँ शारीरिक, भावनात्मक या यौन हिंसा का सामना करती हैं। रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि विश्व भर में हर चार में से एक से अधिक बच्चा ऐसे वातावरण में रहता है जहाँ उनकी माँ को पिछले वर्ष के दौरान अंतरंग साथी द्वारा हिंसा सहनी पड़ी।

घरेलू हिंसा से प्रभावित माहौल में जीने को मजबूर सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र ओशीनिया, उप-सहारा अफ़्रीका और मध्य व दक्षिणी एशिया हैं। यूनिसेफ़ की कार्यकारी निदेशक कैथरीन रसैल का कहना है कि महिलाओं की सुरक्षा और स्वायत्तता ही बच्चों के कल्याण की आधारशिला हैं।

यह रिपोर्ट विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अंतर-एजेंसी कार्य समूह द्वारा प्रकाशित की गई है, जिसमें बताया गया है कि हर 10 में से 1 किशोरी या महिला ने पिछले 12 महीनों में अंतरंग साथी द्वारा शारीरिक या यौन हिंसा झेली है। घरेलू हिंसा न सिर्फ़ गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है, बल्कि महिलाओं के मानवाधिकारों का सीधा उल्लंघन भी है।

रिपोर्ट कहती है कि ऐसे माहौल में पले बच्चों का भविष्य जोखिम में रहता है—विश्वास, भावनात्मक स्थिरता, स्वास्थ्य, शिक्षा और सुरक्षा सभी प्रभावित होते हैं। कई बार हिंसा का साया adulthood तक उनका पीछा नहीं छोड़ता और वे स्वयं भविष्य में हिंसा का शिकार या उसका दोहराव करने वाले बन जाते हैं।

यूनिसेफ़ ने सरकारों से अपील की है कि महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा से निपटने के लिए एकीकृत राष्ट्रीय रणनीति अपनाई जाए। साथ ही, हिंसा से प्रभावित परिवारों के लिए विशेष सेवाएँ विकसित करने और स्कूल व समुदाय-आधारित रोकथाम कार्यक्रमों में निवेश बढ़ाने पर ज़ोर दिया गया है।

पढ़िए इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र समाचार की यह खबर

दुनिया भर में, 61 करोड़ बच्चे ऐसे घरों में, जहाँ माताएँ हिंसा की शिकार

26 नवंबर 2025 महिलाएँ

दुनिया भर में, क़रीब 61 करोड़ बच्चे ऐसे घरों में रहते हैं, जहाँ उनकी माताओं को पिछले वर्ष के दौरान, अपने अंतरंग साथी के हाथों शारीरिक, भावनात्मक या यौन हिंसा भुगतनी पड़ी. संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) के अनुसार, इन बच्चों के लिए ऐसी हिंसा, उनके दैनिक जीवन का हिस्सा बन गई है.

यूनीसेफ़ की एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर में, हर 4 में से 1 से अधिक बच्चों को, ऐसे माहौल का सामना करना पड़ा, जहाँ उनकी माताओं के साथ, उनके अंतरंग साथी ने शारीरिक, भावनात्मक या यौन हिंसा की.

इस तरह के हिंसक माहौल में रहने वालों बच्चों की सबसे अधिक संख्या, ओशीनिया, उप-सहारा अफ़्रीका, और मध्य व दक्षिणी एशिया में है. गौरतलब है कि ओशीनिया में प्रशांत क्षेत्र के न्यूज़ीलैंड और ऑस्ट्रेलिया सहित 14 देशों के इलाक़े और टापू शामिल हैं.

यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशक कैथरीन रसैल का कहना है कि आज, लाखों महिलाओं और बच्चों को, ऐसे घरों में रहना पड़ रहा है जहाँ हिंसा, उनके दैनिक जीवन का हिस्सा बन चुकी है.

उन्होंने कहा कि, “महिलाओं की सुरक्षा और स्वायत्तता, बच्चों के कल्याण के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं.”

मानवाधिकार उल्लंघन…

यह रिपोर्ट, महिलाओं के विरुद्ध हिंसा के मुद्दे पर अन्तर-एजेंसी कार्य समूह की ओर से, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने प्रकाशित की है.

इस रिपोर्ट के अनुमान के मुताबिक़, पिछले 12 महीनों में, 15 वर्ष और उससे अधिक उम्र की, हर 10 में से 1 से अधिक किशोरी या महिला के साथ, उनके अंतरंग साथी ने शारीरिक या यौन हिंसा की है.

महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा - विशेष रूप से अंतरंग साथी द्वारा की जाने वाली हिंसा और यौन हिंसा - एक गम्भीर सार्वजनिक और चिकित्सीय स्वास्थ्य समस्या है.

साथ ही, इस प्रकार की हिंसा महिलाओं के मानवाधिकारों का उल्लंघन है, जो लैंगिक असमानताओं में निहित है और उन्हें और अधिक बढ़ावा देती है.

दुनिया भर, हर 3 में से 1 महिला ने, अपने जीवन में शारीरिक और/या यौन हिंसा का सामना किया है, जिनमें अधिकतर मामलों में, हिंसा को अंजाम देने वाले, उनके अंतरंग साथी ही हैं.

ये आँकड़े दिखाते हैं कि महिलाओं के प्रति भेदभाव व असमानता कितनी गहराई से व्याप्त हैं.

दीर्घकालिक प्रभाव…

यूनीसेफ़ ने आगाह किया है कि जिन घरों में बच्चों की माताओं को हिंसा का सामना करना पड़ता है, वहाँ रहने वाले बच्चे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से, नुक़सान के उच्च जोखिम में होते हैं.

भले ही, बच्चों के साथ प्रत्यक्ष रूप से शारीरिक हिंसा नहीं हुई हो, मगर हिंसा देखना भी, बच्चों और देखभाल करने वालों के बीच विश्वास को कमज़ोर कर सकता है.

ये गहरे भावनात्मक घाव छोड़ सकता है, और ऐसा सदमा उत्पन्न कर सकता है जो अक्सर वयस्कता तक बना रह सकता है.

इस तरह की हिंसा के माहौल में रहने से भविष्य में, बच्चों के हिंसा का सामना करने या उसे दोहराने की सम्भावना बढ़ जाती है, जिससे उनकी सुरक्षा, विकास, स्वास्थ्य और शिक्षा पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ते हैं.

यूनीसेफ़ ने देशों की सरकारों से, महिलाओं तथा बच्चों के ख़िलाफ़ हिंसा से निपटने के लिए, एक एकीकृत रणनीति अपनाए जाने की अपील की है.

साथ ही, ज़ोर देकर यह भी कहा है कि जिन महिलाओं और बच्चों को हिंसा का सामना करना पड़ा है, उन्हें विशेष केन्द्र में रखकर सेवाएँ उपलब्ध कराई जाएँ, और हिंसा रोकने के लिए माता-पिता व स्कूल-आधारित कार्यक्रमों में, संसाधन निवेश बढ़ाया जाए.

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