ख़सरा का कहर बढ़ा: 3 करोड़ बच्चे बिना वैक्सीन, WHO ने दी गंभीर चेतावनी
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने चेतावनी दी है कि कोविड-19 व्यवधानों के बाद ख़सरा मामलों में तेज़ वृद्धि हुई है। लगभग 3 करोड़ बच्चों को दूसरी वैक्सीन डोज़ नहीं मिल सकी, जिससे संक्रमण और मौतों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है।;
health news in hindi
ख़सरा संक्रमण में तेज़ उछाल बना वैश्विक स्वास्थ्य संकट
- वैक्सीन से वंचित क्यों रह गए 3 करोड़ बच्चे ?
- WHO की चेतावनी : ख़सरा अब भी सबसे घातक संक्रामक बीमारियों में
- कोविड व्यवधानों का असर: ख़सरा से मृत्यु और संक्रमण दोनों बढ़े
- अफ़्रीका और पूर्वी भूमध्यसागरीय क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित
दो डोज़ ही बचाव: विशेषज्ञों ने कही महत्वपूर्ण बात
नई दिल्ली, 29 नवंबर 2025. ख़सरा, एक ऐसी बीमारी दुनिया ने जिसे कभी नियंत्रण के करीब समझ लिया था, अब दोबारा सिर उठा रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की ताज़ा रिपोर्ट ने साफ़ किया है कि कोविड-19 महामारी के दौरान स्वास्थ्य ढांचे में आए व्यवधानों ने टीकाकरण प्रणाली को बुरी तरह प्रभावित किया है। पढ़िए संयुक्त राष्ट्र समाचार की यह ख़बर
ख़सरा के मामलों में उछाल, 3 करोड़ बच्चों को नहीं मिली वैक्सीन, WHO
28 नवंबर 2025 स्वास्थ्य
विश्व स्वास्थ्य संगठन – WHO ने कहा है कि दुनिया के अनेक क्षेत्रों में, ख़सरा संक्रमण के मामलो में बढ़ोत्तरी हो रही है क्योंकि कोविड – 19 महामारी से सम्बन्धित व्यवधानों के बाद, करोड़ों बच्चों को ख़सरा से बचाने वाली वैक्सीन नहीं मिल पाई है.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने शुक्रवार को बताया है कि वैसे तो वर्ष 2000 के बाद, ख़सरा से सम्बन्धित मौतों में 88 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है, मगर पिछले वर्ष ख़सरा के वायरस से लगभग 95 हज़ार लोगों की मौत हो गई, जिनमें अधिकतर बच्चे थे.
WHO में, टीकाकरण और वैक्सीन मामलों की निदेशक डॉक्टर केट ओ’ब्रियन ने कहा कि ख़सरा अब भी दुनिया भर में अत्यधिक संक्रामक वायरस से होने वाली सबसे गम्भीर बीमारियों में बनी हुई है, जो श्वास प्रक्रिया व फेफड़ों को प्रभावित करती है.
उन्होंने कहा कि इस वायरस की चपेट में आने वाला एक व्यक्ति 18 अन्य व्यक्तियों तक को संक्रमित कर सकता है.
“बहुत से लोग सोचते हैं कि ख़सरा गम्भीर नहीं है – मगर ये बहुत गम्भीर है, और ये जानलेवा भी हो सकती है.
5 संक्रमित बच्चों में से औसतन एक बच्चे को अस्पताल में भर्ती कराने की नौबत आती है.”
गत वर्ष, दुनिया भर में लगभग 1 करोड़ 10 लाख लोग, ख़सरा के वायरस से संक्रमित हुए. ये संख्या कोविड – 19 महामारी से पहले के समय की तुलना में 8 लाख अधिक थी.
इनमें से अधिकतर संक्रमण मामले, 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चो में हुए, और उनमें भी अधिकतर मामले अफ़्रीका और पूर्वी भूमध्यसागरीय क्षेत्रों में दर्ज किए गए.
डॉक्टर केट ओ’ब्रियन ने ज़ोर देकर कहा, “मगर किसी भी बच्चे को ख़सरा के परिणाम भुगतने की ज़रूरत नहीं है. वैक्सीन की केवल दो ख़ुराकें 95 प्रतिशत संरक्षण मुहैया करा देती हैं.”
“बहुत अफ़सोस की बात ये है कि बच्चों को वैक्सीन का संरक्षण इसलिए नहीं हासिल है क्योंकि व्यवस्था, उन तक वैक्सीन नहीं पहुँचा पा रही है.”
ख़सरा सीमाओं से अनजान
ख़सरा के संक्रमण में तेज़ी से वृद्धि दर्ज की गई है. वर्ष 2024 में, 59 देशों में विशाल या व्यवधान उत्पन्न करने वाले स्तर पर संक्रमण फैलते हुए देखा गया, जोकि वर्ष 2021 की तुलना में तीन गुना अधिक था.
गत वर्ष, दुनिया भर में केवल 84 प्रतिशत बच्चों को, ख़सरा से बचाने वाली वैक्सीन की पहली ख़ुराक मिली थी, मगर 76 प्रतिशत बच्चों को, दूसरी ख़ुराक नहीं मिल सकी, जबकि दूसरी ख़ुराक को बहुत अहम माना जाता है.
इस तरह लगभग 3 करोड़ बच्चे, ठोस संरक्षण से वंचित रह गए.
टीकाकरण पर WHO के अनिवार्य कार्यक्रम का मुखिया डायना चैंग-ब्लैंक का कहना है कि, “ख़सरा देशों के बीच हदों को नहीं पहचानती है. कोई भी देश तभी पूरी तरह से संरक्षित है, जब हर जगह, हर एक बच्चा पूरी तरह से संरक्षित हो.”