Constipation Home Remedies: क्या केला खाने से कब्ज़ ठीक हो सकता है? जानिए डॉक्टर सलीम जैदी की राय
केला कब्ज़ का इलाज है या वजह? आयुर्वेद और यूनानी विशेषज्ञ डॉ. सलीम जैदी के अनुसार, केला फाइबर, रेसिस्टेंट स्टार्च और पोटैशियम की वजह से कब्ज़ से राहत दिलाने में मदद करता है। जानिए पेट साफ करने के घरेलू उपाय और केले के वैज्ञानिक लाभ...;
Dr. Salim Zaidi explains: Can eating bananas cure constipation?
Constipation Home Remedies क्या केला खाने से कब्ज़ ठीक हो सकता है?
- पेट साफ़ करने का घरेलु उपाय
- क्या केला कब्ज़ कम करता है या बढ़ाता है?
- केले में मौजूद फाइबर कब्ज़ को कैसे ठीक करता है
- कच्चे केले का रेसिस्टेंट स्टार्च पाचन को कैसे सुधारता है
- पके केले के प्रीबायोटिक गुण और गट हेल्थ
- पोटैशियम और मैग्नीशियम से आंतों की मांसपेशियों को आराम
- BRAT डाइट और केले की भूमिका
- विशेषज्ञ की राय: डॉ. सलीम जैदी का अस्वीकरण और सलाह
- घरेलू उपाय: कैसे करें केले का सेवन ताकि कब्ज़ जड़ से खत्म हो
नई दिल्ली, 9 नवंबर 2025. एक आम धारणा है कि केला खाने से कब्ज़ होता है, लेकिन वैज्ञानिक शोध और विशेषज्ञों की राय कुछ और ही कहती है। आयुर्वेदिक और यूनानी चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. सलीम जैदी के अनुसार, केला कब्ज़ को दूर करने में एक प्रभावी घरेलू उपाय है। उनका कहना है कि केला न सिर्फ फाइबर से भरपूर होता है बल्कि इसमें मौजूद रेसिस्टेंट स्टार्च और पोटैशियम आंतों को स्वस्थ रखते हैं और मल त्याग को आसान बनाते हैं। आइए जानते हैं कि केला कैसे पेट साफ करने और पाचन सुधारने में मदद करता है।
केला कब्ज को कम करने में मदद करता है, जैसा कि आयुर्वेदिक और यूनानी दवाओं के विशेषज्ञ डॉक्टर सलीम जैदी ने बताया है। वैज्ञानिक प्रमाण भी इस बात का समर्थन करते हैं। कुछ लोग मानते हैं कि केला खाने से कब्ज होती है, लेकिन यह सही नहीं है।
केला कब्ज से राहत दिलाने में कई तरह से सहायक है :
फाइबर : केले में दो तरह के फाइबर होते हैं - घुलनशील और अघुलनशील। घुलनशील फाइबर पानी के संपर्क में आकर मल को नरम और बड़ा बनाता है, जिससे मल त्याग में आसानी होती है। अघुलनशील फाइबर पाचन तंत्र की गति को सक्रिय रखता है। एक मध्यम आकार के केले में लगभग 3 ग्राम फाइबर होता है।
रेसिस्टेंट स्टार्च : हरे या कच्चे केले में रेसिस्टेंट स्टार्च पाया जाता है, जो फाइबर की तरह काम करता है और पाचन में मदद करता है। यह स्टार्च छोटी आंत में नहीं पचता, बल्कि बड़ी आंत में जाकर अच्छे बैक्टीरिया को पोषण देता है, जिससे पाचन स्वास्थ्य बेहतर होता है और कब्ज से राहत मिलती है। 2019 के एक अध्ययन में पाया गया कि कच्चा केला खाने से कब्ज से पीड़ित बच्चों और किशोरों में सुधार देखा गया और उन्हें लैक्सेटिव (पेट साफ करने वाली दवा) की मात्रा भी कम लेनी पड़ी।
आंतों के स्वास्थ्य में सुधार : केले में मौजूद फाइबर और प्रीबायोटिक गुण आंतों में रहने वाले अच्छे बैक्टीरिया को पोषण देते हैं। 2020 के एक अध्ययन में पाया गया कि केले के गूदे से बना डाइटरी फाइबर चूहों में गट हेल्थ, वजन नियंत्रण और आंतों के कार्य में सुधार करता है।
मांसपेशियों को आराम : केले में मौजूद पोटैशियम और मैग्नीशियम आंतों की मांसपेशियों को आराम देते हैं, जिससे मल त्याग आसान हो जाता है।
पाचन में आसानी : केला आसानी से पचने वाला भोजन है। यह BRAT डाइट (केला, चावल, सेब की चटनी, टोस्ट) का हिस्सा है, जिसे अक्सर दस्त या उल्टी के बाद रिकवरी के लिए दिया जाता है। यह दस्त को नियंत्रित करता है क्योंकि इसमें मौजूद पेक्टिन पानी को सोखकर मल को थोड़ा ठोस बनाता है।
पके केले का नियमित सेवन कब्ज, पाचन संबंधी समस्याओं, पेट फूलने और गैस की समस्या में राहत देता है। यदि आपको लगता है कि केला खाने से कब्ज बढ़ रही है, तो डॉक्टर या डाइटिशियन से सलाह लेना बेहतर है।
FAQs
क्या केला कब्ज कम करने में मदद करता है?
आयुर्वेदिक और यूनानी दवाओं के विशेषज्ञ डॉक्टर सलीम जैदी के अनुसार, केला कब्ज को कम करने में मदद करता है, न कि बढ़ाता है। वैज्ञानिक प्रमाण भी इस बात का समर्थन करते हैं। कुछ लोग मानते हैं कि केला खाने से कब्ज होती है, लेकिन यह सही नहीं है।
केले में किस प्रकार के फाइबर मौजूद होते हैं और वे पाचन में किस प्रकार सहायता करते हैं?
केले में दो तरह के फाइबर होते हैं: घुलनशील (soluble) और अघुलनशील (insoluble)। घुलनशील फाइबर पानी के संपर्क में आकर मल को नरम और बड़ा बनाता है, जिससे मल त्याग में आसानी होती है। वहीं अघुलनशील फाइबर पाचन तंत्र की गति को सक्रिय रखता है। एक मध्यम आकार के केले में लगभग 3 ग्राम फाइबर पाया जाता है।
केले में मौजूद प्रतिरोधी स्टार्च पाचन स्वास्थ्य और कब्ज से राहत में किस प्रकार योगदान देता है?
केले में रेसिस्टेंट स्टार्च पाया जाता है, जो फाइबर की तरह काम करता है और पाचन में मदद करता है। यह स्टार्च छोटी आंत में नहीं पचता, बल्कि बड़ी आंत में जाकर गुड बैक्टीरिया को पोषण देता है। इससे डाइजेस्टिव हेल्थ बेहतर होती है और कब्ज़ से राहत मिलती है। एक 2019 के अध्ययन में पाया गया कि कच्चा केला खाने से कब्ज़ से परेशान बच्चों और किशोरों में सुधार देखा गया और उन्हें लैक्सेटिव (पेट साफ करने वाली दवा) की मात्रा भी कम लेनी पड़ी।
डॉ. सलीम जैदी ने महत्वपूर्ण अस्वीकरण भी दिया है कि -उनके द्वारा पोस्ट की गई वीडियो सामग्री में निहित जानकारी विभिन्न वेबसाइटों, पुस्तकों, पत्रिकाओं और शोध पत्रों में मौजूद शोध और जानकारी के आधार पर मूल निर्माता के व्यक्तिगत विचारों और राय का प्रतिनिधित्व करती है। यह आवश्यक रूप से एक पेशेवर राय का प्रतिनिधित्व नहीं करती है। इसलिए इस समाचार में दी गई जानकारी एक सामान्य जानकारी है, किसी भी हाल में यह चिकित्सकीय सलाह नहीं है।